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केजरीवाल के ‘फॉर्म 17C’ के सवाल पर चुनाव आयोग का जवाब, पूरी प्रक्रिया समझाई

केजरीवाल के 'फॉर्म 17C' के सवाल पर चुनाव आयोग का जवाब, पूरी प्रक्रिया समझाई

केजरीवाल के 'फॉर्म 17C' के सवाल पर चुनाव आयोग का जवाब, पूरी प्रक्रिया समझाई

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग फॉर्म 17C की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रहा है। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने न केवल प्रक्रिया स्पष्ट की बल्कि संबंधित आंकड़े भी साझा किए।

केजरीवाल का आरोप:

अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा,
“चुनाव आयोग कई अनुरोधों के बावजूद फॉर्म 17C और प्रत्येक बूथ पर डाले गए वोटों की संख्या अपलोड करने से इनकार कर रहा है। हमने पारदर्शिता के लिए एक वेबसाइट (transparentelections.in) बनाई है, जहां हमने हर विधानसभा के सभी फॉर्म अपलोड किए हैं। यह काम चुनाव आयोग को करना चाहिए था।”

केजरीवाल ने यह भी कहा कि फॉर्म 17C में प्रत्येक बूथ पर डाले गए वोटों का पूरा विवरण होता है। यह जनता को मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दिया जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव आयोग पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि आयोग यह डेटा उपलब्ध नहीं कराता है तो उनकी पार्टी जनता को सही जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध है।

चुनाव आयोग का जवाब:

मुख्य चुनाव अधिकारी ने तुरंत केजरीवाल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा,
“चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 49S के तहत, मतदान के दिन 5 फरवरी 2025 को सभी पीठासीन अधिकारियों ने उपस्थित मतदान एजेंटों को फॉर्म 17C का विवरण दिया था। सभी मतदान केंद्रों पर नियमों का पालन किया गया है।”

चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से अपनाई गई है। हर मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी ने मतों की गणना की पुष्टि की है और संबंधित एजेंटों को इसका विवरण दिया गया है।

फॉर्म 17C क्या है?

फॉर्म 17C एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसका उपयोग मतदान केंद्र पर डाले गए कुल वोटों की जानकारी दर्ज करने के लिए किया जाता है। इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल होती है:

यह दस्तावेज चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जाता है। फॉर्म 17C को पीठासीन अधिकारी द्वारा प्रत्येक बूथ पर मौजूद मतदान एजेंटों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

राजनीतिक गर्माहट जारी:

केजरीवाल के इस बयान से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में और विवादित हो सकता है। विपक्षी दलों ने भी इस विवाद को लेकर बयानबाजी शुरू कर दी है।

दिल्ली के चुनावी नतीजे आने से पहले यह मुद्दा जनता और मीडिया के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। केजरीवाल के समर्थक इसे पारदर्शिता की लड़ाई बता रहे हैं जबकि विरोधी इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं।

आम जनता की प्रतिक्रिया:

इस पूरे मामले पर दिल्ली की जनता की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक तरफ कुछ मतदाता चुनाव आयोग की सफाई को पर्याप्त मानते हैं, तो दूसरी तरफ कुछ लोग इसे पारदर्शिता की कमी मानते हुए केजरीवाल के पक्ष में खड़े हैं।

नतीजों पर टिकी नजरें:

चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता बनाए रखना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अब देखना यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के अंतिम परिणाम किस दिशा में जाते हैं और यह मुद्दा चुनावी राजनीति में क्या मोड़ लेता है।

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