Waqf Board कानून फिलहाल बहुत चर्चा में चल रहा है यह यू कहीं की बहुत विवादों में चल रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा कौन सा कारण है जिस वजह से वक्फ़ बोर्ड हमेशा सवालों के घेरे में रहता है। और आए दिन इस पर विवाद होते रहते हैं, आज संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ आज भी Waqf Board पर चर्चा हुई और नेताओं ने अलग-अलग बयान दिए। आज हम आपको यही बताएंगे आखिर वक्फ़ बोर्ड क्या है इसका पूरा इतिहास क्या है और यह क्यों विवादों में घिरा रहता है?
क्या है Waqf Board?
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ़ का अर्थ होता है “अल्लाह के नाम” यानी एक ऐसी जमीन जिस पर किसी व्यक्ति या संस्था का औपचारिक रूप से अधिकार नहीं है वो जमीन अल्लाह की होती है। और वक्फ़ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है जो तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है और कौन सी नहीं है। इस निर्धारण के तीन मूल आधार होते हैं – पहले आधार ये है अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी है, दूसरा अगर कोई मुसलमान या इस्लामिक संस्था जमीन का लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ़ की संपत्ति होना साबित हुआ तो वो पूरी ज़मीन वक्फ बोर्ड के नाम हो जाएगी। सीधे शब्दों में कहे तो Waqf Board मुस्लिम समाज की इस जमीनों पर नियंत्रण रखता है और उसी के लिए बनाया गया था जिससे इन जमीनों गलत और गैर कानूनी तरीके से इस्तेमाल होने और खरीदे और बेचे जाने पर रोक लगाई जा सके।
Waqf Board आखिर कैसे काम करता है ?
जितना ही अनोखा Waqf Board है उतना ही अनोखा उसका काम भी है ।वक्फ बोर्ड देश भर में जहां भी कब्रिस्तान की घेराबंदी करवाता है उसके आसपास की जो नजदीकी जमीन है उसे भी अपनी संपत्ति होने का दावा करता है या यूं कहे कि उसे अपनी संपत्ति ही करार देता है।और जो भी मजार और कब्रिस्तान होते हैं उनके आसपास की जमीन को वक्फ बोर्ड अपने नाम होने का दावा करता है और उस पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। जब 1995 में यह एक्ट आया था,उसके अनुसार अगर Waqf Board को लगता है कि कोई जमीन वक्फ़ की संपत्ति है तो यह सिद्ध करने की जिम्मेदारी वक्फ़ की नहीं है बल्कि उस जमीन के असली मालिक की जिम्मेदारी है कि वह साबित करेगा कि यह जमीन उसकी कैसे है। 1995 का कानून यह तो कहता है कि किसी व्यक्तिगत संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपनी दावेदारी नहीं कर सकता लेकिन यह तय कैसे होगा की संपत्ति निजी है? सीधे शब्दों में अगर कहे की यदि वक्फ को लगता है कि कोई संपत्ति उसकी है तो वक्फ़ को किसी दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं है जरूर उसको है जो जमीन का असली हकदार खुद को बताता है या हकदार है। और इसी बात का फायदा वक्त बोर्ड उठना है क्योंकि उसे कुछ पुख्ता कागज नहीं दिखाना पड़ता।
कब आया था Waqf Board?
बात करें अगर Waqf Board के आने की… तो वक्फ़ बोर्ड का गठन 1954 में हुआ था। वही 1995 में संशोधन से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्राप्त हुई थी। 1954 में जब पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस की सरकार थी तब संशोधन में और नए-नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को अपार शक्तियां सौंप दी गई। वक्फ़ एक्ट 1995 के सेक्शन 3(आर) के मुताबिक अगर कोई जमीन किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक, मजहबी या चैरिटेबल है तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी।
देश में आखिर कितने Waqf Board है ?
बात करें अगर देश में Waqf Board के संख्या की तो आपको बता दे कि देश में कुल एक सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड और 32 स्टेट
वक्फ़ बोर्ड है । और देश का केंद्रीय मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री केंद्रीय वक्फ़ बोर्ड का पादेन अध्यक्ष होता है।
वही मोदी सरकार ने इसमें दखल करते हुए एक नया कानून बनाया की अगर वक्फ़ की जमीन पर स्कूल, अस्पताल आदि बनाए जाते है ,तो उसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी ।
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