RSS 100 Years Coin: स्वयंसेवकों में इसे पाने की होड़! जानिए कब और कैसे मिलेगा ये खास 100 रुपये का कॉइन
RSS 100 Years Coin: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने जब अपनी सौवीं वर्षगांठ मनाई, तो यह सिर्फ एक समारोह नहीं था — यह एक सदी की सेवा, समर्पण और संस्कारों की गाथा थी।
इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में 100 रुपये का एक स्मारक सिक्का जारी किया।
लेकिन यह सिक्का महज़ धातु का नहीं, भावना का प्रतीक है।
इस पर अंकित है भारत माता की तस्वीर, और उनके सामने नमन करते हुए संघ के स्वयंसेवक।
यह दृश्य, अपने आप में भारत की आत्मा को दर्शाता है।
भारत माता की छवि, इतिहास में पहली बार
भारतीय मुद्रा के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी सिक्के पर भारत माता की छवि अंकित की गई है।
सिक्के के एक तरफ भारत माता हैं, और दूसरी ओर RSS के स्वयंसेवक — जो झुके हुए सिर से नमन कर रहे हैं।
संघ के कई वरिष्ठ स्वयंसेवक इसे “गौरव का क्षण” बता रहे हैं।
उनका कहना है, “यह सिक्का सिर्फ़ 100 रुपये का नहीं, बल्कि 100 साल की तपस्या का प्रतीक है।”
कोलकाता में बना, चांदी से तराशा गया सिक्का
यह सिक्का कोलकाता टकसाल में तैयार किया गया है।
जानकारों के मुताबिक, यह शुद्ध चांदी से बना है — और यही वजह है कि इसका मूल्य इसकी लिखी कीमत से कहीं ज्यादा होने वाला है।
संघ से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया,
“यह हमारे लिए किसी गिफ्ट से कम नहीं। जिस सिक्के पर भारत माता की तस्वीर है, वह हर स्वयंसेवक के दिल के बेहद करीब है।”
सिक्के के लिए मची होड़ — ‘786 नंबर वाले नोट’ जैसी दीवानगी
जैसे कभी 786 नंबर वाले नोट को लेकर लोगों में जुनून देखा गया था,
वैसा ही क्रेज अब इस RSS सिक्के को लेकर देखने को मिल रहा है।
नागपुर से लेकर सूरत तक स्वयंसेवक बैंकों में पूछताछ कर रहे हैं —
“भैया, RSS वाला सिक्का आया क्या?”
लेकिन बैंक कर्मचारी बता रहे हैं कि यह सिक्का बैंकों में नहीं मिलेगा।
तो कैसे मिलेगा यह सिक्का?
इस सिक्के को पाने का तरीका थोड़ा अलग है।
यह सिक्का सीधे SPMCIL (Security Printing and Minting Corporation of India Limited) की वेबसाइट से खरीदा जा सकेगा।
जब यह वेबसाइट पर लिस्ट होगा,
तो लोग वहां जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे।
रजिस्ट्रेशन के बाद सिक्के की तय कीमत भरनी होगी,
और फिर यह डाक के ज़रिए सीधे आपके घर पहुंच जाएगा।
ध्यान रहे — यह सिक्का सामान्य लेनदेन के लिए नहीं,
बल्कि स्मारक और संग्रहणीय वस्तु के तौर पर जारी किया गया है।
स्वयंसेवकों में उमंग और गर्व
अहमदाबाद के स्वयंसेवक भरत सावलिया कहते हैं,
“इस सिक्के पर भारत माता की तस्वीर देखकर मन गर्व से भर गया।
हम बस इंतज़ार कर रहे हैं कि कब वेबसाइट पर यह लिस्ट हो और हम इसे ऑर्डर कर सकें।”
सूरत की डॉ. दीपिका धूत का कहना है,
“यह सिर्फ़ एक धातु का टुकड़ा नहीं,
बल्कि संघ की सौ साल की यात्रा की याद है।”
संघ का सौ साल का सफर और एक प्रतीक
1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में जिस संगठन की नींव रखी थी,
वह आज सौ साल बाद भी समाज सेवा, राष्ट्रनिर्माण और सांस्कृतिक एकता की पहचान बन चुका है।
इसलिए यह सिक्का, सिर्फ़ एक स्मारक नहीं, बल्कि उस सौ साल की यात्रा का प्रतीक है —
जो विचार, अनुशासन और राष्ट्रप्रेम से जुड़ी है।
जल्द शुरू होगी बिक्री — वेबसाइट पर रखें नज़र
SPMCIL की वेबसाइट पर यह सिक्का जल्द ही बिक्री के लिए उपलब्ध होगा।
जैसे ही यह लिस्ट होगा, कीमत और खरीद प्रक्रिया वहां दिखेगी।
जानकारों का कहना है कि इसकी सीमित संख्या बनाई गई है,
इसलिए यह जल्दी “OUT OF STOCK” हो सकता है।
अगर आप भी इस ऐतिहासिक सिक्के को अपनी कलेक्शन में जोड़ना चाहते हैं,
तो वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही देरी न करें।
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