बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक Prashant Kishor पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए।
बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक Prashant Kishor पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए। उन्होंने न सिर्फ पार्टी की हार की जिम्मेदारी ली, बल्कि इसे अपना व्यक्तिगत नैतिक दायित्व बताते हुए जनता से माफी भी मांगी। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि वे आत्मचिंतन और प्रायश्चित के रूप में एक दिन का सामूहिक मौन उपवास रखेंगे।
जन सुराज की हार पर बोले “पूरी जिम्मेदारी मेरी है”
Prashant Kishor ने प्रेस वार्ता में साफ कहा कि चुनावी नतीजे उनकी उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत रहे और जनता का भरोसा जीतने में वे असफल रहे। उन्होंने स्वीकार किया “जनता को अपने विज़न पर भरोसा दिलाने में मैं सफल नहीं हुआ। यह असफलता मेरी है और मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।” किशोर के मुताबिक, जन सुराज ने बदलते बिहार की राजनीति के लिए एक वैकल्पिक मॉडल पेश करने की कोशिश की, लेकिन संगठन की कमी, बूथ स्तर पर कमजोर पकड़, ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित पहुंच और कैडर को प्रशिक्षित करने में कमी चुनाव परिणामों में साफ झलकी।
पहली बार दिखाई नरमी और आत्मालोचना का भाव
चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर तेज और आक्रामक शैली में दिखने वाले Prashant Kishor इस बार बेहद संयमित और भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि जनता ने जन सुराज के प्रयासों को जितना समर्थन दिया, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी, जिसे वे पूरी तरह निभा नहीं पाए।
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में ईमानदारी केवल जीत के समय नहीं बल्कि हार के दौरान भी दिखाई जाती है।
“जो किया, जैसा किया, जैसे नतीजे आए मैं सबके लिए जवाबदेह हूं,” उन्होंने कहा।
20 नवंबर को मौन उपवास, कार्यकर्ताओं को भी शामिल होने का आग्रह
किशोर ने घोषणा की कि वे 20 नवंबर को गांधीवादी परंपरा के अनुरूप एक दिन का मौन उपवास रखेंगे। यह उपवास किसी प्रदर्शन या प्रतीकात्मक राजनीति के लिए नहीं, बल्कि व्यक्तिगत आत्मनिरीक्षण के लिए होगा।
उन्होंने कहा “मैं अपनी कमियों को पहचानने, पार्टी की दिशा को फिर से व्यवस्थित करने और जनता से क्षमा मांगने के लिए मौन रहूंगा। यह मेरे लिए प्रायश्चित भी है और पुनर्विचार भी।” उन्होंने जन सुराज के सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील की कि वे भी अपनी-अपनी जगह शांति से बैठकर पार्टी के भविष्य और जनता की अपेक्षाओं के बारे में सोचें।
हार की वजहों पर भी किया खुलासा
पूरी हार का ठीकरा किसी एक व्यक्ति या किसी खास परिस्थिति पर फोड़ने के बजाय Prashant Kishor ने कई संरचनात्मक कारण गिनाए। बूथ स्तर पर पर्याप्त तैयारी नहीं हो सकी, पार्टी का नेटवर्क ग्रामीण इलाकों में अपेक्षित स्तर का नहीं बना, आर्थिक और संसाधनों की कमी का सीधा असर पड़ा, नए चेहरों और युवा उम्मीदवारों को उचित समय नहीं मिल पाया, जनता के मन में “जीतने योग्य पार्टी” की धारणा मजबूत नहीं बन पाई। उन्होंने कहा कि जन सुराज एक लंबी यात्रा है और हार से डरकर इसका लक्ष्य छोटा नहीं किया जाएगा।
क्या बदलेगी Prashant Kishor की रणनीति?
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि यह हार प्रशांत किशोर के लिए एक निर्णायक मुकाम साबित हो सकती है।
कुछ जानकार मानते हैं कि PK अब चुनावी रणनीतिकार की पुरानी शैली से हटकर “जन आंदोलन आधारित राजनीति” की ओर और मजबूती से बढ़ सकते हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें पार्टी को मजबूत करने के लिए पुराने नेताओं को शामिल करना होगा और स्थानीय स्तर पर संगठन विस्तार पर ज्यादा जोर देना पड़ेगा।
किशोर ने संकेत दिया कि वे चुनाव लड़ने की जल्दबाजी में नहीं हैं। उनके अनुसार, जन सुराज का लक्ष्य 10–15 साल की प्रक्रिया के बाद एक मजबूत वैकल्पिक राजनीतिक मॉडल बनाना है।
समर्थकों में मिला-जुला माहौल
जन सुराज के कार्यकर्ताओं में Prashant Kishor के इस बयान के बाद मिश्रित प्रतिक्रिया देखी गई। कुछ लोग इसे नेतृत्व की ईमानदारी और पारदर्शिता का उदाहरण बता रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि अभी जन सुराज को जमीनी स्तर पर लंबा संघर्ष करना होगा।
राजनीति से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि हार स्वीकारना आसान नहीं होता, और प्रशांत किशोर का यह कदम उनके नेतृत्व को परिपक्वता देता है।
छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा नक्सली ऑपरेशन, सुरक्षा बलों ने Madvi Hidma को मार गिराया
