Sardar Patel 150th birth anniversary 2025: क्यों कहा गया उन्हें ‘सरदार’? जानिए असली वजह
Sardar Patel 150th birth anniversary 2025: भारत की आज़ादी की लड़ाई में अगर कोई नाम सबसे मज़बूती और एकता का प्रतीक बनकर उभरा, तो वो था सरदार वल्लभभाई पटेल।
उन्हें “लौह पुरुष” यानी Iron Man of India कहा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है — आखिर वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ क्यों कहा गया?
क्या ये उपाधि उन्हें किसी अंग्रेज़ अफसर ने दी थी या फिर जनता ने अपने दिल से उन्हें सरदार माना? आइए जानते हैं इस प्रेरणादायक कहानी के पीछे की सच्चाई।
गुजरात से उठी एक लौह आवाज़
वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे बहादुर, ईमानदार और दृढ़ निश्चयी थे। पढ़ाई में तेज़ होने के साथ-साथ उनमें नेतृत्व के गुण भी साफ़ दिखते थे। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अहमदाबाद में वकालत शुरू की, लेकिन उनका मन हमेशा देश के लिए कुछ करने को बेचैन था।
जब महात्मा गांधी ने आज़ादी की लड़ाई का बिगुल बजाया, तो वल्लभभाई पटेल ने वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
‘सरदार’ बनने की कहानी
साल 1928 में गुजरात के बोर्सद और बर्दोली इलाकों में अंग्रेजों ने किसानों पर भारी टैक्स बढ़ा दिया। किसानों की हालत पहले ही खराब थी — फसलें खराब हुई थीं, महंगाई बढ़ रही थी। ऐसे में अंग्रेज़ी सरकार ने किसानों से ज़्यादा टैक्स मांगना शुरू कर दिया। तभी किसानों ने मदद के लिए एक ही नाम लिया — वल्लभभाई पटेल।
पटेल ने गांव-गांव जाकर किसानों को संगठित किया। उन्होंने उन्हें एकजुट होकर अंग्रेज़ों का विरोध करने की ताकत दी।
उन्होंने कहा — “अगर तुम एकजुट हो, तो कोई ताकत तुम्हारा हक नहीं छीन सकती।”
कई महीनों तक संघर्ष चला। किसानों ने टैक्स देने से इंकार कर दिया, और पूरे आंदोलन की अगुवाई वल्लभभाई पटेल ने की। आख़िरकार अंग्रेज़ सरकार को झुकना पड़ा। उन्होंने टैक्स बढ़ाने का फैसला वापस ले लिया और किसानों से माफ़ी मांगी।
यही वो पल था, जब बोर्सद और बर्दोली की जनता ने उन्हें “सरदार” की उपाधि दी — जिसका मतलब होता है नेता, मार्गदर्शक, लोगों का सच्चा साथी।
तब से वल्लभभाई पटेल को पूरे भारत में सरदार पटेल के नाम से जाना जाने लगा।
भारत की एकता के असली शिल्पकार
आज़ादी के बाद भारत का नक्शा एकजुट नहीं था।
देश में 562 रियासतें थीं — कुछ पाकिस्तान में मिलना चाहती थीं, तो कुछ स्वतंत्र रहना चाहती थीं। ऐसे कठिन समय में देश को एक सूत्र में पिरोने की ज़िम्मेदारी मिली — सरदार पटेल को। उन्होंने न तो ताकत का इस्तेमाल किया, न ज़बरदस्ती की। बल्कि अपनी समझदारी, धैर्य और नेतृत्व क्षमता से उन्होंने 500 से ज़्यादा रियासतों को भारत में मिलाया।
हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल जैसे राज्यों को देश से जोड़ने का काम भी उन्होंने किया। अगर सरदार पटेल न होते, तो शायद आज भारत इतने राज्यों में बंटा नज़र आता।
Iron Man of India
उनकी यही कठोर इच्छाशक्ति, सटीक निर्णय और दृढ़ संकल्प देखकर लोग उन्हें “लौह पुरुष” कहने लगे। उनके लिए देश की एकता सबसे ऊपर थी — न धर्म, न जाति, न क्षेत्र। उन्होंने कहा था —“हमारा कर्तव्य है कि हम भारत को मजबूत, स्वतंत्र और एकजुट रखें। यह हमारी सबसे बड़ी पूजा है।”
Statue of Unity
31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा का उद्घाटन किया। इस प्रतिमा को ‘Statue of Unity’ कहा गया — जो 182 मीटर ऊंची है और इसे दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है।
यह मूर्ति न सिर्फ एक व्यक्ति को समर्पित है, बल्कि भारत की एकता और अटूट विश्वास की पहचान बन चुकी है।
सरदार पटेल का आज के भारत में महत्व
आज जब देश किसी भी चुनौती के सामने खड़ा होता है, तो सरदार पटेल की याद दिलाता है — क्योंकि उन्होंने हमें सिखाया कि “अगर देश के लोग एक हों, तो कोई ताकत भारत को झुका नहीं सकती।”
उनका जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि सच्चा नेतृत्व वही है, जो अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए जिए।
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