
Periods During Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के बीच पीरियड्स? जानें क्या करें, क्या नहीं
Periods During Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पावन समय चल रहा है। माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना में हर कोई डूबा हुआ है। इन नौ दिनों में लाखों श्रद्धालु उपवास रखते हैं और पूरे मन से पूजा-पाठ करते हैं। लेकिन महिलाओं के सामने एक सवाल अक्सर आ जाता है—अगर नवरात्रि के व्रत के दौरान पीरियड्स आ जाएं, तो क्या करना चाहिए? व्रत तोड़ देना चाहिए या फिर पूजा जारी रखनी चाहिए?
यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि परंपरा और धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ आज की जीवनशैली और वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी हमारे सामने मौजूद हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि पीरियड्स के दौरान नवरात्रि व्रत और पूजा-पाठ को लेकर शास्त्र और समाज क्या कहते हैं।
पीरियड्स के दौरान व्रत: क्या रखना चाहिए या छोड़ना चाहिए?
सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि पीरियड्स कोई बीमारी नहीं है। यह महिलाओं की एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है। धार्मिक दृष्टि से भी पीरियड्स व्रत को खंडित नहीं करते। यानी, यदि आपने नौ दिन का व्रत रखने का संकल्प लिया है, तो पीरियड्स आने पर भी आप व्रत जारी रख सकती हैं।
हाँ, पूजा-पाठ और प्रत्यक्ष रूप से पूजा सामग्री को छूने से बचना चाहिए। इस दौरान आप मानसिक रूप से माँ दुर्गा का स्मरण करें, मंत्र जाप करें और प्रार्थना करें।
पूजा-पाठ क्यों नहीं करने की परंपरा बनी?
शास्त्रों में साफ लिखा है कि पीरियड्स कोई अशुद्धि नहीं है। पहले के समय में महिलाएं इस दौरान काफी पीड़ा और थकान महसूस करती थीं। इसलिए उन्हें आराम मिल सके, इसी वजह से घर के बड़े-बुजुर्गों ने उन्हें पूजा-पाठ से विराम लेने की सलाह दी थी। लेकिन समय के साथ यह सलाह अंधविश्वास में बदल गई और महिलाओं को पूजा से दूर कर दिया गया।
असल में, यह एक आराम देने की परंपरा थी, न कि कोई धार्मिक बाध्यता।
पीरियड्स के दौरान नवरात्रि व्रत का पालन कैसे करें?
- मानसिक रूप से जुड़ें – इस समय आप माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप कर सकती हैं, दुर्गा चालीसा सुन सकती हैं या मानसिक रूप से माँ का स्मरण कर सकती हैं।
- आराम को प्राथमिकता दें – यदि शरीर साथ नहीं दे रहा, तो केवल फलाहार या हल्का भोजन करके व्रत का पालन करें। माँ भक्ति में भाव ही सबसे बड़ा है।
- परिवार की मदद लें – यदि घर में कोई और पूजा कर सकता है तो उनसे आरती और पूजन करवाएं। इससे पूजा भी हो जाएगी और आपको आराम भी मिलेगा।
- पीरियड्स खत्म होने के बाद – शुद्ध होकर स्नान करें और दुबारा पूजा-अर्चना शुरू करें। चाहें तो अतिरिक्त भोग या दीपक अर्पित करके अपना संकल्प पूरा कर सकती हैं।
मिट्टी की प्रतिमा से कैसे करें पूजा?
अगर आप चाहें, तो नवरात्रि की शुरुआत में ही एक छोटी मिट्टी की प्रतिमा या माता की पिंडी बनाकर पूजा कर सकती हैं।
- प्रतिमा बनाने के लिए मिट्टी और दूध का प्रयोग करें।
- उस पर हल्दी और कुमकुम अर्पित करें।
- भोग में खीर, हलवा, फल या चने चढ़ा सकते हैं।
- दुर्गा सप्तशती, दुर्गा कवच या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
नवरात्रि के अंत में हवन करके इस मिट्टी की प्रतिमा को गंगाजल या दूध से विसर्जित कर दें और उसका जल पीपल के पेड़ में अर्पित कर दें। इस तरह पीरियड्स में भी आपकी पूजा बाधित नहीं होगी।
धार्मिक मान्यताओं का संदेश
धार्मिक मान्यता साफ कहती है—मन में भगवान के प्रति आस्था सबसे बड़ी पूजा है।
पीरियड्स आपकी आस्था और भक्ति को कम नहीं करते। माँ दुर्गा करुणामयी हैं, वह आपकी भावनाओं को समझती हैं। अगर आप दिल से माँ का ध्यान कर रही हैं, तो आपको व्रत का पूरा फल मिलेगा।
पीरियड्स और समाज की सोच
आज भी कई घरों में पीरियड्स को लेकर रूढ़िवादी सोच कायम है। महिलाओं को पूजा से दूर रखा जाता है और उन्हें अछूत जैसा महसूस कराया जाता है। लेकिन धीरे-धीरे यह सोच बदल रही है। अब समय आ गया है कि हम पीरियड्स को एक सामान्य प्रक्रिया मानें और महिलाओं को शर्मिंदगी से मुक्ति दिलाएं।
नवरात्रि जैसे पर्व इसी बात का प्रतीक हैं कि माँ शक्ति हर स्त्री में विद्यमान है। और जब माँ ही शक्ति का स्रोत हैं, तो उनके द्वारा दी गई प्राकृतिक प्रक्रिया कभी भी अपवित्र नहीं हो सकती।
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