Neeraj encounter Mathura: नीरज अपराधी था या नहीं? मथुरा एनकाउंटर पर उठे कई सवाल
Neeraj encounter Mathura: मथुरा में हाल ही में हुए एक पुलिस मुठभेड़ (एनकाउंटर) ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। फरह थाना क्षेत्र में हुई चांदी लूट की घटना के बाद जिस नीरज को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया, अब उसी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या नीरज सच में अपराधी था? क्या उसका ये पहला अपराध था? क्या पुलिस ने सच में आत्मरक्षा में गोली चलाई या यह एक फर्जी मुठभेड़ थी?
गांव में सन्नाटा, परिवार में गुस्सा
नीरज मथुरा जिले के सैंया तहसील के गांव धाना का निवासी था। पुलिस ने दावा किया कि वह 82 किलो चांदी लूटने वाले गैंग का हिस्सा था और मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से उसकी मौत हुई। लेकिन परिवार इस कहानी को मानने को तैयार नहीं।
नीरज के बड़े भाई जितेंद्र ने बताया कि पुलिस ने जबरदस्ती उनके छोटे भाई को मार डाला। पुलिस ने नीरज के कमरे पर ताला लगा दिया और चाबी भी अपने साथ ले गए। उन्हें डर है कि कहीं पुलिस कुछ फर्जी सबूत कमरे में रखकर नीरज को बड़ा अपराधी साबित न कर दे।
भाभी ने लगाए गंभीर आरोप
नीरज की भाभी सीमा का कहना है कि पुलिस ने नीरज को पहले धमकाया, फिर घर में घुसकर तलाशी ली और बैग लेकर निकल गए। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मी हथियार दिखा रहे थे और चुप रहने के लिए धमका रहे थे। अगली सुबह पुलिस ने नीरज की मौत की सूचना दी।
सीमा का कहना है, “पुलिस ने देवर को मार दिया, वो निर्दोष था। हमें कुछ कहने तक नहीं दिया गया।”
ग्रामीणों को डर, जबरदस्ती अंतिम संस्कार?
गांव वालों ने बताया कि नीरज का अंतिम संस्कार पुलिस ने जल्दबाजी में करा दिया। गांव में करीब 40 पुलिसकर्मी पहुंचे और परिजनों के विरोध के बावजूद जबरदस्ती शव को पेट्रोल-डीजल डालकर जला दिया। ग्रामीणों का कहना है कि किसी को कुछ कहने तक नहीं दिया गया, सब डर के साए में हैं।
सामाजिक संगठनों का साथ
रविवार को कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी नीरज के घर पहुंचे। उन्होंने परिवार को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया। परिवार ने कहा है कि वे इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग में शिकायत करेंगे। अगर सुनवाई नहीं हुई तो मुख्यमंत्री और डीजीपी तक भी अपनी बात पहुंचाएंगे।
पुलिस का पक्ष
पुलिस का कहना है कि नीरज और पदम सिंह उर्फ राहुल को ग्वालियर बाईपास के पास मुठभेड़ में पकड़ा गया था। नीरज को दोनों पैरों में गोली लगी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उनके पास से लूटी गई चांदी, पिस्टल और बोलेरो गाड़ी बरामद की गई है।
एक और आरोपी गिरफ्तार
इस मामले में अछनेरा के गांव हसेला निवासी केपी उर्फ केंद्रपाल को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसे खेतों के पास से पकड़ा गया और एक बाइक व दो मोबाइल बरामद किए गए। बताया गया कि आरोपियों ने वारदात के बाद मोबाइल खेतों में फेंक दिए थे ताकि ट्रेस न हो सकें।
और कौन-कौन है फरार?
पुलिस अब तीन और युवकों की तलाश कर रही है – लव, रोहित और भोला। इनका भी नाम इस लूटकांड में सामने आया है। पुलिस की टीमें आगरा, अलीगढ़, भरतपुर समेत कई जिलों में दबिश दे रही हैं। अब तक 450 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा चुके हैं।
व्यापारी ने जताया पुलिस का आभार
चांदी कारोबारी गौरव और कन्हैया, जिनसे लूट हुई थी, उन्होंने पुलिस का धन्यवाद किया है। उनका कहना है कि पुलिस ने तेजी से कार्रवाई कर अपराधियों को पकड़ा और लूटी गई चांदी बरामद की।
सवाल कई हैं…
हालांकि व्यापारी खुश हैं, लेकिन दूसरी ओर नीरज की मौत ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है:
क्या नीरज वाकई अपराधी था, या पुलिस ने किसी मासूम को मुठभेड़ में मार दिया?
- क्या नीरज का आपराधिक इतिहास था?
- अगर वह लूट में शामिल था, तो कोई ठोस वीडियो या सबूत क्यों नहीं सामने आया?
- पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार जल्दबाज़ी में क्यों कराया?
- क्या परिवार की बिना सहमति शव जलाना उचित था?
- क्या मुठभेड़ जरूरी थी या गिरफ्तारी की और कोशिश की जा सकती थी?
भारत में एनकाउंटर कल्चर एक बार फिर चर्चा में है। कुछ लोग इसे पुलिस की बहादुरी मानते हैं, तो कुछ इसे कानून के खिलाफ सीधी कार्रवाई मानते हैं। नीरज की मौत से जुड़े सवालों के जवाब अभी सामने नहीं आए हैं। लेकिन अगर मुठभेड़ फर्जी साबित होती है, तो यह सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था पर एक धब्बा होगा।
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