जब हम फ्रूटी, एप्पी और बेली वाटर का नाम सुनते हैं, तो ताजगी का अहसास होता है। इन लोकप्रिय पेय पदार्थों ने बाजार में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। इन्हें आम जनता तक पहुंचाने और इन ब्रांड्स को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का श्रेय नाडिया चौहान को जाता है। हालांकि, इन उत्पादों का निर्माण उन्होंने शुरू नहीं किया, लेकिन इन्हें नई पहचान और ऊंचाई देने में उनकी अहम भूमिका रही। आइए जानते हैं नाडिया चौहान की सफलता की प्रेरणादायक कहानी।
पारले एग्रो की शुरुआत और नाडिया का योगदान
पारले एग्रो कंपनी की स्थापना 1985 में प्रकाश चौहान ने की थी। उसी साल उनके घर में नाडिया चौहान का जन्म हुआ। प्रकाश चौहान के तीन बच्चों में नाडिया सबसे छोटी थीं। कंपनी धीरे-धीरे बढ़ रही थी, लेकिन असली बदलाव तब आया जब नाडिया 17 साल की उम्र में इस बिजनेस का हिस्सा बनीं। उस समय पारले एग्रो का टर्नओवर 300 करोड़ रुपये था।
मुंबई के जमनाबाई नरसी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद नाडिया ने बिजनेस और मार्केटिंग में उच्च शिक्षा हासिल की। अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने रणनीतिक सोच और व्यवसायिक कौशल को निखारा। 2003 में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पारले एग्रो में पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया।
फ्रूटी को नई पहचान
जब नाडिया ने कंपनी का कार्यभार संभाला, तो फ्रूटी ब्रांड चुनौतियों का सामना कर रहा था। बाजार में कई प्रतिस्पर्धी ब्रांड्स आ गए थे। नाडिया ने फ्रूटी को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए एक अनोखा अभियान चलाया। “Why Grow Up?” टैगलाइन ने फ्रूटी को एक नई पहचान दी। इसके बाद फ्रूटी ने छोटे पैक से लेकर बड़े पैक तक विभिन्न आकारों में बाजार में उपलब्धता बढ़ाई।
एप्पी फिज और बेली वाटर की सफलता
2005 में नाडिया ने एप्पी फिज लॉन्च किया, जो कंपनी का एक और सफल उत्पाद साबित हुआ। इसके बाद बेली वाटर ने भी बिस्लेरी और किन्ली जैसे बड़े ब्रांड्स को टक्कर दी। नाडिया ने न केवल नए उत्पाद लॉन्च किए, बल्कि पारले एग्रो के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को भी मजबूत किया।
8,000 करोड़ रुपये का टर्नओवर
नाडिया चौहान के नेतृत्व में पारले एग्रो का टर्नओवर 2017 तक 4,200 करोड़ रुपये और 2022-23 तक 8,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। उनकी रणनीतिक सोच और नवाचार ने कंपनी को भारत की सबसे तेजी से बढ़ती FMCG कंपनियों में शामिल किया।
अंतरराष्ट्रीय पहचान और पुरस्कार
नाडिया चौहान का लक्ष्य कंपनी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना था। उनके प्रयासों ने पारले एग्रो को वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्ध किया। 2018 में उन्हें फॉर्च्यून इंडिया की “40 अंडर 40” सूची में स्थान मिला। इसके अलावा, फोर्ब्स एशिया की “पावर बिजनेसवुमन” सूची में भी उनका नाम शामिल हुआ।
पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियां
नाडिया चौहान न केवल एक सफल बिजनेसवुमन हैं, बल्कि एक समर्पित पारिवारिक व्यक्ति भी हैं। उनके पति राधे श्याम दीक्षित भी एक सफल बिजनेसमैन हैं, और उनके दो बच्चे हैं। अपने व्यस्त शेड्यूल के बावजूद, नाडिया अपने परिवार के साथ समय बिताने को प्राथमिकता देती हैं।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता
नाडिया चौहान ने पारले एग्रो को पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर भी ध्यान दिया। प्लास्टिक कचरे को कम करने और ईको-फ्रेंडली नीतियों को अपनाने के उनके प्रयास उद्योग में एक मिसाल हैं।
भविष्य की योजनाएं
नाडिया का लक्ष्य पारले एग्रो को एक वैश्विक स्तर पर एक अरब डॉलर की कंपनी बनाना है। इसके साथ ही वह चाहती हैं कि कंपनी अपनी भारतीय जड़ों से जुड़ी रहे और सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाए।
नाडिया चौहान की यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि और नवाचार से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
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