
Train Hijack In Pakistan पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के सिब्बी जिले में मंगलवार दोपहर हथियारबंद चरमपंथियों ने क्वेटा से पेशावर जा रही ट्रेन जाफर एक्सप्रेस पर हमला किया और उसे हाईजैक कर लिया। इसमें 100 से अधिक यात्री भी सवार थे हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन आर्मी ने ली है। बीबीसी उर्दू से बातचीत करते हुए पाकिस्तान सेना ने बताया कि अब तक 104 यात्रियों को सुरक्षित रिहा करवा दिया गया है और 16 चरमपंथियों को मार भी दिया गया है।
तो वही दूसरी और बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस बात का दावा किया कि उसने पाकिस्तान सेना के कई सुरक्षा कर्मियों को मार दिया है और 35 लोगों को बंधक भी बना लिया हालांकि चरमपन्थियो के दावे की पुष्टि नहीं हुई है।
Train Hijack In Pakistan: क्या है बलूच लिबरेशन आर्मी?
बलूच लिबरेशन आर्मी जिसने ट्रेन हाईजैक किया है उसकी बलूचिस्तान को लेकर अलग-अलग मांग है और वह समय-समय पर सक्रिय होती रही है। बलूच नेशनल आर्मी यानी बीएलए एक दशक से अधिक समय से बलूचिस्तान में सक्रिय है। लेकिन हालिया वर्षों में इस चरमपंथी संगठन और इसके उप समूह मजीद ब्रिगेड के विस्तार और हमले, दोनों में काफी वृद्धि हुई है।
पाकिस्तान में हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बीएलए की सहयोगी मजीद ब्रिगेड पर बैन लगाने की भी मांग की थी। हालांकि पाकिस्तान और अमेरिका बीएलए पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं।
Train Hijack In Pakistan: कब हुई बलूचिस्तान में चरमपंथ की शुरुआत?
आपको बता दे बलूच लिबरेशन आर्मी बलूचिस्तान के कई अलगाववादी संगठनों में से एक बड़ा संगठन है। वही बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है जहां तेल, गैस के भंडार पर गरीबी के हालात हैं। बलूचिस्तान में चरमपंथी की शुरुआत बलूचिस्तान के पाकिस्तान में मिलने के बाद ही हो गई थी। उस दौरान कलात राज्य के राजकुमार करीम ने सशस्त्र संघर्ष भी शुरू किया था। फिर 1960 के दशक में जब नौरोज़ खान और उनके बेटों को हिरासत में लिया गया तो प्रांत में छोटा चरमपंथी आंदोलन भी छिड़ गया।
बलूचिस्तान में संगठित चरमपंथी आंदोलन 1970 के दशक में प्रारंभ हुआ जब बलूचिस्तान की पहली निर्वाचित विधानसभा और सरकार को निलंबित भी कर दिया गया था। उस समय सरदार अताउल्लाह मेंगल प्रांत के मुख्यमंत्री थे और मीर गौस बख़्श बिजेंजो गवर्नर थे। यह दोनों ही नेशनल अवामी पार्टी से तालुकात रखते थे। उस वक्त बलूचिस्तान में अलगाववादी नेताओं में नवाब खैर बख्श मिरि और शेर मोहम्मद का नाम सबसे आगे आया था और उन्हीं दिनों BLA का नाम भी सामने आया।
Train Hijack In Pakistan: बलोच नेता नवाबजादा मिरी अफगानिस्तान चले गए थे
बलूचिस्तान की पहली विधानसभा सरकार को मात्र 10 महीना में ही बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद अत्ताउल्लाह मेंगल और नवाब खैर बख्श मिरि इस समय नेशनल आवामी पार्टी के कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था और उस पर सरकार के खिलाफ साजिश रचने का केस भी चलाया गया। इस मामले के बाद नवाब खैर बख्श मिरि अफगानिस्तान को रवाना हो गए।
अपने साथ बड़ी मात्रा में उन्होंने जनजाति के सदस्यों को अपने साथ ले जाने के लिए सहमत किया। अफगानिस्तान में वह एक ‘हक टावर’ नाम से स्टडी सर्किल चलाते थे। बाद में जब अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनी तो वह पाकिस्तान फिर से लौट आए और यहां भी ‘हक टावर’ स्टडी सर्किल को जारी रखा।
Train Hijack In Pakistan: सुरक्षा बलों पर BLA का हमला
कई युवा स्टडी सर्किल से जुड़ने के लिए प्रेरित हुए इनमें उस्ताद असलम अच्छू नाम का एक सदस्य भी शामिल था जो बाद में बीएलए का कमांडर बन गया। वर्ष 2000 से बलूचिस्तान के अलग-अलग क्षेत्र में सरकारी प्रतिष्ठानों और सुरक्षा बलों पर हमले प्रारंभ हो गए। 2005 में पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की कोहलू यात्रा के दौरान रॉकेट दागे गए तो बेहद पेचीदा मामला हो गया।
इसके बाद फ्रंटियर कोर के हेलीकॉप्टर पर कथित गोलीबारी की गई ‘कोहलू’ नवाब खैर मिरि का पैतृक गांव है।
इस घटना के बाद पाकिस्तान सरकार ने बीएलए को बैन संगठनों की लिस्ट में जोड़ दिया। 2007 को अफगानिस्तान में एक सड़क के पास स्थित ऑपरेशन में नवाब खैर बख्श के बेटे नवाबजादा बलोच मिरि की हत्या कर दी गई।
Train Hijack In Pakistan: BLA की मांग क्या है?
बलूचिस्तान के नागरिकों का कहना है कि जब भारत- पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो उस वक्त उन्हें जबरदस्ती पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया जबकि वह खुद को एक आजाद मुल्क के रूप में देखना चाहते थे। ऐसा नहीं हो स्का इसलिए प्रांत के लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेवा से बैर हो गया जिसका संघर्ष चलता रहा और वह आज भी चल ही रहा है।
बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले फिलहाल के अलगाववादी समूह अभी भी सक्रिय है। इनमें सबसे पुराने और सरदार संगठनों में से ही एक है बीएलए यानी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी। यह समूह बलूचिस्तान को विदेशी प्रभाव खास तौर पर चीन और पाकिस्तान सरकार से मुक्ति दिलाना चाहता है। बीलए का ये मानना है कि बलूचिस्तान के संसाधनों पर उनके नागरिकों का पहला हक़ है।
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