साल 2024 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा के दौरान, एक छोटे से कीड़े का नाम भी सामने आया जिसने चार बार नोबेल पुरस्कार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस जीव का नाम है कैनेोरहैबडिटिस एलेगन्स (Caenorhabditis elegans), जिसे हम सी एलेगन्स के नाम से भी जानते हैं। हाल ही में, मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित molecular biologist, गैरी रुवकुन ने इस छोटे से कीड़े का जिक्र अपनी स्पीच में किया और इसे ‘धाकड़’ (Badass) कहकर अपनी तारीफ की।
एक छोटे से कीड़े की महान भूमिका
यह पहली बार नहीं है जब इस जीव ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हों। सी एलेगन्स ने पहले भी कई महत्वपूर्ण खोजों में मदद की है और इसके कारण ही इसे चार बार नोबेल पुरस्कार दिलवाए गए हैं। इस छोटे से निमेटोड ने वैज्ञानिकों को समझने में मदद की कि कोशिकाएं कैसे खुद को मारती हैं और यह प्रक्रिया कैसे विभिन्न बीमारियों जैसे एड्स, स्ट्रोक, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में अलग तरीके से काम करती है।
कैनेोरहैबडिटिस एलेगन्स और जीन रिसर्च
2002 में, सी एलेगन्स का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण शोध किया था, जिसमें बताया गया कि स्वस्थ कोशिकाएं कैसे आत्महत्या करती हैं। इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिलने के बाद वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा, 2006 में जीन साइलेंसिंग के क्षेत्र में किए गए काम को भी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसका उद्देश्य यह समझना था कि कोशिका के भीतर कौन सा जीन कब सक्रिय होगा, जिसे नियंत्रित किया जा सकता है।
क्यों है यह कीड़ा इतना महत्वपूर्ण?
सी एलेगन्स का आकार बेहद छोटा होता है, लेकिन यह विज्ञान के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है। इसमें केवल 959 कोशिकाएं होती हैं, जबकि इंसान के शरीर में अरबों कोशिकाएं होती हैं। यही वजह है कि इस पर शोध करना आसान है और वैज्ञानिक इसके जीवन चक्र को बारीकी से समझ सकते हैं। इसका जीवन चक्र केवल तीन दिन का होता है, यानी इसका पूरा जीवन—बचपन से लेकर बुढ़ापे तक—तीन दिनों में ही पूरा हो जाता है। यह जीव लाइट माइक्रोस्कोप के तहत पारदर्शी दिखता है, जिससे इसके अंदर की गतिविधियों को आसानी से देखा जा सकता है।
आगे का रास्ता
सी एलेगन्स ने शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद की है कि जीवन की शुरुआत से लेकर मृत्यु तक का चक्र कैसे काम करता है। यह जीव न केवल बायोलॉजिस्ट के लिए एक आदर्श उदाहरण है, बल्कि इसे मेडिकल रिसर्च में भी एक बेजोड़ टूल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह पहली बार था जब 1998 में इसका जीनोम पूरा पढ़ा गया था, जिससे वैज्ञानिकों को इस जीव के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त हुई।
इस छोटे से कीड़े की मदद से होने वाले अनगिनत शोध आगे की चिकित्सा और बायोलॉजी में नई संभावनाओं का दरवाजा खोल रहे हैं। सी एलेगन्स ने साबित कर दिया कि आकार में छोटा होने पर भी किसी जीव का योगदान इंसानियत के लिए अनमोल हो सकता है।