
जस्टिस बीआर गवई
Next CJI of India: सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस बीआर गवई के नाम की आधिकारिक सिफारिश दी है। उनके नाम पर मोहर लगाने के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेज दिया गया है। इसके अलावा जस्टिस गवई के भारत के 52वे मुख्य न्यायाधीश बनना भी निश्चित हो चुका है।
आपको बता दें कि परंपरा अनुसार तत्कालीन CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी देते हैं जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो जाएगा।
Next CJI of India: गवई ने 1985 ने कानूनी कैरियर प्रारंभ किया
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अरावली में हुआ था। उन्होंने 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की थी। 1987 में मुंबई हाई कोर्ट में उन्होंने स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने एडवोकेट जनरल और हाई कोर्ट जज स्वर्गीय राजा भोंसले के साथ भी काम किया हुआ है। 1987 से लेकर 1990 तक मुंबई हाई कोर्ट में वकील थे। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के तहत कार्यरत थे। 14 नवंबर 2003 में मुंबई हाई कोर्ट एडिशनल जज के रूप में प्रमोट किए गए। फिर 12 नवंबर 2005 को वह मुंबई हाईकोर्ट के परमानेंट जज नियुक्त हुए।
Next CJI of India: दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस गवई
जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालकृष्णन भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे जो दलित थे। जस्टिस बालकृष्णन वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस गवई कई ऐतिहासिक फसलों में शामिल रहे। उनमें मोदी सरकार के 2016 के डिमॉनेटाइजेशन के फैसले को बरकरार रखना और चुनावी बॉण्ड योजना को और संवैधानिक घोषित करना भी सम्मिलित है। जस्टिस गवई के बाद जस्टिस सूर्यकांत त्रिपाठी इस लिस्ट में आते हैं। संभावना है कि उन्हें 53वा चीफ जस्टिस बनाया जाएगा।
Next CJI of India: गवई ने कहा था “लोगों का भरोसा हटा तो, भीड़ का न्याय अपने लगेंगे लोग”
जस्टिस गवई गुजरात के अहमदाबाद में 19 अक्टूबर को न्यायिक अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में शिरकत हुए थे। उस दौरान उन्होंने कहा कि पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज के किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता।
उन्होंने कहा था कि चुनाव लड़ने के लिए किसी भी जज का इस्तीफा देना निष्पक्षता को लेकर लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकता है। अगर विश्वास कम हुआ तो लोग ज्यूडिशल सिस्टम के बाहर न्याय तलाशेंगे। न्याय के लिए लोग भ्रष्टाचार, भीड़ के न्याय के जैसे तरीके भी अपना सकते हैं। इससे समाज में कानून व्यवस्था को नुकसान हो सकता है।
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