नेटफ्लिक्स फिल्म (Sector 36) 2006 में नोएडा के निठारी सीरियल हत्याकांड पर आधारित है। इस फिल्म का निर्माण मैडॉक ने किया है और इसमें विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल ने दमदार प्रदर्शन दिया है।
Table of Contents
ToggleSector 36: निठारी हत्याकांड पर आधारित, विक्रांत और दीपक का भयावह प्रदर्शन
सेक्टर 36 जैसी क्राइम थ्रिलर हर किसी के लिए नहीं है। य
ह भयावह, ठंडी और रोंगटे खड़े कर देने वाली फिल्म है। यह तथ्य कि यह 2006 के नोएडा सीरियल मर्डर्स, जिसे आमतौर पर निठारी हत्याकांड के नाम से जाना जाता है, पर आधारित है, इसे और भी संवेदनशील बनाता है। इस मामले के खौफनाक विवरण को भुलाया नहीं जा सकता। विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल, जो फिल्म में एक चूहे-बिल्ली के खेल में उलझे हैं, इस भयानक घटना के पीछे छिपी सामाजिक बुराई को बखूबी उजागर करते हैं।
Sector 36: आदित्य निम्बालकर की क्रूरता से भरी कहानी और विक्रांत का डरावना प्रदर्शन
आदित्य निम्बालकर द्वारा निर्देशित यह फिल्म अपनी कहानी की क्रूरता को स्थापित करने में ज्यादा समय नहीं लेती। आप मिलते हैं प्रेम (विक्रांत) से, जो एक छोटे से कस्बे का लड़का है और जिसे एक केबीसी जैसी गेम शो की हर सही उत्तर का गर्व है। जिस बड़े घर में वह रहता है, वहां पहले से ही एक अजीब सा डरावना माहौल है। जैसे ही आप महसूस करते हैं कि कुछ गड़बड़ है, आपको सटीक वजह का पता चलता है। खून से सने दृश्य आपको असहज कर देते हैं। अच्छी बात यह है कि आप इसे नेटफ्लिक्स पर देख रहे हैं, जहां आप इसे कुछ सेकंड आगे बढ़ा सकते हैं!
Sector 36: विक्रांत का डरावना प्रदर्शन और अंधकारमय सीरियल किलर की मानसिकता
सेक्टर 36 अंधकार से भरी हुई है, शाब्दिक और रूपक दोनों
रूपों में। यह फिल्म एक सीरियल किलर की मानसिकता से आपका परिचय कराती है, जो न सिर्फ एक हत्यारा है बल्कि एक बाल शोषक और नरभक्षी भी है। आप उससे उतनी ही नफरत करते हैं, जितना उससे डरते हैं। विक्रांत प्रेम के रूप में शानदार प्रदर्शन करते हैं, और उनके अभिनय की सबसे खास बात यह है कि वह अपने अपराध की महिमा में कैसे डूबते हैं। यह उनके शब्दों में नहीं, बल्कि उनके हावभाव में है जो आपको घबराहट, अजीब और भयभीत कर देता है।
प्रेम की निर्दयता बनाम दीपक का भावनात्मक संघर्ष: Sector 36 का शक्तिशाली प्रदर्शन
प्रेम के निर्दयी स्वीकारोक्तियाँ और अपने अपराधों के प्रति सम्मान की भावना को दीपक के प्रदर्शन में झलकते सदमे और निराशा के साथ प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। एक ऐसे पुलिस अधिकारी के रूप में, जिसका रवैया व्यक्तिगत कारणों से अचानक बदल जाता है, दीपक ने बेहतरीन अभिनय कौशल का परिचय दिया है। जिस तरह विक्रांत, जो आमतौर पर पर्दे पर एक अच्छे लड़के की भूमिका निभाते हैं, आपको एक सीरियल किलर के रूप में डराते हैं, उसी तरह दीपक को कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में देखना उतना ही कठिन है।
Sector 36: अपराध से परे सिस्टम की असलियत का पर्दाफाश
बोधायन रॉयचौधरी ने लेखन में बेहद समझदारी से काम किया है। एक ऐसे मामले में, जो सभी को ज्ञात है, और क्या नया दिखाया जा सकता था? *सेक्टर 36* में कहानी सिर्फ अपराध और उसे उजागर करने तक सीमित नहीं है, बल्कि ध्यान इस बात पर भी है कि आखिर दोषी कौन है। यह सवाल केवल अपराधियों पर नहीं, बल्कि उस ‘सिस्टम’ के निर्माताओं और अनुयायियों पर भी उठता है, जो समाज के ऊंचे वर्गों की सेवा में ही फंसा हुआ है। जब एक हाई-प्रोफाइल बिजनेसमैन का बच्चा अपहरण हो जाता है, तो सिस्टम दो दिनों के अंदर अपराधियों को पकड़ने में जुट जाता है, जबकि कई झुग्गी-बस्तियों के गुमशुदा बच्चों के पोस्टर हवा में उड़ते रहते हैं।
Sector 36: विक्रांत और दीपक का दमदार अभिनय और गहरे भावनात्मक प्रभाव
जैसे-जैसे कब्रें खोदी जाती हैं और नालियाँ सबूत के लिए खंगाली जाती हैं, आप और अधिक मानसिक आघात के लिए तैयार हो जाते हैं। एक दृश्य में, प्रेम पुलिस को ठीक-ठीक बताता है कि पिछवाड़े में कहाँ खुदाई करनी है, ताकि वह एक शातिर सीरियल किलर के रूप में अपनी चतुराई दिखा सके। यह घटनाएँ आपको डराती हैं, और प्रेम के रूप में विक्रांत का शानदार अभिनय इसे और गहराई देता है। दीपक के साथ उनके दृश्यों में आप दो बेहतरीन अभिनेताओं को देख पाते हैं, जो स्क्रीन पर अद्भुत तालमेल बिठाते हैं। उनके चेहरे और आँखें बिना ज्यादा बोले ही भावनाओं और गुस्से की गहराई को दर्शाते हैं।
Sector 36: खूनखराबे और दमदार अभिनय का कठिन लेकिन आकर्षक अनुभव
सेक्टर 36 इस केस की नाटकीय प्रस्तुति है और इसमें कुछ रचनात्मक स्वतंत्रताएँ ली गई हैं। फिर भी, यह एक स्वतंत्र रहस्यमय क्राइम फिल्म के रूप में काम करती है। चुनौती यह है कि फिल्म के दो घंटे से अधिक का समय गुजारना है, क्योंकि यह आपके सामने खून से सने दृश्यों की लगातार श्रृंखला खोलती है। प्रदर्शन मुख्य भूमिका में हैं, यहां तक कि अभिनेता दर्शन जरीवाला (डीवाई एसपी रस्तोगी) और आकाश खुराना (बसी) के ईमानदार अभिनय भी, लेकिन सवाल यह है: क्या आप इसे सहन कर सकते हैं? अगर हाँ, तो यह आपके लिए एक सबसे कठिन और आकर्षक देखने का अनुभव हो सकता है।
ARM Review: Tovino थॉमस की तीन भूमिकाओं की रोमांचक यात्रा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दी
सावित्री जिंदल: भारत की सबसे अमीर महिला हरियाणा में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगी चुनाव