
Punjab flood 2025 Updates जब गुरुओं की धरती रो पड़ी, दिलजीत दोसांझ बने सहारा
Punjab flood 2025 Updates: पंजाब इस समय 2025 की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। सरकारी आँकड़े बताते हैं कि अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 3.84 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। राज्य के 23 में से 15 ज़िले पानी-पानी हो चुके हैं। होशियारपुर, पठानकोट, अमृतसर, बरनाला, बठिंडा और लुधियाना – इन जिलों में सबसे ज्यादा तबाही दर्ज हुई है।
लेकिन ये आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं हैं… हर एक के पीछे एक टूटता हुआ परिवार है। कोई अपनी जिंदगी की कमाई बहते हुए देख रहा है, कोई मवेशियों को बचाने की कोशिश में खुद डूब गया, तो कोई मासूम बच्चा भूख और बीमारी के डर में रो रहा है।
किसान की करुण कहानी
पंजाब का किसान – जो पूरे देश का पेट भरता है – आज अपने ही घर में भूखा बैठा है। 1.71 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है। धान और मक्के की तैयार फसलें बर्बाद हो गई हैं।
बठिंडा के किसान बलविंदर सिंह की आँखों में आँसू हैं। वे कहते हैं –
“साल भर की मेहनत कुछ घंटों की बारिश और नदी के उफान में बह गई। कर्ज़ कैसे चुकाएँगे? बच्चों का भविष्य कहाँ से बनाएँगे?”
यह सवाल सिर्फ बलविंदर का नहीं है, बल्कि लाखों किसानों का दर्द है।
प्रशासन और राजनीति की हलचल
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हर प्रभावित गाँव में एक गज़ेटेड अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया है, ताकि राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके। किसानों को मुआवज़ा दिलाने के लिए विशेष गिरदावरी (फसल नुकसान का सर्वे) का ऐलान किया गया है।
हालाँकि, मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक न होने के कारण वे खुद प्रभावित इलाकों का दौरा नहीं कर पाए। वहीं, AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सुल्तानपुर लोधी पहुँचकर हालात का जायजा लिया और केंद्र सरकार से सवाल किया –
“जो मदद भारत सरकार अफगानिस्तान को दे सकती है, वही पंजाब के लोगों को क्यों नहीं?”
जरूरतें बड़ी, इंतज़ार लंबा
राहत-बचाव कार्य जारी है। लोग सुरक्षित शिविरों में पहुँचाए जा रहे हैं। लेकिन जरूरतें इतनी बड़ी हैं कि इंतज़ार लंबा लगता है। कहीं पीने के पानी की कमी है, तो कहीं बच्चों के लिए दूध नहीं। दवाइयाँ और कपड़े तक नहीं पहुँच पा रहे।
इस बीच, सतलुज, व्यास और रावी नदियाँ अभी भी खतरे के निशान पर हैं। मौसम विभाग ने राहत की उम्मीद जताई है कि बारिश कम हो सकती है, लेकिन बाढ़ का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है।
दिलजीत दोसांझ बने सहारा
इस संकट की घड़ी में एक नाम उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है – दिलजीत दोसांझ।
पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर लोगों से मदद की अपील की, बल्कि खुद आगे आकर योगदान भी दिया।
अपनी संस्था सांझ फाउंडेशन के ज़रिए उन्होंने गुरदासपुर और अमृतसर के 10 गाँवों को गोद लिया है।
वीडियो संदेश में उन्होंने कहा –
“पंजाब जख्मी है, लेकिन हारा नहीं। हम तब तक अपने लोगों के साथ रहेंगे, जब तक उनकी जिंदगी दोबारा पटरी पर नहीं लौटती।”
दिलजीत ने स्थानीय एनजीओ और युवाओं की सराहना की जो जमीन पर लगातार राहत कार्य में जुटे हैं।
बॉलीवुड की संवेदनाएँ
दिलजीत के साथ-साथ शाहरुख खान, आलिया भट्ट और कई बॉलीवुड सितारों ने भी सोशल मीडिया पर बाढ़ पीड़ितों के प्रति दुख जताया है। ये संदेश भले ही भौतिक मदद न हों, लेकिन पीड़ितों के लिए यह जानना कि देश उनके साथ खड़ा है – एक बड़ी ताकत है।
इंसानियत ही सबसे बड़ी राहत
पंजाब की यह त्रासदी सिर्फ एक राज्य की कहानी नहीं है। यह हम सबके लिए सबक है कि आपदा की घड़ी में इंसानियत ही सबसे बड़ी राहत बनती है।
आज जब पंजाब रो रहा है, तब सवाल सिर्फ सरकार से नहीं, समाज से भी है –
क्या हम सब मिलकर इन लाखों लोगों को फिर से खड़ा कर पाएंगे?
क्या किसान को उसकी खोई हुई उम्मीद वापस दिला पाएंगे?
पंजाब की ये तस्वीरें झकझोर देती हैं – गाँव डूबे हुए, घर उजड़े हुए, बच्चे भूखे और किसान निराश। लेकिन इन सबके बीच अगर कुछ जिंदा है तो वो है पंजाब की जिजीविषा – हार न मानने की ताकत।
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