TTP chief killed: नूर वली महसूद पाकिस्तान हमले में मारा गया, टीटीपी का खौफनाक सरगना था
TTP chief killed: अफगान मीडिया और कई स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के एक हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के प्रमुख नूर वली महसूद मारे गए। नूर वली महसूद पाकिस्तान में आतंकवाद के सबसे प्रभावशाली और खतरनाक चेहरों में से एक माने जाते थे। उनका उद्देश्य पाकिस्तान में शरिया आधारित इस्लामिक शासन की स्थापना करना था।
नूर वली महसूद का परिचय
नूर वली महसूद का जन्म 26 जून 1978 को पाकिस्तान के दक्षिण वजीरिस्तान के गुरगुराय गांव में हुआ था। उन्होंने अपने आतंकी कैरियर की शुरुआत 2003 में “मेहसूद तालिबान” नामक स्थानीय संगठन से की और 2007 में यह संगठन टीटीपी में विलय हो गया। 2018 में मुल्ला फजलुल्लाह के मारे जाने के बाद, उन्हें टीटीपी का चौथा प्रमुख बनाया गया।
उन्होंने पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद फैलाने के लिए संगठनात्मक नेटवर्क तैयार किया। कराची में उन्होंने टीटीपी की जमीनी शाखाओं को मजबूत किया और वहां फिरौती, अपहरण और जबरन वसूली के जरिए फंड जुटाने का काम संभाला। माना जाता है कि नूर वली महसूद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लगातार आवाजाही करते थे और दोनों देशों में उनके ठिकाने मौजूद थे।
पाकिस्तान ने क्यों किया हमला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने यह हमला उस समय किया जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी अपने पहले भारत दौरे पर थे। पाकिस्तानी सेना ने काबुल में हवाई हमले किए, जिनमें नूर वली महसूद के मारे जाने का दावा किया गया। काबुल के कुछ हिस्सों में देर रात धमाके सुनाई दिए, जिन्हें स्थानीय लोगों ने एयरस्ट्राइक से जोड़ा।
तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने हवाई हमले की पुष्टि की है और कहा कि वे इसकी जांच कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने किसी भी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं दी।
नूर वली महसूद का आतंकवादी नेटवर्क
नूर वली महसूद ने टीटीपी के भीतर अपनी स्थिति बहुत मजबूत बनाई थी। कराची में उन्होंने आतंकवाद के लिए व्यापक नेटवर्क तैयार किया और वहां के पश्तून व्यापारियों को अपने नियंत्रण में लिया। तालिबान अदालतों के माध्यम से उन्होंने विवाद सुलझाने का काम किया और जो लोग उनके आदेशों का पालन नहीं करते थे, उन्हें कड़ी सजा दी जाती थी।
उनके नेतृत्व में टीटीपी ने पाकिस्तान में कई भीषण आतंकी हमले किए। उनका दावा था कि वे पाकिस्तान में “असली इस्लामिक शासन” स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मौत पाकिस्तान के लिए बड़ा संदेश है, लेकिन यह देखना बाकी है कि टीटीपी पर इसका कितना असर पड़ता है।
पाक-तालिबान संबंध और रणनीति
टीटीपी का गठन पाकिस्तान में तालिबान के विचारधारा को फैलाने के लिए किया गया था। यह संगठन पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना चाहता था और विभिन्न हिंसक गतिविधियों के जरिए अपना उद्देश्य पूरा करने की कोशिश करता रहा।
नूर वली महसूद ने खुद को और अपने संगठन को पाकिस्तान के लिए खतरनाक साबित किया। उनकी रणनीति में पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में नेटवर्क तैयार करना, युवाओं को आतंकवाद में शामिल करना और तालिबान अदालतों के जरिए नियंत्रण बनाए रखना शामिल था।
नतीजा और संभावित प्रभाव
नूर वली महसूद की मौत पाकिस्तान और TTP दोनों के लिए अहम घटना है। पाकिस्तान को इससे आंतरिक सुरक्षा में राहत मिल सकती है, जबकि टीटीपी के भीतर नेतृत्व को लेकर अस्थिरता पैदा हो सकती है।
हालांकि, आतंकवादी संगठन अक्सर अपने नेताओं की मौत के बाद भी नए नेताओं के साथ सक्रिय रहते हैं। इसलिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने की जरूरत है।
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