
Skanda Sashti 2025: भगवान कार्तिकेय की उपासना से संतान सुख और समस्त कष्टों से मुक्ति!
Skanda Sashti 2025: माता पार्वती और महादेव के बड़े पुत्र का नाम कार्तिक है, जिनको हम स्कंध भी कहते हैं। भगवान कार्तिकेय को पूजने के लिए स्कंद षष्ठी का त्यौहार मनाया जाता है। जो लोग अपने घर में सुख शांति तथा एक संतान की इच्छा रखते हैं तो वह स्कंद षष्ठी व्रत रखते हैं।
स्कंद षष्ठी कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस बार स्कंद षष्ठी के व्रत को लेकर काफी ज्यादा कंफ्यूजन है।
वैशाख मास की स्कंद षष्ठी का व्रत 2 में 2025 यानी शुक्रवार को रखा जाएगा।
स्कंद षष्ठी तिथि और शुभ मुहूर्त
- सृष्टि तिथि की शुरुआत 2 मई 2025 सुबह 9:14 से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 13 में यानी शनिवार को सुबह 7:51 पर होगा।
शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो - ब्रह्म मुहूर्त 4:10 से 4:53 मिनट तक रहेगा।
- अभिजीत मुहूर्त की शुरुआत 11:48 से 12:41 तक रहेगी।
- विजय मुहूर्त की बात कर तो, इसकी शुरुआत 2:27 एम से 3:20 a.m तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त की शुरुआत होगी 6:51 पर और समापन होगा 7:13 पर
- अमित कल की शुरुआत 1:04 पीएम से 5:45 a.m तक यानी 3 में तक रहेगी।
- निशिता मुहूर्त की बात कर तो 11: 52 म से 12:45 a.m तक रहेगी।
स्कंद षष्ठी का महत्व
मान्यता है कि संसार में हो रहे दुष्कर्म को खत्म करने के लिए भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। स्कंद षष्ठी का व्रत रखने तथा भगवान स्कंद की उपासना करने से ही च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति की प्राप्ति हुई थी। जो भी महिला पुत्र की इच्छा रखती है या किसी के शिशु की तबीयत बहुत ज्यादा खराब रहती है, तो उसे महिला को स्कंद सृष्टि का व्रत जरूर रखना चाहिए। मान्यता है कि पुरातन काल में जो भी महिला स्कंद षष्ठी का व्रत रखती थी तो उसके मरे हुए शिष्यों में प्राण लौट आते थे। जो भी व्यक्ति विधि विधान से इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत रखकर उनकी पूजा आराधना करता है तो उसको कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इस दिन व्रत रखने से धन संबंधित समस्याओं का भी समाधान होता है।
भगवान कार्तिकेय से जुड़ी कुछ बातें!
क्या आपको पता है कि दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को कुमार, मुरूगन, सुब्राह्यम के नाम समोसा भी पुकारा जाता है।
उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय को भगवान गणेश का बड़ा भाई माना जाता है, लेकिन वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय जी को भगवान गणेश का छोटा भाई माना जाता है।
पूजा विधि!
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे, स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अपने घर एवं पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल से शुद्ध करें।
- लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर, भगवान कार्तिकेय की मूर्ति स्थापित करें। उनकी प्रतिमा के साथ-साथ उनके माता-पिता की भी प्रतिमा स्थापित करें।
- मूर्ति स्थापित करने से पहले, भगवान कार्तिक की की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराए।
- भगवान के समक्ष दीप और धूप जलाएं तथा उनको तिलक भी लगाए।
- अपने हाथ में अक्षत और गंगाजल लेकर पूरे दिन श्रद्धा पूर्वक व्रत का संकल्प ले।
- भगवान को कलवा, अक्षत, हल्दी, चंदन ,गाय का घी, दूध और फल फूल अर्पित करें।
- इस बात का ध्यान रखें कि महादेव को हल्दी बिलकुल भी ना चढ़ाएं।
- भगवान की आरती उतारें और उनके मित्रों का 108 बार जाप करें।
- अंत में भगवान से व्रत के दौरान हुई गलतियों की माफी मांगे।
स्कंद षष्ठी पर इन चीजों का ध्यान रखें
- अगर आप स्कंद षष्ठी के दिन किसी को दान करते हैं, तो आपके लिए काफी फल दायक माना जाता है।
- अगर आप व्रत रख रहे हैं या नहीं भी रख रहे हैं तो अपने घर में भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करके अखंड दीपक जरूर जलाएं।
- ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें।
- अगर कोई भी व्यक्ति पैसों की तंगी से जूझ रहा है तो इस दिन भगवान को दही में सिंदूर मिलाकर जरूर अर्पित करें।
- क्या चीज भूल कर भी ना करें!
- व्रत के दौरान किसी से झूठ ना बोले और ना ही ईर्ष्या की भावना अपने अंदर रखें।
- व्रत के दौरान तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज और लहसुन, शराब जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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