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वर्षा बंगला विवाद: भैंसों के सींग गाड़ने के आरोप पर सियासी बवाल

वर्षा बंगला विवाद: भैंसों के सींग गाड़ने के आरोप पर सियासी बवाल

वर्षा बंगला विवाद: भैंसों के सींग गाड़ने के आरोप पर सियासी बवाल

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महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में इन दिनों वर्षा बंगला विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने इस बंगले को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री आवास को शापित करने के लिए भैंसों के सींग गाड़े गए हैं ताकि मुख्यमंत्री की कुर्सी एकनाथ शिंदे के अलावा किसी और के पास न जाए।

क्या है वर्षा बंगला?

साउथ मुंबई स्थित वर्षा बंगला महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास है। वर्तमान में यह बंगला उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कब्जे में है, जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने पुराने आवास ‘सागर’ में रहते हैं।

राउत का आरोप

नासिक में पत्रकारों से बातचीत के दौरान संजय राउत ने दावा किया, “ऐसी चर्चा है कि एकनाथ शिंदे जब कामाख्या गए थे, तब वहां भैंसों की बलि दी गई थी। उन भैंसों के सींगों को वर्षा बंगले में गाड़ा गया है ताकि मुख्यमंत्री पद पर शिंदे के अलावा कोई और न टिक सके।”

राउत ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस खुद भी वर्षा बंगले में जाने को लेकर असहज हैं। उन्होंने बताया कि बंगले के कर्मचारियों के बीच इसको लेकर कानाफूसी हो रही है।

साजिश का आरोप

संजय राउत ने यह भी दावा किया कि वर्षा बंगले को तोड़ने और वहां नया बंगला बनाने की योजना है। उन्होंने कहा, “मेरे पास विश्वसनीय जानकारी है कि बंगले को ध्वस्त करने की साजिश चल रही है।”

फडणवीस का जवाब

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “यह बेतुकी बातें हैं। अंधविश्वास जैसी बातों पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी बेटी की परीक्षाओं के कारण वह अभी तक वर्षा बंगले में शिफ्ट नहीं हुए हैं।

शिंदे की प्रतिक्रिया

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राउत के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “राउत को शायद ऐसे मामलों का ज्यादा अनुभव है, इसलिए वे इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। इन बातों पर प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं लगता।”

भाजपा का पलटवार

भाजपा नेता प्रवीण दरेकर ने कहा, “संजय राउत अब जादू-टोना वाली बातें करने लगे हैं। वर्षा बंगला महाराष्ट्र की पहचान है। इसे विकसित करने में क्या बुराई है?”

महाराष्ट्र की राजनीति में अंधविश्वास का सवाल

यह विवाद महाराष्ट्र के प्रगतिशील मूल्यों पर भी सवाल खड़े करता है। राज्य महात्मा फुले और संत गाडगे बाबा जैसे समाज सुधारकों के लिए जाना जाता है जिन्होंने अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई थी।

यह विवाद अंधविश्वास और राजनीति का अनोखा मेल बन गया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले में और क्या नया मोड़ आता है।

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