
Prince death case: दिल्ली में मासूम की मौत, दोस्त चुप, पुलिस लापरवाह – कौन देगा इंसाफ, प्रिंस को न्याय कब मिलेगा ?
Prince death case: दिल्ली के किचड़ीपुर इलाके में रहने वाले एक मासूम बच्चे “प्रिंस” की दर्दनाक मौत ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। सिर्फ 14 साल का प्रिंस, जिसने हाल ही में 8वीं कक्षा पास की थी, आज इस दुनिया में नहीं है। उसका शव एक रेलवे ट्रैक पर मिला, लेकिन उसकी मौत जितनी रहस्यमयी है, उससे कहीं ज़्यादा रहस्यमयी है पुलिस और समाज की चुप्पी।
क्या था पूरा मामला?
प्रिंस के माता-पिता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, लेकिन रोज़गार की तलाश में दिल्ली के खिचड़ीपुर में रहते थे। 8वीं पास करने के बाद, वे प्रिंस को अपने गांव लेकर गए थे, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से दिल्ली लौट आए।
20 जून की सुबह करीब 8 बजे प्रिंस अपने घर से निकला। उसके माता-पिता के मुताबिक, उसके तीन दोस्तों – विशाल, रितेश और अविनाश – ने उसे मिलने के लिए बुलाया था। बताया जा रहा है कि वह विनोद नगर में उन दोस्तों से मिला था। इसके बाद क्या हुआ, इसका कोई ठोस जवाब अभी तक नहीं मिला है।
अगले दिन यानी 21 जून को प्रिंस की लाश असावटी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर मिली।
सवालों के घेरे में दोस्त और रितेश की बुआ
प्रिंस के माता-पिता का साफ आरोप है कि उसके तीनों दोस्त इस मौत में शामिल हो सकते हैं। उनका कहना है कि इन लड़कों ने पहले प्रिंस को नशा करवाया और फिर उसे रेलवे ट्रैक पर धकेल दिया।
उनका यह भी आरोप है कि रितेश की बुआ को सब कुछ पता था। जब पुलिस ने पूछताछ की तो उन्होंने कहा – “वो मेरे घर आए थे, लेकिन फिर सुबह ही चले गए।”
लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि रितेश की बुआ को 21 जून को ही पता था कि प्रिंस ट्रेन से कट गया है। फिर भी उन्होंने यह बात प्रिंस के माता-पिता को नहीं बताई।
एक महीने तक माता-पिता भटकते रहे
सोचिए, एक मां-बाप के लिए कितना दर्दनाक होगा कि उनका बच्चा एक महीने से लापता है और जिन लोगों को उसके बारे में जानकारी थी, वे चुपचाप तमाशा देखते रहे।
प्रिंस की मां बताती हैं कि उन्होंने हर दरवाज़ा खटखटाया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।
1 महीने और 5 दिन तक प्रिंस लापता रहा। लेकिन दुख की इंतहा तब हुई जब पुलिस ने बताया कि लाश तो 3 दिन बाद ही जला दी गई थी, और किसी ने माता-पिता को इसकी सूचना तक नहीं दी।
पुलिस का रवैया – संवेदनहीन और गैर-जिम्मेदाराना
जब माता-पिता ने पुलिस से गुहार लगाई, तो उन्हें सिर्फ टरकाया गया।
वे साउथ ईस्ट रेलवे स्टेशन गए थे। उन्हें शक था कि कहीं प्रिंस को चोरी के इल्जाम में पकड़ कर जेल में तो नहीं डाल दिया गया है। यहां तक कि वे 5 हजार रुपये लेकर गए थे – शायद पुलिस कुछ मदद कर दे। लेकिन वहां जाकर जो पता चला, उसने उनकी दुनिया उजाड़ दी। पुलिस ने सिर्फ एक फोटो दिखाई और कहा – “आपके बेटे को ट्रेन ने काट दिया, हमने लाश जला दी है।”
इंसाफ की लड़ाई में अकेले माता-पिता
प्रिंस की मां का कहना है कि उन्होंने FIR दर्ज कराई, और बार बार इंसाफ की मांग के लिए जाते है , लेकिन पुलिस ने उन्हें कल्याणपुरी थाने से भगा दिया।
अब सवाल यह उठता है कि –
- बिना माता-पिता की अनुमति के लाश को कैसे जला दिया गया?
- अगर दोस्तों को पहले से सब पता था, तो उन्होंने जानकारी क्यों नहीं दी?
- पुलिस ने उन दोस्तों से अब तक सख्ती से पूछताछ क्यों नहीं की?
यह सिर्फ प्रिंस की कहानी नहीं, यह व्यवस्था की नाकामी की कहानी है
प्रिंस की रहस्यमयी मौत कोई अकेली घटना नहीं है। लेकिन यह घटना हमें सवाल करने पर मजबूर करती है – क्या गरीब परिवारों के बच्चों की ज़िंदगियों की कोई कीमत नहीं है?
क्यों एक गरीब मां की आवाज़ को अनसुना कर दिया जाता है?
क्यों पुलिस सिर्फ केस बंद करने के लिए जांच करती है, सच्चाई तक पहुंचने के लिए नहीं?
समाज और प्रशासन कब जागेगा?
आज प्रिंस की मां हर दरवाज़े पर खटखटा रही हैं। उनकी आंखें सूख चुकी हैं, लेकिन उम्मीद अभी भी बाकी है कि कोई उनकी आवाज़ सुनेगा।
यह समय है, जब हम सबको एकजुट होकर सवाल उठाना होगा –
- प्रिंस के हत्यारों को सज़ा कब मिलेगी?
- दोषियों को बचाने वाले कौन लोग हैं?
- पुलिस की लापरवाही का जवाब कौन देगा?
हमारी मांगें:
- मामले की CBI या SIT से निष्पक्ष जांच हो।
- प्रिंस के दोस्तों और रितेश की बुआ से सख्ती से पूछताछ की जाए।
- जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
- माता-पिता को उचित मुआवज़ा और सुरक्षा दी जाए।
#JusticeForPrince सिर्फ एक हैशटैग नहीं, ये एक मां-बाप की आखिरी उम्मीद है। आइए, हम सब मिलकर इस मासूम को न्याय दिलाएं। क्योंकि अगर आज हम चुप रहे, तो कल किसी और का प्रिंस हमसे छिन जाएगा।
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