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महाकुंभ 2025: हर जिले में बढ़ा आर्थिक उत्साह, छोटे कारीगरों को मिला 10,000 करोड़ का व्यापार

महाकुंभ 2025: हर जिले में बढ़ा आर्थिक उत्साह, छोटे कारीगरों को मिला 10,000 करोड़ का व्यापार

महाकुंभ 2025: हर जिले में बढ़ा आर्थिक उत्साह, छोटे कारीगरों को मिला 10,000 करोड़ का व्यापार

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महाकुंभ 2025 न केवल आध्यात्मिक आयोजन है, बल्कि यह आर्थिक गतिविधियों का भी एक विशाल केंद्र बन गया है। लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारियों के साथ, इस आयोजन ने उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में रोजगार और व्यापार के नए अवसर पैदा किए हैं।

कारीगरों को मिला बड़ा लाभ

महाकुंभ की तैयारियों ने छोटे कारीगरों और उद्यमियों के लिए समृद्धि के दरवाजे खोल दिए हैं। राज्य भर के स्थानीय हस्तशिल्प कारीगरों और लघु उद्योगों को अब तक लगभग 10,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिल चुके हैं। ये ऑर्डर मुख्य रूप से पूजा सामग्री, सजावटी वस्तुएं, पारंपरिक कपड़े, शिल्प, और निर्माण कार्य से संबंधित हैं।

सभी जिलों की भागीदारी

प्रदेश के हर जिले के उद्यमी और कारीगर महाकुंभ से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों को मिला बढ़ावा

महाकुंभ ने ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने का मौका दिया है। इसने न केवल उनकी आय में वृद्धि की है, बल्कि उनके कौशल को भी नई पहचान दी है।

पर्यटन और व्यापार को प्रोत्साहन

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

महाकुंभ 2025 ने छोटे और मध्यम वर्ग के कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी प्रदेश और देश के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

समृद्धि का उत्सव

महाकुंभ 2025 का यह आयोजन दिखाता है कि कैसे एक धार्मिक आयोजन बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है। यह कारीगरों और छोटे उद्यमियों के लिए सही मायनों में लक्ष्मी का वरदान साबित हो रहा है।महाकुंभ 2025 ने धार्मिक आस्था के साथ-साथ व्यापार और रोजगार को भी नए आयाम दिए हैं। यह आयोजन छोटे कारीगरों और उद्यमियों के लिए आर्थिक समृद्धि का प्रतीक बनकर उभरा है।

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