Shardiya Navratri 2024 Second Day: शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना का सबसे शुभ समय माना जाता है। इस दौरान नौ दिनों तक माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 से हो रही है और इसका दूसरा दिन Ma Brahamcharini को समर्पित है।
Ma Brahamcharini की पूजा करने से भक्तों को संयम, तप, सदाचार और धैर्य की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि मां अपने भक्तों के सारे दुर्गुणों और दोषों को दूर कर उन्हें पवित्र करती हैं।
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ToggleShardiya Navratri 2024 Second Day: मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और नाम की कथा
Ma Brahamcharini का नाम ही उनकी तपस्या और तपशक्ति का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लिया था। जब उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने की ठानी, तो उन्होंने कठिन तपस्या प्रारंभ की। देवर्षि नारद के कहने पर माता पार्वती ने कठोर तप किया, जो हजारों वर्षों तक चला। इस तप के कारण ही उन्हें “ब्रह्मचारिणी” कहा गया, जिसका अर्थ है “तप का आचरण करने वाली”। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में अष्टदल की माला होती है। उनका यह स्वरूप संयम, धैर्य और साधना का प्रतीक है।
Shardiya Navratri 2024 Second Day: तिथि और शुभ मुहूर्त
Ma Brahamcharini की पूजा द्वितीया तिथि को की जाती है। इस साल, द्वितीया तिथि 4 अक्टूबर 2024 को सुबह 2:58 से प्रारंभ होकर 5 अक्टूबर 2024 को सुबह 5:30 तक रहेगी। इस शुभ समय में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
Ma Brahamcharini की पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए सफेद या पीले वस्त्र का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र के सामने आसन बिछाकर बैठें। सबसे पहले माता को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें रोली, अक्षत, चंदन, पान, सुपारी और फूल अर्पित करें। पूजा के दौरान 108 बार “ऊं ऐं नमः” का जाप अवश्य करें। पूजा की समाप्ति के बाद मां की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
Ma Brahamcharini को अर्पित करने योग्य भोग
Ma Brahamcharini को प्रसन्न करने के लिए भोग में चीनी या गुड़ का विशेष महत्व है। भक्त चीनी या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस भोग से दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। इसके अलावा, पंचामृत का भोग भी मां को अर्पित किया जा सकता है। पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, घी, चीनी और केसर का प्रयोग किया जाता है।
पंचामृत बनाने की विधि
- सामग्री:
- दूध: 1/2 कप
- दही: 1/4 कप
- शहद: 2 बड़े चम्मच
- घी: 1 बड़ा चम्मच
- चीनी: 2 बड़े चम्मच
- केसर: 8-10 धागे
- काजू, बादाम और किशमिश (कटे हुए): 2 बड़े चम्मच
- विधि:
सबसे पहले एक बड़ा चम्मच दूध को गर्म करें और उसमें केसर के धागों को भिगो दें। इसके बाद बचे हुए दूध और दही को एक साथ मिलाएं। इसमें शहद और चीनी डालें और इसे अच्छे से हिलाएं। घी को पिघलाकर उसमें मिलाएं और अंत में केसर वाला दूध और कटे हुए मेवे डालें। इस पंचामृत को मां ब्रह्मचारिणी को भोग लगाएं।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करने से मन की शांति और संयम की प्राप्ति होती है। उनके मंत्र इस प्रकार हैं:
- या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। - दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। - ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, संयम और सदाचार में वृद्धि होती है। जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों में भी व्यक्ति अपने मार्ग से विचलित नहीं होता। मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से तन और मन के सभी दोष दूर होते हैं और व्यक्ति को आत्मविश्वास और धैर्य प्राप्त होता है। उनकी कृपा से भक्तों के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उन्हें विजय प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी के इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। उनकी आराधना से भक्तों को ज्ञान, साहस और संयम की प्राप्ति होती है।
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