
Purvanchal theft cases: पूर्वांचल में चोरी का कल्चर, ताले, खेत और ATM तक… कहीं सुरक्षित नहीं
Purvanchal theft cases: क्या आपने कभी सोचा है—जब आप अपने घर का ताला लगाकर बाहर जाते हैं, तो क्या वाकई आपका घर सुरक्षित है?
पूर्वांचल की गलियों और कस्बों में आज यही सबसे बड़ा सवाल है। यहाँ चोरी अब कोई “इंसिडेंट” नहीं रह गई, बल्कि लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है।
पूर्वांचल क्यों संवेदनशील है?
पूर्वांचल यानी उत्तर प्रदेश का पूर्वी हिस्सा—वाराणसी, जौनपुर, ग़ाज़ीपुर, बलिया, मऊ, आज़मगढ़, मिर्ज़ापुर, प्रयागराज और आसपास के इलाके।
यहाँ की तस्वीर साफ़ है—घनी आबादी, बेरोज़गारी, पुलिस की कमी और आर्थिक असमानता। यही वजह है कि चोरी की घटनाएँ यहाँ हमेशा ज़्यादा रहीं।
2010 में यूपी में दर्ज कुल 25,000 चोरी के मामलों में से लगभग 40% केस पूर्वांचल से थे। सोचिए, आधा यूपी यहाँ लूटता-टूटता दिखता था।
पहला दौर: 2010 से 2015 (SP सरकार)
इस समय चोरी का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ा।
- बाइक और कार चोरी
सबसे आसान चोरी—बाइक उठाना। वाराणसी और जौनपुर में हर दिन 4–5 बाइक गायब। ये वाहन बाद में बिहार-झारखंड में बेच दिए जाते।
2011 में ग़ाज़ीपुर के सैदपुर में एक रात में 11 बाइक गायब। - घर और दुकान चोरी
शादी-ब्याह का मतलब—चोरों का सीज़न।
बलिया और आज़मगढ़ में हर साल 600+ घरों में सेंधमारी।
2012: जौनपुर की ज्वेलरी शॉप से 50 लाख के गहने चोरी। - चेन स्नैचिंग
महिलाएँ मंदिर और बाज़ार में सबसे आसान शिकार।
2013: वाराणसी पुलिस ने कहा—हर हफ़्ते 8–10 चेन स्नैचिंग केस दर्ज होते हैं। - खेत-खलिहान चोरी
किसानों की मेहनत भी सुरक्षित नहीं।
2014: बलिया में रातों-रात पूरा धान का खेप चोरी। - धार्मिक स्थल चोरी
मंदिर की दानपेटिका, प्राचीन मूर्तियाँ तक चोरी होने लगीं।
2013: ग़ाज़ीपुर से 4 मूर्तियाँ गायब। - ATM और साइबर ठगी की शुरुआत
छोटे कस्बों से ATM मशीन तक उखाड़ ले जाते।
2014: सुल्तानपुर में ATM से 25 लाख चोरी।
जनता का गुस्सा साफ़ था—“SP सरकार में कानून-व्यवस्था का कहीं अता-पता नहीं।”
दूसरा दौर: 2016 से 2022 (योगी सरकार)
बीजेपी सत्ता में आई और नारा था—“गुंडाराज ख़त्म होगा।” लेकिन क्या चोरी रुकी? आंकड़े कुछ और कहते हैं।
- वाहन चोरी
पुलिस गश्त बढ़ाने का दावा, लेकिन 20% बढ़ोतरी।
2018: प्रयागराज में एक साल में 1,200 वाहन चोरी। - ATM और बैंक लूट
ATM काटने और उखाड़ने की घटनाएँ आम।
2019: बलिया में ATM को जेसीबी से उखाड़ ले गए। - घर-दुकान चोरी
2018–19: मऊ और जौनपुर में 2,000 से ज़्यादा केस। - मंदिर और मठ चोरी
2020: बलिया हनुमान मंदिर की दानपेटिका तोड़ी गई। - किसान फिर परेशान
ट्रैक्टर बैटरी, तार और फसलें चोरी।
2020: जौनपुर में एक रात में 25 ट्रैक्टर बैटरी गायब। - साइबर क्राइम का बूम
2019: वाराणसी में 100+ लोगों से 50 लाख की ठगी।
सरकार दावा करती रही—“गुंडाराज खत्म”, लेकिन चोरी का ग्राफ लगातार ऊपर जाता रहा।
तीसरा दौर: 2023 से 2025 (नए रिकॉर्ड)
अब हालात और गंभीर हैं।
- मोबाइल और बाइक चोरी
2023: BHU हॉस्टल से एक ही रात में 17 बाइक चोरी।
गोरखपुर स्टेशन से 120 मोबाइल गायब। - घर और दुकान चोरी
2024: बलिया में 6 महीने में 600 से ज़्यादा FIR।
मऊ में 2 महीने में 80 दुकानें तोड़ी गईं। - बैंक और ATM लूट
2024: आज़मगढ़ SBI ATM से 27 लाख चोरी।
जौनपुर में बैंक से 3 करोड़ कैश और ज्वेलरी गायब। - किसानों की मुसीबत जारी
2025: गोरखपुर के एक गाँव से 3 दिन में 45 भैंस चोरी। - नई रहस्यमयी घटनाएँ
अयोध्या में आसमान में ड्रोन जैसी लाइटें देखी गईं।
जनता बोली—“क्या ये अपराधियों की नई चाल है?”
कारण क्या हैं?
- बेरोज़गारी और गरीबी
- पुलिस की लापरवाही
- टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल
- अदालतों में मुकदमों की देरी
पूर्वांचल में चोरी अब “संयोग” नहीं, बल्कि “संस्कृति” बन चुकी है।
सरकारें बदलीं, नारे बदले, लेकिन जनता की हालत नहीं बदली।
आज भी लोग घर से निकलते समय यही सोचते हैं—“ताला लगाना सुरक्षा नहीं, बस एक औपचारिकता है।”
सवाल ये है—क्या कभी पूर्वांचल के लोग चैन की नींद सो पाएँगे? या फिर आने वाले सालों में “चोरराज” और गहराता जाएगा?
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