
जाने इस साल कब मनाई जाएगी Ram Navami जाने शुभ मुहूर्त ,पूजा विधि और महत्व।
जाने इस साल कब मनाई जाएगी Ram Navami जाने शुभ मुहूर्त ,पूजा विधि और महत्व। रामनवमी यानी की राम जन्म उत्सव इस दिन देश भर में जगह-जगह भगवान राम के जन्म उत्सव का आयोजन किया जाता है इस दिन कई शुभ योग्य बने हैं और साथ ही इस दिन का महत्व शास्त्रों में बहुत ही खास माना जाता है तो चलिए जानते हैं कब है रामनवमी और क्या है इसका हिंदू धर्म में महत्व।
Ram Navami कब है?
राम नवमी 2025 में 6 अप्रैल (रविवार) को मनाई जाएगी। यह हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आती है। इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन चैत्र नवरात्रि के समापन का भी प्रतीक है।
Ram Navami क्यों मनाई जाती है?
राम नवमी हिंदू धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था। श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने जीवनभर सत्य, धर्म और न्याय का पालन किया। वही यह दिन असत्य पर सत्य की विजय और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है।
Ram Navami का महत्व
धार्मिक महत्व – यह दिन भगवान श्रीराम की जयंती का होता है। श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लेकर पृथ्वी पर धर्म और सत्य की स्थापना की थी।
आध्यात्मिक महत्व – राम नवमी का दिन आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान राम का ध्यान करने से मन को शांति मिलती है।
सांस्कृतिक महत्व – राम नवमी का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, रामेश्वरम, नासिक और अन्य धार्मिक स्थलों पर विशेष कार्यक्रम होते हैं।
चैत्र नवरात्रि का समापन – यह दिन देवी दुर्गा के नौ दिनों के उपवास और साधना के समाप्ति का प्रतीक भी है।
Ram Navami पूजा विधि
1. पूजा की तैयारी- घर की साफ-सफाई करें और पूजा स्थान को अच्छे से सजाएं।भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।पूजा में उपयोग होने वाली सामग्रियों को एकत्र करें: गंगाजल, रोली, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य (मिष्ठान्न), तुलसी पत्ते और पंचामृत।
2. व्रत और स्नान- भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं।भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव को मनाने के लिए दिनभर उपवास रखा जाता है।
3. रामचरितमानस और रामायण पाठ- इस दिन रामचरितमानस का सुंदरकांड और बालकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है।श्रीराम के जन्म की कथा सुनना और सुनाना बहुत पुण्यदायक होता है।
4. हवन और आरती- घर या मंदिर में हवन का आयोजन किया जाता है।हवन में गाय के घी, गुड़, तिल, कपूर और हवन समिधा का प्रयोग किया जाता है।हवन के बाद भगवान श्रीराम की आरती की जाती है – “श्री रामचंद्र कृपालु भज मन, हरण भव भय दारुणं…”
5. प्रसाद वितरण और दान-पुण्य- पूजा के बाद मिष्ठान्न (हलवा, पंचामृत, फल, चने) का भोग अर्पित किया जाता है।गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना और वस्त्र, अन्न आदि का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
Ram Navami व्रत का महत्व और नियम
व्रत के प्रकार
1. निर्जला व्रत – इसमें दिनभर बिना जल और अन्न ग्रहण किए उपवास रखा जाता है।
2. सात्विक व्रत – फल, दूध और फलाहारी भोजन ग्रहण किया जाता है।
3. संपूर्ण उपवास – भक्त पूरे दिन उपवास रखकर रात में फलाहारी भोजन करते हैं।
व्रत रखने के नियम
व्रतधारी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
क्रोध, अहंकार और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
दिनभर भगवान राम के भजन, मंत्र और रामायण पाठ में ध्यान लगाना चाहिए।
राम नवमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धर्म, सत्य और न्याय का संदेश देने वाला दिन है। यह हमें श्रीराम के आदर्शों को अपनाने और जीवन में संयम, मर्यादा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
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