
Nimisha Priya: यमन में फांसी की सजा से बचीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, भारत सरकार और सामाजिक नेताओं की कोशिशों से मिली राहत
Nimisha Priya: केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा मिलने वाली थी, लेकिन अब उन्हें बड़ी राहत मिल गई है। यमन के स्थानीय अधिकारियों ने उनकी फांसी की सजा फिलहाल स्थगित कर दी है। यह फैसला भारत सरकार और सामाजिक नेताओं की लंबी कोशिशों का नतीजा है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया एक भारतीय नर्स हैं जो केरल की रहने वाली हैं। वे काम के सिलसिले में यमन गई थीं और वहीं उन्होंने एक स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर व्यवसाय शुरू किया था।
हत्या का आरोप
वर्ष 2017 में तलाल अब्दो महदी की हत्या हो गई थी। यमन पुलिस का आरोप था कि इस हत्या में निमिषा प्रिया का हाथ है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और साल 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी।
निमिषा ने इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अपील की, लेकिन साल 2023 में अंतिम अपील भी खारिज* कर दी गई। इसके बाद 16 जुलाई 2025 को उन्हें फांसी देने की तारीख तय कर दी गई थी।
भारत सरकार की पहल
निमिषा की मां और वकीलों ने भारत सरकार से गुहार लगाई थी कि उनकी बेटी को बचाने के लिए राजनयिक स्तर पर हस्तक्षेप किया जाए। इसके बाद भारत सरकार एक्टिव हुई और यमन के अधिकारियों से लगातार बातचीत करने लगी।
सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी गई कि भारत के विदेश मंत्रालय और अन्य विभाग यमन सरकार के साथ संपर्क में हैं। भारत सरकार ने यमन से अपील की कि जब तक बातचीत चल रही है, तब तक निमिषा को फांसी ना दी जाए।
धार्मिक नेताओं की भी कोशिश
केरल के प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम नेता कंथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार ने भी इस मामले में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने यमन के सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हफीज के प्रतिनिधियों के जरिए मृतक के परिवार से बातचीत शुरू करवाई।
यमन में शरिया कानून लागू है और इस कानून के तहत हत्या के मामलों में “ब्लड मनी यानी मुआवज़ा देकर फांसी की सजा को रोका जा सकता है।
क्या है ब्लड मनी?
ब्लड मनी एक तरह का आर्थिक मुआवजा होता है जो आरोपी पक्ष मृतक के परिवार को देता है। अगर मृतक का परिवार यह मुआवजा स्वीकार कर ले, तो सजा को टाला या रद्द किया जा सकता है।
अब तक तलाल महदी के परिवार से संपर्क करना बेहद मुश्किल माना जा रहा था, लेकिन हाल ही में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। मृतक के परिवार का एक सदस्य होदेइदाह राज्य न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और यमन की शूरा काउंसिल का सदस्य है। उसने बातचीत में हिस्सा लिया है।
इससे उम्मीद जगी है कि ब्लड मनी के ज़रिए इस मामले का समाधान हो सकता है और निमिषा को स्थायी रूप से फांसी से राहत* मिल सकती है।
यमन सरकार ने सजा टाली
इन तमाम प्रयासों के बाद, यमन की सरकार ने 16 जुलाई को दी जाने वाली फांसी की सजा को फिलहाल स्थगित कर दिया है। यह फैसला भारत सरकार, सामाजिक और धार्मिक नेताओं के लगातार प्रयासों का परिणाम है।
सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही सुनवाई
भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई हुई थी, जिसमें सरकार ने साफ कहा कि वह निमिषा की जिंदगी बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
आगे क्या?
अब सबकी नजरें मृतक के परिवार के फैसले पर टिकी हैं। अगर वे ब्लड मनी स्वीकार कर लेते हैं, तो निमिषा की फांसी की सजा पूरी तरह रद्द हो सकती है। अगर वे इनकार करते हैं, तो यमन के कानून के अनुसार उन्हें फिर से फांसी का सामना करना पड़ सकता है।
निमिषा प्रिया का मामला दिखाता है कि कैसे एक नागरिक की जिंदगी बचाने के लिए सरकार, समाज और धार्मिक नेताओं को मिलकर काम करना पड़ता है। फिलहाल राहत की बात यह है कि उनकी सजा टाल दी गई है, लेकिन अंतिम समाधान अभी बाकी है।
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