प्रधानमंत्री कार्यालय के सबसे करीबी और गोपनीय समझे जाने वाले ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) Hiren Joshi, लॉ कमीशन सदस्य हितेश जैन और Prasar Bharati चेयरमैन नवनीत सहगल का पद छोड़ना सिर्फ सामान्य प्रशासनिक फेरबदल नहीं माना जा रहा।
केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में 48 घंटों के भीतर तीन प्रभावशाली पदाधिकारियों के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों को हिलाकर रख दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के सबसे करीबी और गोपनीय समझे जाने वाले ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) Hiren Joshi, लॉ कमीशन सदस्य हितेश जैन और Prasar Bharati चेयरमैन नवनीत सहगल का पद छोड़ना सिर्फ सामान्य प्रशासनिक फेरबदल नहीं माना जा रहा। इस घटनाक्रम ने सोशल मीडिया, विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच सवालों की झड़ी लगा दी है।
Hiren Joshi की ‘शांत विदाई’ पर उठे सवाल
Hiren Joshi पिछले एक दशक से अधिक समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मीडिया मैनेजमेंट, रणनीतिक संचार और डिजिटल नेटवर्किंग के सबसे भरोसेमंद सहयोगी माने जाते थे। राजनीतिक हलकों में उन्हें “PM Modi का सबसे गोपनीय मैन” और मीडिया हाउसों के भीतर एक शक्तिशाली कड़ी माना जाता था। उनके अचानक इस्तीफे और सार्वजनिक रूप से कोई स्पष्टीकरण न दिए जाने ने अफवाहों और अटकलों को जन्म दे दिया है।
इसी के साथ, लॉ कमीशन के सदस्य हितेश जैन और Prasar Bharati के चेयरमैन नवनीत सहगल के हटने ने यह चर्चा और तेज कर दी कि यह सिर्फ प्रशासनिक फेरबदल नहीं बल्कि किसी बड़े विस्फोट से पहले की खामोशी है।
कांग्रेस का आरोप ‘PMO में कुछ गड़बड़ है’
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रधानमंत्री के सबसे करीबी OSD की अचानक विदाई संदिग्ध है। उन्होंने कहा, “Hiren Joshi जिनके इशारे पर मीडिया चलता रहा, उन्हें अचानक हटा दिया जाता है… क्या इस देश को सच जानने का हक़ नहीं?” उन्होंने आगे जोड़ा, “प्रधानमंत्री कार्यालय में कुछ तो गड़बड़ है।”
पवन खेड़ा ने भी कहा, “Hiren Joshi कौन सा बिजनेस कर रहे थे? कौन सी बेटिंग ऐप? विदेशी नेटवर्क का क्या मामला है?” कांग्रेस का आरोप है कि PMO से जुड़े लोग विदेशी पैसों के नेटवर्क के संपर्क में थे और इसे छुपाने के लिए ‘शांत इस्तीफे’ कराए गए।
सोशल मीडिया पर वायरल दावे और विवाद
कुछ राजनीतिक टिप्पणीकारों ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित दस्तावेज़ों में दावा है कि जोशी को दुबई स्थित Mahadev betting app ऑपरेटर्स से कथित रूप से रकम मिलती थी। आरोप यह भी लगाया गया कि मीडिया नैरेटिव मैनेजमेंट और चैनलों को प्रभावित करने के बदले कमीशन दिया जाता रहा।
कुछ पोस्ट में यह भी कहा गया कि लॉ कमीशन के जरिये कथित रूप से बेटिंग कानूनों में ढील दिलाने की कोशिश की गई और इसी विवाद के बाद हितेश जैन का इस्तीफा हुआ। हालांकि इन दावों को सरकारी स्तर पर न तो पुष्टि मिली है और न ही आधिकारिक खंडन किया गया है, जिससे चर्चा और तेज हो गई है।
नवनीत सहगल पर भी अटकलें
Prasar Bharati चेयरमैन नवनीत सहगल को लेकर भी सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि उनकी विदाई किन परिस्थितियों में हुई, हालांकि उनकी भूमिका को लेकर स्पष्टता अभी नहीं है।
हिमानी सूद का नाम भी विवाद में
पूरा विवाद तब और गहरा गया जब लेखिका रूबी अरुण ने अपनी पोस्ट में हिमानी सूद नाम की महिला का उल्लेख किया जो चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की प्रो-वाइस चांसलर और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की करीबी बताई जाती हैं। आरोप है कि Hiren Joshi के साथ निकटता के बाद उनके लिए एक संगठन India Minorities Federation बनाया गया, जिसमें इस्लामिक देशों के राजदूतों से लेकर विभिन्न धर्मों के नेताओं को शामिल किया गया।
रिपोर्ट्स में दावा है कि हिमानी सूद प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर भी साथ रहीं, पापल मीटिंग्स में शामिल हुईं और प्रधानमंत्री की 75वीं सालगिरह पर “मैं हूं भारत” अभियान की घोषणा की। सोशल मीडिया पर ये सवाल उठ रहे हैं कि यह नेटवर्क कैसे बना और इसका उद्देश्य क्या था।
सरकार की चुप्पी और बढ़ते सवाल
अब तक सरकार ने इन इस्तीफों और आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। विशेषज्ञों के अनुसार चुप्पी कहीं न कहीं जवाबदेही का दबाव बढ़ा रही है। विपक्ष ने यह मुद्दा संसद और मीडिया में उठाने की चेतावनी दी है।
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