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Murder news: बोरे में 2 टुकड़ों में कटी मिली बांग्लादेश की एक्ट्रेस राइमा शीमू की लाश, भयावह हत्याकांड का खुलासा

आज अनसुनी दास्तानें में हम आपको पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की एक्ट्रेस राइमा इस्लाम शीमू की भयावह कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो सुनने में तो किसी थ्रिलर फिल्म की तरह लगती है, लेकिन सच्ची है। बात है साल 2022 की। बांग्लादेशी सिनेमा की सीनियर एक्ट्रेस रोज की तरह शूटिंग के लिए निकली थीं, लेकिन उसके बाद कभी घर नहीं लौटीं।

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राइमा इस्लाम शीमू को गुमशुदा मानकर परिवार ने तलाश शुरू कर दी। फिर, महज 24 घंटों में ही एक गुमशुदगी का मामला, हत्या के मामले में तब्दील हो गया। घर से चंद किलोमीटर दूर राइमा की दो टुकड़ों में कटी हुई लाश मिली, जिस पर कई चोटों के निशान थे।

राइमा इस्लाम शीमू के जन्म का साल हमेशा से सवालों में रहा था। द डेली स्टार न्यूज के मुताबिक उनका जन्म 1977 में बारिसाल, बांग्लादेश में हुआ था, वहीं बंगाली डेली न्यूजपेपर डेली जुगानतर के मुताबिक राइमा 1987 में जन्मी थीं।

बांग्लादेशी फिल्म इतिहास में राइमा के बचपन से जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं मिलती हैं। 1970 से 1990 के करीब बांग्लादेशी सिनेमा यानी ढालीवुड का सुनहरा दौर रहा था। इसी दौरान राइमा इस्लाम शीमू भी थिएटर से जुड़ गई थीं।

देखने में बेहद खूबसूरत राइमा जब थिएटर कर रही थीं, तब उन पर नेशनल अवॉर्ड जीत चुके डायरेक्टर काजी हयात की नजर पड़ी। काजी हयात ने उनकी खूबसूरती और टैलेंट को देखते हुए उन्हें अपनी फिल्म बार्तमान में साइन कर लिया। 1998 में रिलीज हुई इस फिल्म से राइमा इस्लाम शीमू ने फिल्मों में कदम रखा।

पहली ही फिल्म से पहचान बनाने के बाद राइमा 2002 तक करीब 25 बांग्लादेशी फिल्मों में नजर आईं। फिल्मों के साथ-साथ वो थिएटर से भी जुड़ी रहीं। उन्होंने करीब 50 नाटकों में हिस्सा लिया था। वहीं राइमा बांग्लादेशी टीवी इंडस्ट्री का भी जाना-माना चेहरा रहीं।

राइमा इस्लाम शीमू हिट फिल्में देते हुए बांग्लादेशी सिनेमा में पहचान बना ही रही थीं कि उनकी मुलाकात ढाका के बिजनेसमैन शखावत अली नोबेल से हुई। साथ समय बिताते हुए दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। कुछ समय तक रिलेशनशिप में रहने के बाद राइमा ने शखावत अली से शादी करने का फैसला किया। इस फैसले के साथ ही उन्होंने कई दूसरे अहम फैसले भी लिए। इनमें से एक था बांग्लादेशी सिनेमा से दूरी बनाना।

साल 2004 में शादी करने के बाद राइमा ने फिल्में छोड़ दीं। उनकी आखिरी फिल्म साल 2002 की जमाई शशुर रही।

शादी के बाद उन्होंने अपना ज्यादा से ज्यादा समय परिवार को दिया। शादी के बाद उन्होंने कुछ टीवी शोज प्रोड्यूस किए। समय के साथ उनके घर में 2 बच्चे भी हुए। आगे वो एक निजी चैनल के मार्केटिंग डिपार्टमेंट में काम करने लगीं। बीतते समय के साथ उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया और टीवी शोज प्रोड्यूस करने लगीं। राइमा पति शखावत और दो बच्चों के साथ ढाका के ग्रीन रोड इलाके में रहती थीं।

झाड़ियों के पास बोरे में बंद मिला शव

जांच चल ही रही थी कि 17 जनवरी को पुलिस के पास केरानीगंज के हजरतपुर ब्रिज के नजदीकी इलाके से कुछ स्थानीय लोगों का कॉल आया। कॉल पर पुलिस को सूचित किया गया कि ब्रिज के पास झाड़ियों में कुछ संदिग्ध चीज मिली है। पुलिस मौके पर पहुंची, तो पाया कि बोरी में एक महिला की दो टुकड़ों में कटी हुई लाश है। वो लाश किसी और की नहीं बल्कि एक्ट्रेस राइमा इस्लाम शीमू की थी।

अब गुमशुदगी का मामला कत्ल के मामले में तब्दील हो चुका था। राइमा की हत्या का मामला बांग्लादेशी सिनेमा में सनसनी बन गया। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए मिटफोर्ड अस्पताल भेजा था, जहां राइमा के भाई शाहिदुल इस्लाम ने उनकी पहचान की थी। लाश मिलने के बाद पुलिस ने सख्ती से जांच शुरू की।

