MP Child Deaths Cough Syrup: मासूमों की मौत के बाद रंगनाथन गिरफ्तार, कोल्ड्रिफ कफ सीरप जांच तेज
MP Child Deaths Cough Syrup: मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत का मामला पूरे देश को झकझोर चुका है। कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन से कई मासूमों की जान चली गई, जिससे परिवार और समाज में गहरी शोक की लहर दौड़ गई। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है और 10 अक्टूबर 2025 को इस पर सुनवाई होगी।
क्या है मामला?
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सीरप पीने से 20 बच्चों की मौत हो गई। इसके अलावा राजस्थान के कुछ जिलों में भी इसी सीरप के सेवन से कम से कम 3 बच्चों की मौत हुई। गंभीर रूप से प्रभावित बच्चों में पांच की हालत अभी भी नाजुक बताई जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि सीरप में डायथिलीनग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीनग्लाइकॉल (EG) जैसी खतरनाक मिलावट हुई थी, जिससे बच्चों की किडनी पर गंभीर असर पड़ा और उनकी जान चली गई।
इस भयावह घटना ने देश के स्वास्थ्य और औषधि नियामक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका
इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। याचिका में मांग की गई है कि सीबीआई इस मामले की जांच करे और एक राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति बनाई जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों में जांच होने के कारण जवाबदेही बिखरी हुई है, जिससे घातक दवाइयां बाजार में पहुंच रही हैं।
याचिका पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने गौर किया और तुरंत सुनवाई के लिए सहमति दी। सुप्रीम कोर्ट 10 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई करेगा।
WHO ने भी मांगा स्पष्टीकरण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत के अधिकारियों से पूछा है कि क्या यह जहरीली दवा अन्य देशों को भी निर्यात की गई थी। WHO इस मामले में ‘वैश्विक चिकित्सा उत्पाद अलर्ट’ जारी करने पर विचार कर रहा है। अगर भारत से पुष्टि मिलती है, तो यह चेतावनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू हो सकती है।
आरोपी और पुलिस कार्रवाई
सीरप बनाने वाली तमिलनाडु की कंपनी स्रसेन फार्मा के मालिक रंगनाथन को मध्य प्रदेश पुलिस ने चेन्नई से गिरफ्तार किया। प्रारंभिक जांच में पुष्टि हुई है कि कंपनी ने सीरप के निर्माण में गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की। रंगनाथन के अलावा, कंपनी के अन्य कर्मचारियों और वितरण नेटवर्क की भी जांच जारी है।
मध्य प्रदेश पुलिस ने कंपनी के कार्यालय पर छापेमारी की और कई दस्तावेज जब्त किए। अधिकारियों का कहना है कि और भी लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। सरकार ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी
मध्य प्रदेश औषधि नियंत्रक और भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने राज्यों के सभी औषधि नियंत्रकों को निर्देश दिया कि वे दवा उत्पादों का परीक्षण सुनिश्चित करें और किसी भी खतरनाक दवा को बाजार में जारी न होने दें।
इसके अलावा लोगों से अपील की गई है कि वे कोल्ड्रिफ कफ सीरप का सेवन तुरंत बंद करें और बच्चों में किसी भी तरह की परेशानी दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पहले की चेतावनी
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2023 में ही दवा कंपनियों को चेतावनी जारी की थी कि क्लोरफेनिरामाइनमैलिएट 2 मिलीग्राम और फिनाइलेफ्राइन HCL 5 मिलीग्राम वाले फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन (FDC) को चार साल से कम उम्र के बच्चों में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
फिर भी, इन नियमों की अनदेखी और गुणवत्ता नियंत्रण की कमी के कारण यह घातक घटना हुई।
सामाजिक और नैतिक दृष्टि
यह घटना सिर्फ स्वास्थ्य त्रासदी नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी और जागरूकता की कमी को भी दर्शाती है। बच्चों की सुरक्षा के लिए नियामक तंत्र को सख्त होना चाहिए और कंपनियों को गुणवत्ता मानकों का पालन करना अनिवार्य है।
इसके साथ ही माता-पिता और समाज को भी सतर्क रहना होगा कि किसी भी दवा को बिना प्रमाण और डॉक्टर की सलाह के न दें।
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