
Nimisha Priya Case: क्या निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द हो गई? जानिए वायरल दावे की सच्चाई
Nimisha Priya Case: सोशल मीडिया और कुछ खबरों में यह दावा तेजी से वायरल हो रहा है कि यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द कर दी गई है। बताया जा रहा है कि यमन में एक हाई लेवल मीटिंग के बाद यह फैसला लिया गया। लेकिन क्या यह खबर सही है? क्या वाकई निमिषा प्रिया अब फांसी से बच गई हैं? इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे इस पूरे मामले की सच्चाई और वर्तमान स्थिति क्या है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली एक नर्स हैं। साल 2008 में वो काम के सिलसिले में यमन गई थीं। वहां उन्होंने कई अस्पतालों में सेवाएं दीं और धीरे-धीरे मेडिकल क्षेत्र में एक स्थायी पहचान बनाई। साल 2015 में उन्होंने यमन के ही एक नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक मेडिकल क्लीनिक शुरू किया।
शुरुआत में सबकुछ सामान्य रहा लेकिन दो साल बाद उनके रिश्ते बिगड़ने लगे। विवाद इतना बढ़ गया कि 2017 में महदी का शव एक वाटर टैंक में मिला। जांच में पता चला कि महदी की मौत नींद की दवा के ओवरडोज़ से हुई थी। हत्या के एक महीने बाद यमन-सऊदी बॉर्डर पर निमिषा प्रिया को गिरफ्तार कर लिया गया।
कोर्ट का फैसला और मौत की सजा
2020 में सना की एक कोर्ट ने निमिषा प्रिया को हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई। 2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। तब से लेकर अब तक निमिषा सना की जेल में बंद हैं। 16 जुलाई 2024 को उनकी फांसी की तारीख तय थी।
किसने दखल दिया?
जब निमिषा की फांसी की तारीख नजदीक आई, तो भारत के ग्रैंड मुफ्ती और सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने यमन के धार्मिक नेताओं से बातचीत की और आखिरकार उनकी कोशिशों से फांसी पर रोक लग गई।
हालांकि, यह सिर्फ एक अस्थायी राहत थी। अभी भी निमिषा की मौत की सजा बरकरार है। उन्होंने क्षमा प्राप्त करने के लिए यमन की “ब्लड मनी” प्रणाली के तहत प्रयास भी किए हैं, लेकिन परिवार की ओर से अब तक माफीनामा नहीं दिया गया है।
क्या फांसी की सजा पलटी गई?
मंगलवार को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि निमिषा की मौत की सजा रद्द कर दी गई है। कहा गया कि यमन में एक हाई लेवल मीटिंग के बाद यह फैसला लिया गया है, जिसमें ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका अहम रही।
हालांकि इस खबर की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। भारत सरकार और यमन सरकार — दोनों में से किसी ने भी इस दावे पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत के विदेश मंत्रालय या उच्चायोग ने भी कोई बयान जारी नहीं किया है।
फर्जी है दावा? क्या कहते हैं सूत्र?
सूत्रों के अनुसार, यह दावा फर्जी है। यमन प्रशासन की ओर से निमिषा की सजा पलटे जाने का कोई दस्तावेज़ी प्रमाण सामने नहीं आया है। सना जेल में वह अब भी बंद हैं और सजा पर स्थगन के अलावा कोई बदलाव नहीं हुआ है।
यह भी कहा जा रहा है कि ग्रैंड मुफ्ती के ऑफिस से जो बयान जारी हुआ, वह पूरी तरह आधिकारिक दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि एक “अनौपचारिक सूचना” के तौर पर देखा जा रहा है। इसलिए जब तक यमन की सरकार या न्यायिक संस्थाएं कोई स्पष्ट घोषणा नहीं करतीं, तब तक यह कहना कि निमिषा की सजा पलट गई है — ग़लत और भ्रामक होगा।
सरकार की प्रतिक्रिया और जनता की चिंता
भारत सरकार पिछले कई वर्षों से इस मामले में राजनयिक और कानूनी स्तर पर प्रयास कर रही है। लेकिन फिलहाल सरकार की ओर से कोई नई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ऐसे में लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
निमिषा की मां और परिजन भारत सरकार से लगातार अपील कर रहे हैं कि उनकी बेटी को मौत की सजा से बचाया जाए और उसे स्वदेश लाया जाए। इसके लिए कई सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी आवाज़ उठाई है।
अब आगे क्या?
इस समय निमिषा की सजा स्थगित है लेकिन रद्द नहीं हुई है। अगर यमन के मृतक के परिजन “ब्लड मनी” यानी मुआवज़े के बदले माफीनामा देते हैं, तो निमिषा को राहत मिल सकती है। इसके लिए अभी भी बातचीत जारी है। लेकिन जब तक कोई आधिकारिक घोषणा या दस्तावेज़ी प्रमाण सामने नहीं आता, तब तक यह मान लेना जल्दबाज़ी होगी कि निमिषा की फांसी की सजा पलट दी गई है।
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