
Waqf Amendment Bill: वक्फ बिल पर कानूनी जंग
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने आज कहा कि कांग्रेस पार्टी बहुत जल्द इस बिल के संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी पहले ही नागरिकता कानून, आरटीआई कानून, चुनाव नियमों से संबंधित कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है और यह सभी मामले कोर्ट में अभी भी चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त पूजा स्थल अधिनियम को भी कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
अब इसी सूची में वक्फ संशोधन बिल भी जुड़ने वाला है। हालांकि कांग्रेस पार्टी अकेली नहीं है जो इसके खिलाफ कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस पार्टी के अलावा भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही वक्फ संशोधन बिल को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने की बात कर चुका है। बोर्ड के सदस्य मोहम्मद अदीब ने बुधवार को कहा था कि जब तक यह कानून पारित नहीं हो जाता हम चैन से बैठने वाले नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि मुस्लिम संपत्तियों को जब्त करने का यह प्रयास है।
Waqf Amendment Bill: सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
ऐसी परिस्थितियों में बिल प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हमेशा तलवार लटकती है। विपक्ष का पहला तर्क ये है कि यह बिल धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों का हस्तक्षेप करना उस अधिकार का हनन है। हालांकि सरकार का यह पक्ष है कि वक्फ में किसी भी गैर मुस्लिम सदस्य को जगह नहीं मिलेगी। बल्कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों और महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान इस बिल में किया गया है। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट यह फैसला लेगा की क्या सच में इस बिल के प्रावधानों से धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है या नहीं।
Waqf Amendment Bill: विरोधियों का तर्क संघीय ढांचे पर प्रहार हो रहा है
वक्फ बिल के विरोधियों का कहना है कि इस बिल से संघीय ढांचे पर प्रहार किया जा रहा है। यह जमीन राज्य का विषय है लेकिन वक्फ बिल में संपत्ति का निर्धारण और रेगुलेशन का हक कलेक्टर को दिया गया है। जो आधिकारिक तौर पर केंद्र सरकार के अधीन आता है। ऐसे में वह राज्य सरकारों को वक्फ की संपत्ति से संबंधित फैसले लेने से मना कर सकता है या रोक सकता है। इस प्रावधान को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
हालांकि अब इस बिल का भविष्य तो सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा। हलाकि, कोर्ट में चुनौती देना आसान तो है लेकिन विरोधियों को यह साबित करना होगा कि यह बिल संविधान के दायरे से बाहर कैसे हैं ? पहले भी कई ऐसे कानून है जिन्हें उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है। अदालत में हर बार सुप्रीम कोर्ट बिल को संविधान की कसौटी पर डालते हुए अपना फैसला सुनाया है।
Waqf Amendment Bill: क्या उच्चतम न्यायालय कानून को रोक सकता है?
यदि सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों को समझे तो वह संसद की ओर से बनाए गए किसी कानून की व्याख्या कर सकता है। पर अगर वह कानून किसी के मौलिक अधिकारों का हनन करता है। तो ऐसी स्थिति में उच्चतम न्यायालय के पास उस पर रोक लगाने का अधिकार भी है। पर ऐसा तभी हो सकता है जब संसद से पारित कानून असंवैधानिक हो यानी संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो ये फैसला करेगा कि इस कानून से संविधान में निहित अधिकारों का हनन कैसे हो रहा है।
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