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किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी से महामंडलेश्वर का ताज छीना, हिमांगी सखी का था प्रमुख विरोध

किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी से महामंडलेश्वर का ताज छीना, हिमांगी सखी का था प्रमुख विरोध

किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी से महामंडलेश्वर का ताज छीना, हिमांगी सखी का था प्रमुख विरोध

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महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में एक बड़ा उलटफेर हुआ है। बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी, जिन्हें महज सात दिन पहले महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी, अब इस पद से हटा दिया गया है। इसके पीछे किन्नर समुदाय की प्रमुख हस्ती हिमांगी सखी का विरोध बताया जा रहा है, जिन्होंने ममता के चयन पर सवाल उठाए थे।

ममता कुलकर्णी की नियुक्ति पर उठे थे सवाल

महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने के बाद ममता कुलकर्णी को नया नाम ‘श्रीया मायी ममतानंद गिरी’ भी दिया गया था। लेकिन किन्नर अखाड़े में ही उनके चयन को लेकर विरोध शुरू हो गया था। हिमांगी सखी ने ममता कुलकर्णी के पुराने रिकॉर्ड, जिसमें ड्रग्स के आरोप और जेल में सजा के मामले थे, को लेकर उनकी नियुक्ति पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने पूछा, “क्यों एक महिला को महामंडलेश्वर बना दिया गया, जब किन्नर अखाड़ा किन्नरों के लिए है?”

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भी हुए बाहर

ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने वाली किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी अखाड़े ने बाहर का रास्ता दिखाया। ऋषि अजयदास द्वारा जारी एक पत्र में यह निर्णय लिया गया था कि दोनों को किन्नर अखाड़े से बाहर किया जाता है।

हिमांगी सखी: एक प्रमुख विरोधी

हिमांगी सखी किन्नर समाज में एक प्रमुख नाम हैं। वह देश की पहली किन्नर कथा वाचक हैं और हमेशा अपने बेबाक विचारों के लिए जानी जाती हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में भी वह वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी थीं। महाकुंभ के आयोजन पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम की सराहना की थी।

किन्नर अखाड़े में विवाद का नया मोड़

ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को महामंडलेश्वर के पद से हटाए जाने के बाद किन्नर अखाड़े में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। हिमांगी सखी के विरोध के बाद यह कदम उठाया गया, जो उनके लिए एक बड़ी जीत के रूप में सामने आया है।

यह घटना किन्नर समुदाय और समाज के अन्य वर्गों के लिए यह सवाल उठाती है कि क्या सम्मान और पद का चयन नैतिकता और सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। किन्नर अखाड़े का यह निर्णय और इसके बाद का विवाद समाज में चर्चा का विषय बन गया है।

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