भारत में E-cigarette भले ही कई साल पहले पूरी तरह से बैन कर दी गई हो, लेकिन यह मुद्दा एक बार फिर संसद के अंदर गरमाता दिखाई दिया। बुधवार को लोकसभा में भाजपा नेता Anurag Thakur ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक सांसद पर सदन के भीतर ई-सिगरेट पीने का गंभीर आरोप लगाया।
भारत में E-cigarette भले ही कई साल पहले पूरी तरह से बैन कर दी गई हो, लेकिन यह मुद्दा एक बार फिर संसद के अंदर गरमाता दिखाई दिया। बुधवार को लोकसभा में भाजपा नेता Anurag Thakur ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक सांसद पर सदन के भीतर ई-सिगरेट पीने का गंभीर आरोप लगाया। यह आरोप लगते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया और दोनों दलों के नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
इस विवाद के बाद ई-सिगरेट और उस पर भारत सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को लेकर चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है।
भारत में कब और क्यों बैन हुई थी E-cigarette?
भारत सरकार ने वर्ष 2019 में E-cigarette और इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा करते हुए बताया था कि इन उत्पादों के निर्माण, आयात, निर्यात, बिक्री, वितरण, विज्ञापन और भंडारण तक पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। सरकार का कहना था कि यह कदम युवाओं को तेजी से बढ़ रही निकोटिन की लत से बचाने के लिए उठाया गया है, क्योंकि भारत में ई-सिगरेट किशोरों और छात्रों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही थी।
इससे पहले, 20 मई 2019 को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने केंद्र सरकार को एक विस्तृत व्हाइट पेपर सौंपा था। इस रिपोर्ट में ई-सिगरेट को स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक बताया गया और सरकार से इस पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की गई। ICMR ने चेतावनी दी थी कि ई-सिगरेट को पारंपरिक सिगरेट के “सुरक्षित विकल्प” के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि इसका वैज्ञानिक आधार कमजोर है और इसके दुष्प्रभाव बेहद खतरनाक हैं।
क्या होती है E-cigarette, कैसे करती है नुकसान?
ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसमें निकोटिन या अन्य केमिकल युक्त लिक्विड भरा जाता है। यह डिवाइस बैटरी की मदद से इस लिक्विड को भाप में बदल देती है, जिसे उपयोगकर्ता इन्हेल करता है। इसे अक्सर पारंपरिक धूम्रपान के विकल्प के रूप में मार्केट किया जाता रहा है।
हालांकि, शोधों में पाया गया है कि ई-सिगरेट में प्रयुक्त लिक्विड और केमिकल न सिर्फ निकोटिन की लत को बढ़ाते हैं, बल्कि फेफड़ों पर गंभीर दुष्प्रभाव डालते हैं।
वैज्ञानिक अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि इनसे
- अस्थमा
- पॉपकॉर्न लंग्स (Bronchiolitis Obliterans)
- लंग कैंसर
- हार्ट डिज़ीज़
- फेफड़ों में सूजन
जैसी समस्याओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
दुनिया के कई देशों ने भी इसके बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए इस पर सख्त कदम उठाए हैं। कुछ देशों में E-cigarette पर पूर्ण प्रतिबंध है, जबकि कई जगह आंशिक नियंत्रण लागू हैं। वहीं कुछ देशों में यह अभी भी कानूनी रूप से उपलब्ध है।
ई-सिगरेट पर भारत का स्टैंड सबसे कड़ा
भारत ने इसे न सिर्फ खतरनाक मानते हुए बैन किया, बल्कि इसे रखने या बेचने पर भी सख्त दंडात्मक प्रावधान लागू किए हैं। सरकार का तर्क है कि E-cigarette के माध्यम से निकोटिन की लत नई पीढ़ी में तेजी से फैल सकती थी, इसलिए इसे पूरी तरह रोकना जरूरी था।
ICMR की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि “नई जनरेशन में यह भ्रम फैल रहा है कि ई-सिगरेट सामान्य सिगरेट से सुरक्षित है”, जबकि यह गलत धारणा स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है।
E-cigarette पीने या रखने पर क्या है सजा?
भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानून के तहत:
पहली बार अपराध:
- एक साल तक की कैद
- 1 लाख रुपये तक का जुर्माना
- या दोनों
दूसरी बार अपराध:
- 3 साल तक की कैद
- 5 लाख रुपये तक जुर्माना
- या दोनों
यह कानून ई-सिगरेट ही नहीं, बल्कि ई-हुक्का पर भी लागू होता है।
इन प्रावधानों का मकसद ई-सिगरेट के इस्तेमाल और इसके अवैध कारोबार को पूरी तरह रोकना है।
संसद में हंगामे के बाद क्यों हुई चर्चा तेज?
Anurag Thakur द्वारा लगाए गए आरोप के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने एक-दूसरे पर तीखे बयान दिए। यह मामला इतना बढ़ा कि इसे तंबाकू नियंत्रण कानून और संसदीय मर्यादा से जोड़कर देखा जाने लगा।
हालांकि तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन घटना ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया कि जब देश में E-cigarette पूरी तरह प्रतिबंधित है, तो क्या संसद के भीतर ऐसे उपकरण का इस्तेमाल संभव है?
यह विवाद एक बड़े सवाल को सामने लाता है। क्या बैन के बावजूद E-cigarette भारत में कहीं न कहीं अब भी उपलब्ध और उपयोग में है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद बाजार में अवैध ई-सिगरेट और वेपिंग डिवाइस की बिक्री पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, जो चिंता का विषय है।
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