पंजाब में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को लेकर जारी विवाद शुक्रवार को उस समय गंभीर हो गया, जब पटियाला में PRTC (पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) के आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा kilometer scheme के खिलाफ किए जा रहे PRTC protest पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
पंजाब में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को लेकर जारी विवाद शुक्रवार को उस समय गंभीर हो गया, जब पटियाला में PRTC (पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) के आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा kilometer scheme के खिलाफ किए जा रहे PRTC protest पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। यह घटना उस समय हुई जब कर्मचारियों ने बस स्टैंड के मुख्य गेट बंद कर बसों की आवाजाही रोक दी, जिससे शहर में यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
घटना की शुरुआत शुक्रवार सुबह हुई, जब बड़ी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मचारी बस स्टैंड पर जमा हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार द्वारा लागू की जा रही kilometer scheme सीधे तौर पर सार्वजनिक परिवहन के निजीकरण की ओर कदम है। उनका आरोप है कि सरकार नई बसें खरीदने के बजाय निजी ऑपरेटरों से बसें लाने की योजना बना रही है, जिससे PRTC के कर्मचारियों की नौकरी असुरक्षित हो जाएगी।
प्रदर्शकारियों ने बस स्टैंड के गेट बंद करते हुए नारेबाजी की और किसी भी बस को बाहर निकलने नहीं दिया। इससे न केवल शहर में ट्रैफिक प्रभावित हुआ, बल्कि हजारों यात्रियों की आवाजाही भी बाधित हुई। प्रशासन के कई बार समझाने के बावजूद जब कर्मचारी पीछे हटने को तैयार नहीं हुए, तब पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को हटाया। लाठीचार्ज के बाद कई कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया।
PRTC protest क्यों हो रहा है?
PRTC protest कर्मचारियों का कहना है कि kilometer scheme से सड़क परिवहन व्यवस्था धीरे-धीरे पूरी तरह निजी हाथों में चली जाएगी। आउटसोर्स कर्मचारी पहले ही अस्थिर रोजगार स्थिति में हैं और स्कीम लागू होने से उनकी नौकरी की गारंटी पूरी तरह समाप्त हो सकती है। कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि PRTC पर मुफ्त बस यात्रा स्कीम का भारी वित्तीय बोझ है और सरकार द्वारा बकाया भुगतान न मिलने से हालात और खराब हो रहे हैं।
यूनियनों का तर्क है कि जब PRTC पहले से आर्थिक संकट झेल रहा है, तब निजी ऑपरेटरों को शामिल करना समस्या को और बढ़ाएगा। उनका कहना है कि सरकार को खुद नई बसें खरीदकर बेड़े को मजबूत करना चाहिए, न कि निजी कंपनियों को भुगतान कर बसें चलवानी चाहिए। कर्मचारियों ने नौकरी के नियमितीकरण, लंबित वेतन और सेवा शर्तों में सुधार की मांग भी उठाई है।
kilometer scheme पर सरकार की दलील
वहीं, PRTC अधिकारियों और सरकार का कहना है कि kilometer scheme निजीकरण नहीं है, बल्कि मौजूदा फंड की कमी के कारण एक अस्थायी समाधान है। अधिकारियों का दावा है कि नई बसें खरीदने के लिए बजट उपलब्ध नहीं है और निजी ऑपरेटरों से बसें लेकर रूट पर तुरंत सेवा शुरू की जा सकती है।
कुछ अधिकारियों ने यह भी कहा कि विरोध कर रही यूनियन कर्मचारियों का सिर्फ एक छोटा हिस्सा है, जबकि अधिकतर रूट सामान्य रूप से चल रहे हैं। हालांकि, विरोध की वजह से कई प्रमुख रूटों पर बसें घंटों तक प्रभावित रहीं।
बार-बार भड़कता विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब PRTC और अन्य रोडवेज कर्मचारी kilometer scheme के विरोध में सड़कों पर हैं। पूरे साल 2025 में कई बार बड़े प्रदर्शनों और हड़तालों ने बस सेवाएं ठप की हैं। जनवरी में तीन दिन की हड़ताल हुई थी, जबकि अगस्त और अक्टूबर में भी राज्यभर में बस स्टैंडों पर धरने और प्रदर्शन किए गए थे।
लगातार विरोध और कर्मचारियों की नाराजगी से साफ है कि यह मुद्दा जल्द शांत होने वाला नहीं है। यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अगर स्कीम पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और बड़ा दिखाई दे सकता है।
यात्रियों को भारी परेशानी
शुक्रवार को हुए घटनाक्रम का सबसे ज्यादा असर आम यात्रियों पर पड़ा। कई लोग बस स्टैंड पर घंटों फंसे रहे। स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, नौकरीपेशा लोग और दूसरे शहरों में यात्राएं कर रहे लोग मुश्किल में दिखे। कई यात्रियों को निजी वाहनों या ऑटो जैसी वैकल्पिक साधनों पर निर्भर होना पड़ा, जिससे यात्रा खर्च भी बढ़ गया।
Delhi NCR Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में हवा ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ स्तर की ओर, AQI 377 पहुंचा






2 thoughts on “PRTC protest: पटियाला में PRTC कर्मचारियों का उग्र प्रदर्शन, kilometer scheme के खिलाफ लाठीचार्ज, जानिए क्या है पूरा मामला”