
Sawan Somwar 2025: व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त और कांवड़ यात्रा का इतिहास
Sawan Somwar 2025: 2025 में सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है। भगवान विष्णु अब चातुर्मास के लिए योग निद्रा में जा चुके हैं, ऐसे में अब धरती के कर्ताधर्ता स्वयं देवों के देव महादेव करने वाले हैं।
सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने की मान्यता है, खासतौर पर कुंवारी कन्याएं अपने मनचाहे वर्ग की प्राप्ति के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती है, उसी के साथ ही वैवाहिक महिलाएं अपने पति के लंबे उम्र और सुख शांति के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती है। ऐसे में चले जानती हैं सावन का पहला सोमवार कब पढ़ने वाला है और क्या है पूजा विधि।
सावन सोमवार 2025
भगवान विष्णु अब 4 महीने के लिए योग निद्रा में जा चुके हैं, ऐसे में अब इस पृथ्वी का संचालन महादेव करेंगे। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति महादेव को दिल से याद करता है और पूजा आराधना करता है महादेव उसकी पुकार जरूर सुनते हैं।
सावन के महीने में कई श्रद्धालु कावड़ यात्रा के लिए भी प्रस्थान करते हैं। कावड़ यात्रा बहुत ही भाव और महत्वपूर्ण मानी जाती है। महिलाएं और अविवाहित कन्याएं सावन के सोमवार का व्रत रखती है ताकि घर में सुख शांति बने रहे और अविवाहित महिलाओं को उनका मनचाहा वर मिले।
श्रावण मास का प्रारंभ कब से है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, 2025 में सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त यानी रक्षाबंधन वाले दिन होगा।
इसी के साथ ही सावन का पहला सोमवार का व्रत 14 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना करने की मान्यता है। महादेव के भक्त शिवलिंग पर पंचामृत से और जल से जल अभिषेक करते हैं और भगवान शिव को बेलपत्र भांग धतूरा अर्पित करते हैं।
सावन मास का महत्व
मान्यता है कि सावन का महीना भगवान महादेव का सबसे प्रिय महीना है। सावन के महीने में कण-कण में शिव का वास होता है, इसीलिए जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से महादेव की पूजा आराधना कर उन्हें पुकारता है महादेव उनकी बात अवश्य सुनते हैं। अविवाहित कन्याएं प्रेम विवाह और अपने मनचाहे वर्ग के लिए सावन के सभी सोमवार का व्रत रखती है, वहीं दूसरी ओर वैवाहिक कन्याए भी अपने पति की लंबी आयु घर की सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि सावन का पहला सोमवार पूरे महीने की साधना का शुभ आरंभ होता है, इसीलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना कर शिवलिंग पर गंगाजल और बेलपत्र जरूर चढ़ाने चाहिए।
पहले सोमवार का शुभ मुहूर्त
2025 का पहला सोमवार 14 जुलाई को पढ़ रहा है, ऐसे में कोई भी भक्तजन शुभ मुहूर्त के साथ भगवान शिव की पूजा आराधना करता है व विशेष उपाय करता है तो यह विशेष फलदाई माना जाता है।
- पहले सोमवार यानी 14 जुलाई के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:16 से शुरू होगा पर 5:04 पर इसका समापन होगा।
- अभिजीत मुहूर्त की शुरुआत दोपहर 12:05 से शुरू होगी और 12:58 तक रहेगी।
- अमित कल का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:01 से शुरू होकर 1:39तक रहेगा।
- प्रदोष काल का समय 5:38 से 7:22 तक रहेगा।
सावन के सोमवार की पूजा विधि
सावन का हर दिन भगवान शिव को समर्पित है, सिर्फ सोमवार ही नहीं बल्कि सावन के हर दिन अगर आप भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं तो आपकी और आपके परिवार के लिए लाभकारी होता है। लेकिन अगर आप सावन के सोमवार का व्रत रखते हैं तो यह और भी विशेष हो जाता है।
- सावन के सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मान्यता है कि हल्के रंग के कपड़े जैसे सफेद पीले और हरे रंग के कपड़े पहन कर पूजा करनी चाहिए।
- घर व पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल और गोमूत्र का छिड़काव करें।
- लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बेचकर महादेव और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। आप चाहे तो भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं।
- पूजा की शुरुआत करने से पहले व्रत का संकल्प ले, संकल्प लेने के लिए अपने दाहिने हाथ में गंगाजल, फूल और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करके संकल्प ले। आपको बता दे कि बिना संकल्प के व्रत अधूरा माना जाता है।
- भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं, उनको बेलपत्र धतूरा और फल अर्पित करें।
- “ओम नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। आप महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टक और शिव पुराण का भी पाठ कर सकते हैं।
- शिवलिंग का अभिषेक करें। शिवलिंग पर पंचामृत से जल अभिषेक करने की मान्यता है, और साथ ही अलग-अलग पदार्थ जैसे दूध, दही, शहद, हल्दी और गुड़ का अभिषेक करने से आपको विभिन्न विभिन्न प्रकार के कासन से निवारण मिलेगा।
- भगवान शिव को धूप दीप दिखाकर, कपूर से उनकी आरती करें।
- महादेव को फल, मिठाई यह जो भी आपका मन करे वह अर्पित करें।
- अगर आप निर्जला व्रत रखते हैं तो सूर्य देव के बाद व्रत का पारण करें।
- अंत में महादेव से अनजाने में हुई गलतियों की क्षमा याचना जरूर करें।
कावड़ यात्रा 2025
सावन का महीना शुरू होते ही कावड़ियों का उत्साह अपने चरम पर होता है। शिव भक्ति केसरिया वस्त्र धारण करके कावड़ यात्रा पर निकल पड़ते हैं और गंगाजल से भारी कावड़ लेकर शिव भगवान का जल अभिषेक करने कई मिलो दूर की यात्रा तय करते हैं। कई सारे कांवरिया नंगे पैर पैदल चलकर भी भगवान शिव का जल अभिषेक करने उनके चरणों में पहुंचते हैं।
कावड़ यात्रा का इतिहास
वैसे तो कावड़ यात्रा को लेकर कई सारी पौराणिक मान्यताएं हैं, लेकिन उनमें से एक मान्यता के अनुसार कावड़ यात्रा की शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी।
मान्यता है कि वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के पास स्थित पुरा महादेव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से जल लाए थे। तब से लेकर आज तक करोड़ों श्रद्धालु इस रास्ते से चलकर भगवान शिव का जल अभिषेक करते हैं।
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