State GDP: भारत का आर्थिक परिदृश्य हमेशा उसकी विविधता का प्रतिबिंब रहा है, जहां प्रत्येक राज्य अलग-अलग तरीके से देश की जीडीपी में योगदान देता है। दक्षिणी राज्य हाल के दशकों में तेजी से आगे बढ़े हैं, पश्चिम बंगाल जैसे कभी आर्थिक रूप से मजबूत राज्यों में लगातार गिरावट देखी गई है।
प्रधानमंत्री की Economic Advisory Committee (EAC-PM) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में इन प्रवृत्तियों को उजागर किया गया है, जो उदारीकरण के बाद भारतीय राज्यों की आर्थिक सफलता और चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।
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ToggleState GDP: दक्षिणी राज्य भारत की जीडीपी का 30% हिस्सा
EAC-PM Report में दक्षिणी राज्यों — कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु — के तेजी से आर्थिक विकास पर जोर दिया गया है। ये राज्य अब मिलकर भारत की GDP का लगभग 30% योगदान देते हैं। यह स्थिति 1991 के समय से काफी अलग है, जब इन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम थी।
भारत की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद, इन राज्यों में तेजी से आर्थिक विकास हुआ और मार्च 2024 तक, ये राज्य देश के प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में शामिल हो गए। कर्नाटक, अपने उभरते हुए टेक्नोलॉजी सेक्टर के साथ, इस विकास में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। राज्य का बेंगलुरु शहर भारत की ‘सिलिकॉन वैली’ बन गया है, जहां वैश्विक टेक कंपनियों ने अपने कदम जमाए हैं और innovation को बढ़ावा दिया है।
इसी तरह, तमिलनाडु, जो औद्योगिक हब जैसे चेन्नई के लिए जाना जाता है, ने अपने औद्योगिक विकास के माध्यम से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। इन राज्यों ने अनुकूल नीतियों, बुनियादी ढांचे के विकास और कुशल श्रम शक्ति का लाभ उठाया है, जिससे वे अपने उत्तरी और पूर्वी समकक्षों को आर्थिक दृष्टि से पीछे छोड़ चुके हैं।
भारत का सबसे नया राज्य, तेलंगाना, जो 2014 में बना, ने भी प्रभावशाली आर्थिक विकास दिखाया है। राज्य की रणनीतिक फोकस तकनीकी, रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे के विकास पर रही है, जिसने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया है।
पश्चिम बंगाल State GDP में गिरावट
दक्षिणी राज्यों की सफलता के विपरीत, पश्चिम बंगाल का मामला लगातार आर्थिक गिरावट का है। एक समय भारत की जीडीपी में 10.5% का योगदान देने वाला यह राज्य, 1960-61 में शीर्ष योगदानकर्ताओं में था। लेकिन 2024 तक यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 5.6% रह गया है।
राज्य की प्रति व्यक्ति आय में भी तेज गिरावट देखी गई है, जो राष्ट्रीय औसत के 127.5% से घटकर अब केवल 83.7% रह गई है। यह गिरावट इसे राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों से भी पीछे ले जाती है, जिन्हें परंपरागत रूप से पिछड़ा माना जाता था।
पश्चिम बंगाल की इस गिरावट ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है, खासकर जब राज्य की भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक औद्योगिक ताकत को देखा जाए। रिपोर्ट पश्चिम बंगाल को समुद्री राज्यों में एक अपवाद के रूप में दर्शाती है, क्योंकि अधिकांश समुद्री राज्य आर्थिक रूप से समृद्ध हुए हैं।
पश्चिम बंगाल में औद्योगिक नीतियों की असफलता और उदारीकरण के बाद बदलते राजनीतिक माहौल ने इसके आर्थिक ठहराव में अहम भूमिका निभाई है।
महाराष्ट्र State GDP जीडीपी में शीर्ष पर, लेकिन चुनौतियां बरकरार
महाराष्ट्र अब भी भारत का सबसे बड़ा जीडीपी योगदानकर्ता है। राज्य, जो वित्तीय राजधानी मुंबई का घर है, देश की आर्थिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसका जीडीपी में हिस्सा घटकर 13.3% हो गया है, जो पहले 15% से अधिक था।
फिर भी, महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है, जो मार्च 2024 तक राष्ट्रीय औसत का 150.7% हो गई है। यह बढ़त राज्य की अर्थव्यवस्था की स्थिरता को दर्शाती है, भले ही इसका सापेक्ष योगदान घटा हो।
हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि महाराष्ट्र अब प्रति व्यक्ति आय के मामले में शीर्ष पांच राज्यों में शामिल नहीं है, जो यह संकेत देता है कि राज्य अपनी आर्थिक स्थिति बनाए रखने के बावजूद अन्य क्षेत्रों से प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है।
पंजाब और हरियाणा State GDP की अलग-अलग राहें
पंजाब, जो कभी हरित क्रांति का सबसे बड़ा लाभार्थी था, ने 1991 के बाद से आर्थिक विकास में गिरावट देखी है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1971 तक राष्ट्रीय औसत के 169% तक बढ़ी थी, जो कृषि उत्पादन और संबंधित उद्योगों की वृद्धि को दर्शाती है। हालांकि, 1991 के बाद से इन फायदों में ठहराव आ गया है, और अब पंजाब की प्रति व्यक्ति आय 106% तक गिर गई है, जो यह दर्शाती है कि राज्य की अर्थव्यवस्था में विविधता या अपेक्षित गति से विकास नहीं हुआ है।
वहीं, हरियाणा की कहानी बिल्कुल विपरीत है। एक समय पंजाब से आर्थिक रूप से पीछे रहने वाला हरियाणा अब 176.8% की प्रति व्यक्ति आय के साथ आगे बढ़ चुका है। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा 2000 के बाद हुआ है, जब राज्य ने ऑटोमोबाइल निर्माण, आईटी और रियल एस्टेट पर ध्यान केंद्रित किया।
सबसे गरीब राज्यों की चुनौती
EAC-PM Report में भारत के सबसे गरीब राज्यों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है। उत्तर प्रदेश, जो 1960-61 में भारत की GDP में 14% का योगदान देता था, अब केवल 9.5% रह गया है।
बिहार, जो भारत का तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, केवल 4.3% का योगदान देता है। राज्य को लंबे समय से बुनियादी ढांचे, शासन और गरीबी से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि हाल के वर्षों में कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन बिहार अन्य राज्यों की तुलना में आर्थिक रूप से बहुत पीछे है।
हालांकि, EAC-PM Report में कुछ पिछड़े माने जाने वाले राज्यों में सकारात्मक विकास की ओर भी इशारा किया गया है। उदाहरण के लिए, ओडिशा ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे उसकी पिछड़े राज्य की छवि बदल गई है। खनन, बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास में निवेश ने ओडिशा को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है, जिससे यह राज्य आने वाले वर्षों में ध्यान देने योग्य बन गया है।
EAC-PM Report से यह स्पष्ट होता है कि उदारीकरण के बाद से क्षेत्रीय असमानताएं बढ़ी हैं। जबकि दक्षिणी राज्यों ने सुधारों का लाभ उठाकर विकास में नेतृत्व किया है, पश्चिम बंगाल का मामला एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है।
EAC-PM Report इन आर्थिक असमानताओं की जांच और समाधान के लिए गहराई से विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर देती है।
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