
Mahavir Jayanti 2025: जीवन, शिक्षाएं और महावीर जयंती का पर्व
Mahavir Jayanti 2025: जैन समुदायों के लिए तथा कई हिंदुओं के लिए भी महावीर पूजनीय है। दुनिया भर की जैन समुदायों के लिए महावीर जयंती का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2025 में 29 मार्च को महावीर जयंती मनाई जाएगी। हालांकि हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के 13 दिन मनाए जाने वाली महावीर जयंती की तिथि हर साल बदलती रहती है। इस साल यह त्यौहार 10 अप्रैल यानी गुरुवार को मनाया जाएगा।
कौन है महावीर?
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व भारत के बिहार में स्थित कुंडा ग्राम में हुआ था। उनकी माता का नाम रानी त्रिशला था और उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ था। उन्होंने अपने शासन को 30 साल से अधिक वर्षों तक संभाला था। जब वह शासन किया करते थे तब उनको उनकी बुद्धि और करुणा के लिए जाना जाता था।
आपको बता दे कि शासन करने के 3 दशकों को बाद ही उनका मन बदला, और उन्होंने अपना राज महल त्यागने की इच्छा जताई और आध्यात्मिक यात्रा पर निकलने की बात कही। इसके बाद उन्होंने सब कुछ त्याग कर आध्यात्मिकता की ओर अपना कदम बढ़ाया और आध्यात्मिक नेता और जैन धर्म के स्थापक के रूप में उनको लोग जानने लगे।
भगवान महावीर सभी जीवो के प्रति विनम्रता और करुणा का भाव रखते थे। उनकी शिक्षाओं में जीवन के हर पहलू को प्यार करने और सम्मान देने के महत्व पर जोर दिया है, फिर चाहे वह छोटी सी चींटी भी क्यों ना हो और बड़ा सा हाथी भी क्यों ना हो। बस इन्हीं सिद्धांतों के तहत उन्होंने जैन धर्म को जन्म दिया और उनकी स्थापना की।
भगवान महावीर ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या और ज्ञान के बाद कभी ना खत्म होने वाला ज्ञान प्राप्त किया। इस ज्ञान को जैन धर्म में आध्यात्मिक ज्ञान का सर्वोच्च स्तर माना जाता है।
महावीर जयंती का महत्व
महावीर जयंती भगवान महावीर के जन्म को याद करने और उनकी शिक्षाओं और दर्शन का जश्न मनाने का एक दिन है। इस दिन दुनिया भर में कई जैन समुदाय के लोग जैन मंदिर में जाकर प्रार्थना करते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं। मान्यता है कि इस दिन महावीर जी की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए भव्य जुलूस निकाला जाता है भजन कीर्तन और आध्यात्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
यह त्यौहार महावीर जी की शिक्षाओं को याद करने के लिए और भौतिक संपत्तियों और शक्तियों से मुक्त होकर सरल जीवन जीने के उनके दर्शन पर विचार करने का एक अवसर माना जाता है।
भगवान महावीर जी के पंचशील सिद्धांत
मान्यता है कि महावीर स्वामी द्वारा पांच सिद्धांत बनाए गए थे, जिन्हें पंचशील सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। यह पंचशील सिद्धांत जैन धर्म के नैतिक और आचार संबंधी मूल सिद्धांतों मैं से एक है। महावीर जी के पंचशील सिद्धांत कुछ इस प्रकार है।
- अहिंसा: अहिंसा का मतलब है की, किसी भी परिस्थिति जहां पर अहिंसा हो वहां से दूर रहना, और हिंसा का प्रचार करना। भगवान महावीर जी का कहना है कि हमें कभी किसी को भूल कर भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं देना चाहिए।
- सत्य: भगवान महावीर जी ने कहा कि, सदैव सत्य का साथ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति बुद्धिमान होता है और हमेशा सत्य का साथ देता है, वह मृत्यु जैसे कठिन मार्ग को भी पार कर लेता है। यही कारण है कि उन्होंने हमेशा सच बोलने की सलाह दी है।
- अस्तेय : जो भी व्यक्ति अस्तेय का पालन करता है वह व्यक्ति किसी भी रूप से किसी वस्तु को बिना अनुमति के ग्रहण नहीं करते। ऐसे में लोगों को सिर्फ उन्हीं चीजों को स्वीकार करना चाहिए जो उन्हे स्वेच्छ से दी जाती है।
- ब्रह्मचर्य: महावीर जी ने ब्रह्मचर्य के सिद्धांत को अपने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को पवित्रता और संयम के गुना का पालन करना चाहिए, जिस्म भी किसी भी प्रकार की कामुक गतिविधियों से दूर रहे।
- अपरिग्रह : ऐसा विश्वास किया जाता है कि अपरिग्रह का अभ्यास करने से जानू की आध्यात्मिक चेतना और भी ज्यादा विकसित होती है और वह दुनिया की भौतिक वस्तुओं को त्यागने में सफल रहते हैं।
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