
Shukra Pradosh Vrat : इस व्रत से खुलेंगे जीवन के सौभाग्य के द्वार
Shukra Pradosh Vrat : क्या आपको पता है मैं महीने का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा? अगर नहीं! तो चलिए जानते हैं। हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत महादेव और माता पार्वती को समर्पित है। जो भी व्यक्ति विधि विधान से इस व्रत को रखता है तो महादेव की कृपा से उसे व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती है।
कब है शुक्र प्रदोष व्रत?
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को इस महीने का, यानी मैं का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस व्रत के प्रभाव से जीवन के सभी दोषों का अंत होता है। कहा जाता है कि, अगर प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन रखा जाता है, तो इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। मई महीने का पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार को रखा जाएगा, इसी कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहां गया है। जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है तो उसे दिन भर कुछ भी खाना नहीं पड़ता, शाम के समय भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करके वह व्रत खोल सकता है।
हिंदू पंचांग के माने तो,वैशाख शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 9 में को दोपहर 2:56 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 10 में को शाम 5:29 पर होगा। आपको बता दे की शुक्र प्रदोष व्रत 9 में यानी शुक्रवार को ही रखा जाएगा।
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
माना जाता है कि, जो भी व्यक्ति हर त्रयोदशी तिथि के दिन विधि विधान से महादेव और मां पार्वती की पूजा आराधना करता है और नियम अनुसार व्रत रखता है, तो सभी देशों का नाश होता है और भगवान की असीम कृपा होती है। प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और स्वास्थ्य बना रहता है। इस व्रत को विधि विधान से करने पर घर में शांति रहती है और समस्त कासन का निवारण होता है। कुछ छोटे-छोटे उपाय हैं जो प्रदोष व्रत पर जरूर करने चाहिए।
प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ही क्यों की जाती है?
सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि, त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल, यानी सूर्यास्त के बाद जब अंधेरा होने लगता है, तब भगवान शिव काफी प्रसन्न होने लगते हैं। भगवान शिव इतने प्रसन्न होते हैं कि वह कैलाश पर नृत्य करने लगते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय यदि कोई भी व्यक्ति महादेव से अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी मांगता है, वह उसे जरूर मिलता है। इसीलिए प्रदोष व्रत में शाम के समय ही पूजा की जाती है।
महत्वपूर्ण उपाय
प्रदोष व्रत के दिन अगर आपने व्रत रखा है, तो आप यह उपाय जरूर करें। और यदि आपने किसी भी कारण व्रत नहीं रखा है तो भी आपको यह उपाय जरूर करनी चाहिए। उपाय कुछ इस प्रकार हैं-
- महादेव का रुद्राभिषेक : प्रदोष व्रत के पावन अवसर पर आपको शिवलिंग पर “पंचामृत” यानी जल ,दूध, दही, शहद, और घी से महादेव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। इसके बाद महादेव पर बेलपत्र ,धतूरा और फूल अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से समस्त पापों का नाश होता है और सारी इच्छाएं पूरी होती है।
- शाम के समय दीपक जलाएं : प्रदोष व्रत के दिन संध्याकाल का समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में अगर आप संध्याकाल के समय पूजा स्थल और घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक प्रचलित करते हैं, तो आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने लगती है, साथी घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें: आपको हर दिन शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जब जरुर करना चाहिए। हालांकि प्रदोष तिथि के समय अगर आप शिव चालीसा और महादेव के मित्रों का जाप करते हैं, तो आपको मानसिक शांति मिलती है और रोगों से छुटकारा मिलता है।
- मां पार्वती को यह चीज दान करें: मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन अगर माता को रोली चंदन, मूली और चंदन का तिलक लगाया जाए तो घर में सुख समृद्धि आती है।
- मां पार्वती को श्रृंगार दान करें: अगर आप प्रदोष व्रत के दिन महादेव के साथ-साथ माता गौरी की पूजा आराधना करते हैं और उनको पूजा में श्रृंगार का सामान दान करते हैं, तो ऐसा करने से आपको अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- गाय माता की सेवा करें: वैसे तो हमें हमेशा गौ माता की सेवा करनी चाहिए। लेकिन प्रदोष तिथि के अवसर पर अगर कोई भी व्यक्ति गौ माता को हरा चारा देता है या गांव की सेवा करता है तो उसे व्यक्ति के पित्र दोष और ग्रह दोष शांत होते हैं।
- फलों और मिठाइयों का भोग: अगर आप पूजा के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को मौसमी फलों और मिठाइयों का भोग लगाते हैं तो, आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होगी।
यह भी पढ़े
Mohini Ekadashi 2025: अमृत वितरण से जुड़ी अद्भुत पौराणिक कथा और व्रत विधि