दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना नदी में कथित तौर पर जहर मिलाने के अपने बयान पर चुनाव आयोग द्वारा पूछे गए सवालों का शुक्रवार को जवाब दिया। इस मामले को लेकर दिल्ली और हरियाणा की राजनीति में हलचल मच गई है, और चुनाव आयोग ने मामले की गहन जांच करने का संकेत दिया है।
केजरीवाल का जवाब और चुनाव आयोग के सवाल
चुनाव आयोग ने केजरीवाल से यमुना के पानी में जहर के मिलाने के संबंध में पांच प्रमुख सवाल पूछे थे। इनमें पानी में जहर की मात्रा, इसके प्रमाण, और यह कहां मिला है, जैसे सवाल शामिल थे। इन सवालों का जवाब देते हुए केजरीवाल ने बताया कि यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ी हुई थी, और यह जानकारी दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ की चिट्ठी में भी दी गई थी।
उन्होंने यह भी बताया कि जल बोर्ड के अधिकारी इस संदूषण को पहचानने में शामिल थे और यह सबूत चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किए गए।
केजरीवाल का चुनाव आयोग पर आरोप
इन सवालों का जवाब देने के बाद, केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त ने हरियाणा सरकार और भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, तो यह माना जाएगा कि आयोग सत्ताधारी दल के पक्ष में काम कर रहा है। उन्होंने इस मुद्दे पर शांत बैठने का इरादा नहीं जताया और कहा कि यदि उनके खिलाफ कोई अवैध कार्रवाई होती है, तो वह इसे स्वीकार करेंगे।
दिल्लीवासियों की सफलता और केजरीवाल का बयान
केजरीवाल ने इस मुद्दे पर दिल्लीवासियों की तारीफ की और कहा कि उनकी मेहनत के कारण यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा में कमी आई है। उन्होंने दावा किया कि अगर वे संघर्ष नहीं करते, तो दिल्ली की बड़ी आबादी को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता। उन्होंने दिल्लीवासियों की मेहनत की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी।
चुनाव आयोग की आगामी कार्रवाई
चुनाव आयोग ने केजरीवाल से उत्तर प्राप्त करने के बाद इस मामले पर और गहराई से विचार करने का संकेत दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले की निष्पक्षता से जांच करेगा और इस पर फैसला मेरिट के आधार पर लिया जाएगा। इसके साथ ही, आयोग ने केजरीवाल को एक और अवसर दिया है ताकि वे आरोपों को सही साबित कर सकें।
क्यों यह मामला महत्वपूर्ण है?
यह मामला सिर्फ यमुना के पानी में जहर मिलाने के आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति, चुनाव आयोग की निष्पक्षता, और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से भी जुड़ा हुआ है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने केजरीवाल को घेरते हुए इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या निर्णय लेता है।
आगे क्या होगा? चुनाव आयोग ने केजरीवाल से तथ्यों के साथ जवाब मांगा है, और अब यह देखना होगा कि वह अपनी बात सही साबित कर पाते हैं या नहीं। इस मुद्दे पर आगामी दिनों में और राजनीति गरमाने की संभावना है।
बजट 2025: मिडिल क्लास को मिलेगी बड़ी राहत? पीएम मोदी के बयान से मिल रहे संकेत!