Santa Claus real or myth: कौन हैं और क्रिसमस क्यों मनाया जाता है? जानिए इस जादू के पीछे की सच्ची कहानी
Santa Claus real or myth: हर साल दिसंबर आते ही बाजारों में लाल टोपी, सफेद दाढ़ी, घंटियों की आवाज़ और बच्चों की चमकती आंखें दिखाई देने लगती हैं। हर तरफ एक ही नाम गूंजता है—सांता क्लॉज़। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सांता क्लॉज़ असल में कौन थे? क्या वे सच में उत्तरी ध्रुव से आते हैं? और आखिर क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
इस कहानी में थोड़ा इतिहास है, थोड़ा विश्वास है और बहुत सारा प्यार।
सांता क्लॉज़ की शुरुआत: सेंट निकोलस से
सांता क्लॉज़ की कहानी की जड़ें चौथी सदी में मिलती हैं। उस समय तुर्की के मायरा शहर में सेंट निकोलस (Saint Nicholas) नाम के एक ईसाई संत रहते थे। वे बेहद दयालु और उदार व्यक्ति थे। कहा जाता है कि वे गरीबों और बच्चों की मदद चुपके से करते थे, ताकि किसी को पता न चले कि मदद करने वाला कौन है।
एक मशहूर कहानी के अनुसार, उन्होंने एक गरीब परिवार की बेटियों की मदद के लिए रात में चोरी-छिपे उनके घर के बाहर सिक्के रख दिए थे। यही वजह है कि वे गुपचुप तोहफे देने वाले संत के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
Who is Santa Claus
समय के साथ यह कहानी यूरोप में फैलती चली गई। डच लोग सेंट निकोलस को “सिंटरक्लास” (Sinterklaas) कहने लगे। 17वीं सदी में जब डच लोग अमेरिका गए, तो यह परंपरा भी उनके साथ न्यूयॉर्क पहुंची।
धीरे-धीरे “सिंटरक्लास” का नाम बदलकर “सांता क्लॉज़” हो गया। 19वीं सदी में अमेरिकी कवियों, लेखकों और कलाकारों ने सांता को एक नए रूप में पेश किया—लाल कपड़े, सफेद दाढ़ी, मोटा सा शरीर, हंसता हुआ चेहरा और बच्चों के लिए ढेर सारे तोहफे। यही छवि आज पूरी दुनिया में मशहूर है।
Christmas 2025: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
क्रिसमस मूल रूप से ईसा मसीह (Jesus Christ) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ईसाई मान्यता के अनुसार, ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था। यह दिन ईसाई धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और इसे “क्राइस्ट-मास” (Christ’s Mass) कहा जाता है।
हालांकि, समय के साथ क्रिसमस सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं रहा। आज यह दुनिया भर में खुशी, प्रेम, परिवार और साथ होने का उत्सव बन चुका है। चाहे कोई ईसाई हो या न हो, क्रिसमस सबको जोड़ता है।
क्या सांता क्लॉज़ सच में होते हैं?
सच यह है कि सांता क्लॉज़ एक प्यारा सा किरदार हैं, एक कहानी, एक प्रतीक। असल में तो बच्चों के लिए तोहफे माता-पिता और परिवार वाले ही लाते हैं। लेकिन वे यह जादू बनाए रखने के लिए सांता का नाम लेते हैं, ताकि बच्चों को कुछ अलग और खास महसूस हो।
बच्चों को यह विश्वास दिलाना कि सांता उनकी चिट्ठी पढ़ते हैं, उन्हें देखते हैं और अच्छे बच्चों को इनाम देते हैं—यह बचपन को खूबसूरत बनाने का तरीका है।
माता-पिता और सांता का रिश्ता
अधिकतर घरों में एक परंपरा होती है। कुछ तोहफे माता-पिता की तरफ से होते हैं, कुछ परिवार के लोगों से, और एक-दो खास तोहफे सांता क्लॉज़ की ओर से। कई बार सांता बच्चों की मांगी हुई हर चीज़ नहीं लाते, और कभी-कभी ऐसी चीज़ें भी दे जाते हैं जिनके बारे में बच्चों ने सोचा तक नहीं होता।
असल मकसद यह नहीं होता कि क्या मिला या क्या नहीं मिला, बल्कि यह होता है कि बच्चों को खुशी और अपनापन महसूस हो।
तोहफों से ज़्यादा यादें ज़रूरी हैं
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे समझ जाते हैं कि सांता एक कहानी हैं। लेकिन जो चीज़ हमेशा उनके साथ रहती है, वह है—वो यादें। सांता को चिट्ठी लिखना, उसे गुब्बारे से आसमान में भेजना, क्रिसमस ट्री के नीचे तोहफे ढूंढना, और सुबह उठकर मुस्कुराना—ये सब पल जिंदगी भर याद रहते हैं।
एक माता-पिता के लिए, अपने बच्चों के चेहरे पर वह खुशी देखना सबसे बड़ा तोहफा होता है।
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