Sri Lanka Snap Election: श्रीलंका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति Anura Kumara Dissanayake ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए देश की संसद को भंग कर दिया है और तय समय से लगभग एक साल पहले 14 नवंबर को जल्द चुनाव कराने की घोषणा की है।
225 सदस्यीय संसद, जिसे अगस्त 2025 तक चलना था, को भंग करने का यह निर्णय डिसानायके की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश की राजनीतिक संरचना में सुधार करना और चुनावी वादों को पूरा करना है।
Sri Lanka Snap Election का उनका यह निर्णय श्रीलंका की पारंपरिक राजनीतिक परिवारों से अलग हटने की तीव्र मंशा को दर्शाता है। इन परिवारों ने दशकों से देश की राजनीति पर प्रभुत्व बनाए रखा है। इसके साथ ही, वे देश को आर्थिक रिवाइवल और राजनीतिक परिवर्तन की नई दिशा में ले जाना चाहते हैं।
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Toggleसंसद का भंग होना और Snap Election का आह्वान
संसद को भांग करने का यह निर्णय 24 सितंबर की मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया है। यह जानकारी सरकार द्वारा जारी एक विशेष अधिसूचना में दी गयी है। Sri Lanka Snap Election 14 नवंबर को आयोजित किए जाएंगे और नव-निर्वाचित संसद की पहली बैठक 21 नवंबर को होगी।
यह कदम Anura Kumara Dissanayake को जनता से नए जनादेश की मांग करने का एक और मौका देगा, खासकर जब उनकी पार्टी, नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी), वर्तमान संसद में सिर्फ तीन सीटों पर काबिज है। Sri Lanka Snap Election के माध्यम से डिसानायके और उनकी पार्टी अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने और अपने सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक समर्थन प्राप्त कर सकती हैं।
Sri Lanka Snap Election का निर्णय पिछले हफ्ते हुए चुनावों के बाद आया है, जिसमें लाखों श्रीलंकाई लोगों ने बदलाव की मांग करते हुए Anura Kumara Dissanayake को अपने नए राष्ट्रपति के रूप में चुना। ये चुनाव 2022 में देश की आर्थिक तबाही के बाद पहले चुनाव थे। Anura Kumara Dissanayake, जो भ्रष्टाचार-विरोधी कदमों के प्रबल समर्थक हैं, ने अपने चुनावी अभियान में पारंपरिक राजनीतिक वंशों के प्रभुत्व को समाप्त करने, संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और शासन में बड़े सुधार लाने का वादा किया था।
संकट का संदर्भ: श्रीलंका की आर्थिक और राजनीतिक कठिनाइयाँ
श्रीलंका पिछले कुछ वर्षों में अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा था, जो 2020 में शुरू हुआ। इस संकट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी थी, जिससे श्रीलंका ईंधन, दवाइयों और खाना पकाने की गैस जैसे आवश्यक चीज़ो के आयातों का भुगतान करने में भी असमर्थ हो गया था।
इस आर्थिक संकट के कारण सरकार के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जनता के भारी विरोध के चलते देश छोड़कर भागना पड़ा। हजारों प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो के राष्ट्रपति महल पर धावा बोल दिया था और उनके इस्तीफे की मांग की थी। आखिरकार गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफ़ा देना पड़ा और देश की राजनीतिक परिदृश्य में एक निर्णायक मोड़ आया।
राजपक्षे के इस्तीफे के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश की बागडोर संभाली और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के प्रयास किए। उनकी कोशिशों ने कुछ हद तक शांति और व्यवस्था बहाल की, और देश ने धीरे-धीरे अपनी रिकवरी शुरू की। हालांकि, संकट का कारण बने मुद्दे अभी तक पूरी तरह से हल नहीं हो पाए हैं जिससे भविष्य में और राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
इसी पृष्ठभूमि में, Anura Kumara Dissanayake की हाल ही में हुई राष्ट्रपति चुनाव में जीत श्रीलंका के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। श्रीलंका के लोग, जो राजनीतिक परिवारों के लंबे शासन से तंग आ चुके थे, ने डिसानायके के नेतृत्व पर अपना भरोसा जताया है ताकि वह देश को आर्थिक और राजनीतिक कठिनाइयों से बाहर निकाल सकें।
Anura Kumara Dissanayake का श्रीलंका के लिए विज़न
Anura Kumara Dissanayake ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है जो भ्रष्टाचार से लड़ने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं। अपने राष्ट्रपति के रूप में उद्घाटन भाषण में, डिसानायके ने लोकतंत्र को बनाए रखने और एक साफ, अधिक पारदर्शी राजनीतिक प्रणाली की ओर काम करने का वादा किया।
“हमारी राजनीति को साफ़-सुथरा बनाने की आवश्यकता है, और लोग एक अलग राजनीतिक कल्चर की मांग कर रहे हैं। मैं उस बदलाव के प्रति प्रतिबद्ध हूं,” उन्होंने कहा।
डिसानायके के चुनावी मंच में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, मुद्रास्फीति को कम करने और देश के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए व्यापक सुधार लाने के वादे शामिल थे।
उन्होंने श्रीलंका के शासन में लंबे समय से प्रभावी राजनीतिक संरचनाओं को खत्म करने का भी संकल्प लिया। उनकी पार्टी, नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी), जिसमें उनकी जनथा विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी भी शामिल है, अपने मार्क्सवादी आर्थिक नीतियों के लिए जानी जाती है।
Anura Kumara Dissanayake की योजना में उन लोगों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों का विस्तार करना शामिल है, जो देश के $2.9 बिलियन के IMF के बचाव पैकेज के तहत लागू की गई सख्त आर्थिक नीतियों के कारण संघर्ष कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने करों में कटौती और आईएमएफ पैकेज की शर्तों पर भी पुनर्विचार करने का वादा किया है, जिससे निवेशकों में चिंता पैदा हो गई है।
राष्ट्रपति के रूप में, Anura Kumara Dissanayake के सामने कई चुनौतियाँ हैं। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अभी भी नाजुक स्थिति में है और वित्तीय संकट से देश की रिकवरी अभी अधूरी है। डिसानायके के लिए एक प्रमुख कार्य स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को यह आश्वस्त करना होगा कि उनकी सरकार दीर्घकालिक विकास के लिए आवश्यक स्थिरता प्रदान कर सकती है। साथ ही, उन्हें जनता की तात्कालिक आवश्यकताओं का भी ध्यान रखना होगा, जो अभी भी जीवनयापन की उच्च लागत, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी से जूझ रही है।
Anura Kumara Dissanayake के लिए एक अन्य प्रमुख चुनौती श्रीलंका के जटिल राजनीतिक परिदृश्य को संभालना होगा। उनकी पार्टी का संसद में सीमित प्रतिनिधित्व है, जिसका मतलब है कि उन्हें अपने सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अन्य राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन बनाना और समझौते करना होगा। 14 नवंबर को होने वाले Sri Lanka Snap Election उनके लिए यह साबित करने का एक महत्वपूर्ण मौका होंगे कि वे व्यापक राजनीतिक समर्थन हासिल कर सकते हैं और अपने नीतियों के लिए जनादेश प्राप्त कर सकते हैं।
अनुरा कुमारा डिसानायके द्वारा संसद को भंग करने और Sri Lanka Snap Election का आह्वान करना एक साहसिक कदम है, जो उनके देश में बदलाव लाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसे-जैसे श्रीलंका आर्थिक संकट से उबर रहा है, डिसानायके का नेतृत्व देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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