दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत 1 अप्रैल 2019 से पहले बेचे गए सभी वाहनों पर ईंधन के प्रकार को दर्शाने वाले रंगीन स्टिकर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए नीला स्टिकर: हल्के नीले रंग का स्टिकर इन वाहनों पर लगाया जाएगा।
- डीजल वाहनों के लिए नारंगी स्टिकर: डीजल से चलने वाले वाहनों पर नारंगी रंग का स्टिकर अनिवार्य होगा।
- कानूनी कार्रवाई: नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 1 अप्रैल 2019 से पहले रजिस्टर्ड वाहनों पर यह नियम लागू होगा। जिन वाहनों पर यह स्टिकर नहीं लगेगा, उनके पंजीकरण से जुड़े किसी भी कार्य जैसे ऑनरशिप ट्रांसफर या फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किए जाएंगे।
पहली बार नियम तोड़ने पर 2,000 से 5,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं, दोबारा गलती करने पर 5,000 से 10,000 रुपये तक का जुर्माना या एक साल की जेल हो सकती है।
डीलरों की भूमिका:
सुप्रीम कोर्ट ने वाहन डीलरों को अधिकृत किया है कि जिन वाहनों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) पहले से लगी हो, उन पर डीलर स्टिकर लगाने का काम करेंगे।
राज्य सरकारों की जिम्मेदारी:
एनसीआर के सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि 1 अप्रैल 2019 से पहले के सभी वाहनों पर यह स्टिकर लगाया जाए। इसके लिए राज्यों को एक महीने के भीतर शपथपत्र दाखिल करना होगा।
केंद्र सरकार को निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस नियम के अनुपालन पर रिपोर्ट तैयार करे। यह रिपोर्ट 17 मार्च तक प्रस्तुत की जानी है।
रंगीन स्टिकर क्यों जरूरी?
यह स्टिकर वाहनों के ईंधन प्रकार की पहचान के लिए हैं, जिससे पेट्रोल, सीएनजी और डीजल वाहनों को अलग करना आसान हो जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान कर उन पर नियंत्रण लगाना है।
क्या आपके लिए है यह जानकारी महत्वपूर्ण?
अगर आपकी गाड़ी 1 अप्रैल 2019 से पहले खरीदी गई है, तो इस नए नियम का पालन करना जरूरी है। ऐसा न करने पर जुर्माने या सजा का सामना करना पड़ सकता है।
नए नियमों का असर:
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। यह कदम पूरे देश में भी लागू हो सकता है, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
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