बांग्लादेशी एक्टर पर था हत्या का शक, एसोसिएशन की सदस्यता पर था झगड़ा

जांच में पुलिस के सामने बांग्लादेशी एक्टर जायद खान का नाम भी सामने आया। कुछ सालों पहले राइमा और जायद का फिल्म आर्टिस्ट एसोसिएशन की सदस्यता को लेकर झगड़ा हुआ था। जायद को जब पूछताछ के लिए बुलाया गया तो उसने साफ कह दिया कि उनकी राइमा से आखिरी बार 2 साल पहले बात हुई थी, तब से वो संपर्क में नहीं थे।

कार की जांच से सुलझी हत्या की गुत्थी

बाद में पुलिस ने राइमा के घर से दोबारा जांच शुरू की। पुलिस को राइमा के घर के बाहर उनकी गाड़ी मिली थी। राइमा के घर में महज यही एक कार थी, जिसे वो और उनके पति दोनों चलाते थे। जब पुलिस ने कार को खंगालना शुरू किया, तो चौंका देने वाले खुलासे हुए।

जैसे ही पुलिस ने गाड़ी का दरवाजा खोला गाड़ी के अंदर से तेज बदबू आने लगी। मानों जैसे गाड़ी में किसी ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल किया गया हो।

एक रस्सी से हुआ हत्या का खुलासा

गाड़ी की हालत देखकर साफ था कि उसे धोया गया है और बाद में उसमें दुर्गन्ध मिटाने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस को कार में एक नायलॉन की रस्सी का बंडल भी मिला था। ये वही नायलॉन की रस्सी थी जिसके एक टुकड़े से राइमा की लाश रखने के लिए इस्तेमाल की गई बोरी को सिला गया था। ये सबूत पुलिस के लिए काफी थे।

दोनों ने लाश को काटा और फिर घर में पड़े एक बोरे में भर दिया। घर में एक नायलॉन की रस्सी का बंडल था, जिसकी मदद से उन लोगों ने बोरी में सिलाई लगाई।

घर के मुलाजिम के रहते हुए लाश को ठिकाने लगाना काफी मुश्किल था, ऐसे में शखावत ने उसे नाश्ता लेने घर से बाहर भेज दिया। जैसे ही मुलाजिम निकला वैसे ही शखावत और उसके दोस्त ने राइमा की लाश को कार की डिक्की में छिपा दिया।

16 जनवरी की दोपहर को दोनों लाश को ठिकाने लगाने निकले थे, लेकिन दिन के उजाले में वो ऐसा नहीं कर सके और लाश लेकर दोबारा घर पहुंच गए। अंधेरा होने के बाद रात करीब 9 बजे दोनों दोबारा निकले। सुनसान जगह की तलाश में दोनों केरानीगंज के हजरतपुर ब्रिज पहुंच गए। ब्रिज से करीब 300 मीटर की दूरी पर दोनों ने झाड़ियों के पास डिक्की में रखी लाश को ठिकाने लगा दिया और घर लौट आए। शखावत ने घर लौटकर पत्नी को ढूंढने का ढोंग जारी रखा और अगले दिन खुद पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत की।

पति के इकबाल-ए-जुर्म से मची सनसनी

शुरुआत में केरानीगंज मॉडल पुलिस स्टेशन में शखावत पुलिस को अलग-अलग बयान देकर गुमराह करता रहा, हालांकि पुलिस की सख्ती के बाद उसने कत्ल करने और लाश को ठिकाने लगाने की बात कबूल कर ली।

पति के बयान के अनुसार, 16 जनवरी 2022 की सुबह 7 बजे उनका और राइमा का झगड़ा हुआ था। झगड़ा बढ़ने पर शखावत ने आक्रोश में आकर पहले उनके साथ मारपीट की फिर गला दबा दिया, जिससे उनकी मौत हो गई।

पत्नी की हत्या करने के बाद शखावत ने अपने दोस्त एस.एम.वाई. अब्दुल्ला फरहाद को कॉल कर घर बुलाया। उसने दोस्त को पूरी कहानी बताई तो दोस्त लाश को ठिकाने लगाने में मदद करने के लिए राजी हो गया।

दोनों ने लाश को काटा और फिर घर में पड़े एक बोरे में भर दिया। घर में एक नायलॉन की रस्सी का बंडल था, जिसकी मदद से उन लोगों ने बोरी में सिलाई लगाई।

घर के मुलाजिम के रहते हुए लाश को ठिकाने लगाना काफी मुश्किल था, ऐसे में शखावत ने उसे नाश्ता लेने घर से बाहर भेज दिया। जैसे ही मुलाजिम निकला वैसे ही शखावत और उसके दोस्त ने राइमा की लाश को कार की डिक्की में छिपा दिया।

16 जनवरी की दोपहर को दोनों लाश को ठिकाने लगाने निकले थे, लेकिन दिन के उजाले में वो ऐसा नहीं कर सके और लाश लेकर दोबारा घर पहुंच गए। अंधेरा होने के बाद रात करीब 9 बजे दोनों दोबारा निकले। सुनसान जगह की तलाश में दोनों केरानीगंज के हजरतपुर ब्रिज पहुंच गए। ब्रिज से करीब 300 मीटर की दूरी पर दोनों ने झाड़ियों के पास डिक्की में रखी लाश को ठिकाने लगा दिया और घर लौट आए। शखावत ने घर लौटकर पत्नी को ढूंढने का ढोंग जारी रखा और अगले दिन खुद पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत की।

 

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