गर्माहट देने वाला यही उपकरण अगर गलत तरीके से उपयोग हो जाए, तो मौत तक का कारण बन सकता है
सर्दियों में ठंड से राहत पाने के लिए घरों में Room heater और ब्लोअर का इस्तेमाल आम बात है। लेकिन गर्माहट देने वाला यही उपकरण अगर गलत तरीके से उपयोग हो जाए, तो मौत तक का कारण बन सकता है। बीते साल नोएडा में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत इसलिए हो गई क्योंकि उन्होंने पूरी रात Room heater चालू छोड़ा, जिससे कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड भर गई। इसी तरह जम्मू–कश्मीर में भी एक परिवार जहरीली गैस के कारण दम घुटने से खत्म हो गया।
यह घटनाएं बताती हैं कि सर्दी से बचने के लिए किया गया उपाय कई बार जानलेवा साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बंद कमरों में लंबे समय तक Room heater चलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जैसी खतरनाक गैस जमा हो जाती है, जो बेहद शांत, बिना गंध और जानलेवा होती है।
नवजात बच्चों में 88% तक स्वास्थ्य समस्याएं
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन नवजात बच्चों के कमरे में Room heater लगाया गया, उनमें से 88% में खांसी, सांस की दिक्कत और रेस्पिरेटरी इरिटेशन देखी गई। यह आंकड़ा बताता है कि हीटर का लंबे समय तक इस्तेमाल सिर्फ वयस्कों ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम है।
Room heater से सबसे बड़ा खतरा क्या है?
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार डॉ. गर्ग कहते है, Room heater का सबसे बड़ा नुकसान कमरे की हवा का सूख जाना है। नमी की कमी से गला, स्किन और नाक ड्राई होने लगते हैं।
“सूखी हवा रेस्पिरेटरी सिस्टम को इरिटेट करती है, जिससे खांसी, एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याएं बढ़ती हैं। लगातार हीटर इस्तेमाल करने पर आंखों में जलन, कंजक्टिवाइटिस और दुर्लभ मामलों में ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग या स्ट्रोक जैसी जोखिम भी उत्पन्न हो सकती है।”
कार्बन मोनोऑक्साइड पॉइजनिंग कैसे होती है?
हीटर अक्सर कार्बन मोनोऑक्साइड गैस उत्सर्जित करते हैं, जो न रंग में दिखाई देती है, न इसकी कोई गंध होती है। बंद कमरे में जब यह गैस जमा हो जाती है, तो शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है। इसकी वजह से सिरदर्द, चक्कर, मतली, कमजोरी, बेहोशी जैसे लक्षण हो सकते हैं, और गंभीर स्थिति में मौत भी संभव है।
क्या बच्चों के कमरे में हीटर चलाना सुरक्षित है?
डॉ. गर्ग कहते हैं — नहीं। नवजात और छोटे बच्चों के कमरे में लंबे समय तक Room heater चलाना सुरक्षित नहीं है। हीटर हवा की नमी खींच लेते हैं, जिससे उनकी स्किन ड्राई हो जाती है, साथ ही नाक व गले में इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है। अक्सर देखा गया है कि बच्चे ऐसे माहौल में खुजलाहट, सांस की तकलीफ और उलझन महसूस करते हैं।
कमरे का आदर्श तापमान क्या होना चाहिए?
अत्यधिक ठंडा या ज्यादा गर्म कमरा दोनों ही स्वास्थ्य के लिए खराब हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बेडरूम का तापमान लगभग 18°स, लिविंग रूम लगभग 21°C रखना चाहिए। इससे ब्लड सर्कुलेशन बैलेंस रहता है और नींद की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता।
हीटर इस्तेमाल करते समय ये सावधानियां जरूरी
- वेंटिलेशन रखें
कमरे में थोड़ी हवा आने देने के लिए खिड़की हल्की खुली रखें। इससे ऑक्सीजन का स्तर बना रहता है और जहरीली गैसें जमा नहीं होतीं। - नमी बनाए रखें
कमरे में पानी से भरा एक बर्तन रखें (हीटर पर नहीं)। इससे हवा में मॉइश्चर बना रहता है और स्किन ड्राई नहीं होती। - लंबे समय तक लगातार हीटर न चलाएं
समय-समय पर हीटर बंद कर कमरे की हवा बदलने दें। - उपकरण की सर्विसिंग कराएं
पुराने या खराब हीटर से गैस लीकिंग की संभावना बढ़ती है। इसलिए नियमित जांच जरूरी है। - नाजुक लोगों का ध्यान रखें
अस्थमा, हार्ट डिजीज या एलर्जी वाले मरीजों को हीटर के पास लंबे समय तक नहीं बैठना चाहिए। - ज्वलनशील चीजें हीटर से दूर रखें।
हीटर इस्तेमाल से जुड़े कुछ सामान्य सवाल
- क्या सेंट्रल हीटिंग से साइनस बढ़ता है?
हां, लगातार गर्म हवा नाक के अंदरूनी हिस्से को सुखा देती है जिससे साइनस संक्रमण बढ़ सकता है। - क्या रेडिएटर से सांस संबंधी दिक्कत होती है?
हां, इससे धूल कण हवा में फैलते हैं जो अस्थमा और एलर्जी वाले लोगों की परेशानी बढ़ा सकते हैं। - ठंडा कमरा भी नुकसानदेह है?
हां, अत्यधिक ठंडा कमरा शरीर का तापमान गिरा सकता है, जिससे हाइपोथर्मिया और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव हो सकता है। - सबसे बड़ी गलती लोग क्या करते हैं?
पूरी रात बंद कमरे में हीटर चालू छोड़ देना।
यह कार्बन मोनोऑक्साइड जमा करने और ऑक्सीजन घटाने का सबसे बड़ा कारण है।
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