Sonbhadra Mining Accident: 15 मजदूरों के दबे होने की आशंका, अब तक 7 शव बरामद; रेस्क्यू अभियान 65 घंटे से जारी
Sonbhadra Mining Accident: सोनभद्र जिले के ओबरा क्षेत्र में बिल्ली मारकुंडी स्थित मेसर्स श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स की खदान में रविवार देर शाम हुए भीषण हादसे ने पूरे इलाके को दहला दिया। खदान में ड्रिलिंग के दौरान अचानक भारी चट्टान धंस गई और कई मजदूर मलबे में दब गए। प्रशासन के अनुसार करीब 15 मजदूरों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं रेस्क्यू टीमों ने अब तक 7 शव बरामद कर लिए हैं।
65 घंटे से अधिक समय से जारी रेस्क्यू अभियान
हादसे के बाद तुरंत पुलिस, प्रशासन, NDRF और SDRF की टीमों को बुलाया गया। सोमवार की सुबह तक चार शव बाहर निकाले जा चुके थे, जबकि शाम तक दो और मजदूरों के शव मिले। मंगलवार सुबह एक और शव बरामद हुआ, जिसके बाद मृतकों की संख्या सात हो गई।
रेस्क्यू टीमों का कहना है कि हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं क्योंकि खदान में धंसी चट्टान का वजन करीब 70 से 75 टन है। इसे हटाना सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। मशीनों और क्रेनों की मदद से लगातार मलबा हटाने का काम जारी है।
प्रशासन ने साफ कहा है कि जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि खदान में कोई मजदूर जीवित या मृतावस्था में मौजूद नहीं, तब तक अभियान जारी रहेगा।
परिजनों का दर्द—चिथड़ों में अपनों की तलाश
यह हादसा इतना भयावह था कि मौके पर मौजूद लोग भी दहल उठे।चट्टान के गिरने से कई मजदूरों के शरीर बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए थे। पहचान करना बेहद मुश्किल हो गया था। किसी मजदूर की पहचान हाथ में बंधे कलावा से हुई, तो किसी को कपड़ों के टुकड़ों से पहचाना गया। कई परिजन मलबे के बीच चिथड़ों में अपने लोगों को ढूंढते रहे। पुलिस ने बिखरे हुए शरीर के अंगों को एकत्र कर पोस्टमॉर्टम कराया और फिर परिजनों को सौंपा गया।
दो सगे भाई भी मलबे में दबे मिले
सोमवार को जिन शवों को बाहर निकाला गया, उनमें पनारी गांव के करमसार टोला निवासी इंद्रजीत यादव (32) और उसके भाई संतोष यादव (30) भी शामिल थे।इसके अलावा कोन क्षेत्र के रविंद्र उर्फ नानक, रामखेलावन (40), गुलाब उर्फ मुंशी समेत कई मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई है। एक शव की अब तक पहचान नहीं हो पाई है।
प्रभारी मंत्री पहुंचे, 20.55 लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा
जिले के प्रभारी मंत्री रवींद्र जायसवाल मृतकों के परिजनों से मिलने पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। उन्होंने शोक जताते हुए घोषणा की कि प्रत्येक मृतक के परिजनों को 20.55 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
पिछले साल की जांच रिपोर्ट पर उठ रहे सवाल
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जिस खदान में यह बड़ा हादसा हुआ, उसकी पिछले वर्ष छह विभागों की संयुक्त टीम ने जांच की थी। खान सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि—
- खदान में सुरक्षा उपकरणों का ठीक उपयोग किया जा रहा है
- सुरक्षा मानकों के अनुसार बेंच बनाकर खनन किया जा रहा है
और रिपोर्ट में खदान संचालक को पूरी तरह क्लीन चिट दे दी गई थी।
अब हादसे के बाद इस रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि क्या खदान की गहराई, संरचना और सुरक्षा मानकों की ठीक से जांच हुई भी थी या नहीं?
अवैध खनन मामले में सोनभद्र डीएम पर NGT की कार्रवाई
हादसे के बीच ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने सोनभद्र के जिलाधिकारी बीएन सिंह पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई जिले में अवैध खनन को लेकर जांच रिपोर्ट देर से जमा करने पर की गई है। NGT ने कहा कि रिपोर्ट समय पर न देना अदालत के आदेशों का पालन न करने के बराबर है। अप्रैल 2024 में NGT ने सोनभद्र में अवैध खनन की जांच के लिए संयुक्त समिति बनाई थी, जिसमें DM नोडल अधिकारी थे।
रेस्क्यू जारी, गांवों में पसरा मातम
हादसे के तीसरे दिन भी खदान के आस-पास गम का माहौल है। दर्जनों परिवारों की निगाहें रेस्क्यू ऑपरेशन पर टिकी हुई हैं। हर मिनट उन्हें यह उम्मीद है कि मलबे से शायद कोई जीवित निकल आए … लेकिन भारी चट्टान और गहराई के कारण यह काम बेहद कठिन बना हुआ है।
रेस्क्यू टीमें लगातार काम कर रही हैं और प्रशासन ने कहा है कि
जब तक खदान पूरी तरह खाली नहीं हो जाती, अभियान बंद नहीं किया जाएगा।
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