
कुंभ मेला हिंदू धर्म की एक पुरानी परंपरा है।
Mahakumbh Akhada: कुंभ मेला हिंदू धर्म की एक पुरानी परंपरा है। इसके पीछे समुद्र मंथन की कहानी है। ऐसा माना जाता है कि अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार जगहों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। इसलिए, इन जगहों पर कुंभ मेला होता है। और इसमें तेरे अखाड़ो का काफी ज्यादा महत्व माना जाता है।
Mahakumbh Akhada: अखाड़े की शुरुआत कब हुई थी
Mahakumbh Akhada: ये धार्मिक समूह योग, ध्यान और धर्म की शिक्षा देते हैं। अखाड़ों की शुरुआत 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी। उस समय इनका उद्देश्य हिंदू धर्म की रक्षा करना था।अब ये अखाड़े समाज में शांति, एकता और धर्म का प्रचार करते हैं। इन अखाड़ों के साधु कुंभ मेले में शामिल होते हैं और पवित्र स्नान करते हैं।
1. जूना अखाड़ा
जूना अखाड़ा उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में स्थापित हुआ था.वही यह सबसे बड़ा और प्राचीन अखाड़ा है। जूना अखाड़ा के साधु शिवभक्त होते हैं और त्रिशूल, डमरू तथा रुद्राक्ष धारण करते हैं। वही नागा साधु इसी अखाड़े से जुड़े होते हैं, जोकि घोर तपस्या करते हैं।जूना अखाड़े के संत, कुंभ मेले में रंग-बिरंगे पवित्र स्नान अनुष्ठानों के दौरान राख से ढके हुए नग्न मार्च करते हैं।
2. महानिर्वाणी अखाड़ा
वही यह अखाड़ा हठ योग और तप साधना पर ज़ोर देता है. यह अखाड़ा तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है और इसके साधु गंभीर साधना और तपस्या में लीन रहते हैं। और यह अखाड़ा तीसरा सबसे बड़ा शस्त्रधारी अखाड़ा है
3. अटल अखाड़ा
यह अखाड़ा गोंडवाना क्षेत्र में स्थापित किया गया था. इस अखाड़े में अनुशासन और तपस्या पर विशेष ध्यान दिया जाता है।अटल अखाड़े के साधु-संत, दहेज प्रथा, छुआछूत, और मतांतरण जैसे सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़ अभियान चलाते हैं. ओर वही या हमेशा , कुंभ मेले जैसे धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं।
4. आवाहन अखाड़ा
यह अखाड़ा 646 ईस्वी में स्थापित हुआ था. यह अखाड़ा मंत्र साधना और शिव पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस अखाड़े में लोग शिव में लीन होकर उन्हें याद करते हैं।वही यह अखाड़ा धार्मिक रास्ता दिखाने का काम करता है.
5. अग्नि अखाड़ा
इस अखाड़े के साधु अग्नि देवता की पूजा करते हैं और तपस्या में अग्नि का महत्व रखते हैं। वही अग्नि अखाड़े के संतों को ब्रह्मचारी होने की दीक्षा दी जाती है। वही अग्नि अखाड़े के संत और भैया का अखाड़े में जा सकते हैं लेकिन और अखाड़ों के संत अग्नि अखाड़े में नहीं आ सकते इसलिए भी इनका महत्व माना जाता है।
6. निरंजनी अखाड़ा
यह अखाड़ा गुजरात के मांडवी में स्थापित हुआ था. यह अखाड़ा ज्ञान और साधना पर आधारित है। साधु वेद, पुराण और उपनिषदों का अध्ययन करते हैं। वही इस अखाड़ा के साधुओं के पास काफी ज्यादा ज्ञान होता है।
7. आनंद अखाड़ा
यह अखाड़ा मध्य प्रदेश के बेरार में स्थापित हुआ था. यह अखाड़ा भगवान शिव की भक्ति और साधना के लिए प्रसिद्ध है। वही यह अखाड़ा सामाजिक और शिक्षा को बढ़ावा देता है। और या समाज की जिम्मेदारियां को पूरा करने में भी आगे रहता है।
8. बैरागी अखाड़ा
यह अखाड़ा भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करता है। बैरागी साधु भक्ति परंपरा में लीन रहते हैं। इस अखाड़े में साधु-संन्यासी धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करते हैं.
9. निर्मोही अखाड़ा
यह अखाड़ा वैष्णव परंपराओं और भगवान विष्णु के प्रति भक्ति पर ध्यान केंद्रित करता है। यह अखाड़ा राम भक्ति के लिए प्रसिद्ध है। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन में इस अखाड़े की प्रमुख भूमिका रही।
10. निर्वाणी अखाड़ा
यह अखाड़ा 1784 में स्थापित हुआ था. इस अखाड़े के साधु भगवान राम और हनुमान की पूजा करते हैं। यह श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में बने मंदिर की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
11. दिगंबर अखाड़ा
इस अखाड़े के साधु भगवान राम की भक्ति में लीन रहते हैं। वही इस अखाड़े के साधुओं को रामानंदी और श्यामानंदी कहा जाता है. और इस अखाड़े के साधु हाथ में चिमटा, फरसा, और त्रिशूल रखते हैं. और भगवान विष्णु के अवतार राम और श्री कृष्ण की भक्ति करते हैं।
12. उदासीन अखाड़ा
इसे बड़ा उदासीन अखाड़ा के कुछ साधुओं ने विभक्त होकर स्थापित किया था. इसके साधु सिख और हिंदू परंपराओं का समन्वय करते हैं।उदासीन अखाड़े के साधु, परब्रह्म में लीन हो जाते हैं. ओर उदासीन अखाड़े के साधु, सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा करते हैं.
13. बड़ा उदासीन अखाड़ा
इस संप्रदाय के संस्थापक श्री चंद्रआचार्य उदासीन हैं. यह अखाड़ा साधु-संतों को समाज सेवा और धार्मिक शिक्षा के लिए प्रेरित करता।
Mahakumbh Akhada
Mahakumbh Akhada: लेकिन अब के समय में अखाड़ों की भूमिका बदल गई है। अब ये धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ समाज सेवा, पर्यावरण बचाने और लोगों को एकता का संदेश देने में भी काम करते हैं। वही इनको बहुत महत्व भी दिया जाता है।
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