
CEC की नियुक्ति पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल
केंद्र सरकार द्वारा ज्ञानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किए जाने के फैसले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस नियुक्ति को ‘अनुचित’ और ‘अपमानजनक’ करार दिया है। राहुल गांधी का कहना है कि जब इस प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, तो फिर आधी रात को इसे लेकर फैसला लेना उचित नहीं है।
राहुल गांधी ने 18 फरवरी को X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा,
“स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उसकी नियुक्ति प्रक्रिया कार्यपालिका के प्रभाव से मुक्त हो। मोदी सरकार के इस कदम से करोड़ों मतदाताओं की निष्पक्ष चुनाव प्रणाली पर भरोसा कम हो सकता है।”
राहुल गांधी ने आगे कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उनका कर्तव्य है कि वे बाबासाहेब आंबेडकर और संविधान के आदर्शों की रक्षा करें और सरकार को जवाबदेह ठहराएं।
क्यों उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट में क्या मामला है?
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 19 फरवरी को होनी है। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि जब इस मामले पर शीर्ष अदालत का फैसला आना बाकी है, तो फिर सरकार ने इतनी जल्दी में यह नियुक्ति क्यों की?
दरअसल, 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था कि CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की समिति द्वारा की जानी चाहिए।
अदालत ने यह भी कहा था कि यदि यह प्रक्रिया केवल सरकार के हाथों में छोड़ दी जाती है, तो चुनाव आयोग की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
हालांकि, अगस्त 2023 में केंद्र सरकार ने एक नया कानून “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023” पारित किया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को बदल दिया।
नए कानून से क्या बदला?
इस नए कानून के तहत, CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाई गई समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल नहीं किया गया।
अब इस समिति में शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री
यानी, इस समिति में अब सरकार का बहुमत है, जिससे विपक्ष को लगता है कि यह निर्णय निष्पक्ष नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दायर हुई?
गैर-सरकारी संगठन (NGO) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
ADR का तर्क है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर दिया और बिना किसी ठोस आधार के CJI को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया। संगठन का कहना है कि इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर खतरा मंडराने लगा है।
क्या होगा आगे?
CEC की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी। इस मामले को प्राथमिकता पर सुना जाएगा, जिससे साफ है कि यह लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण केस साबित हो सकता है।
विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार सरकार को घेर रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने नए कानून के तहत नियुक्ति को पूरी तरह वैध बताया है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट का इस पर क्या फैसला आता है।