केंद्र सरकार ने किसानों और आम जनता के हित में एक नई योजना पर काम शुरू किया है। इस योजना के तहत, किसानों को अपनी फसल सीधे उपभोक्ताओं को बेचने की अनुमति दी जाएगी। इसका मकसद बिचौलियों की भूमिका को खत्म करना है, जिससे किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके और आम उपभोक्ता को भी सस्ते दाम पर गेहूं और अन्य कृषि उत्पाद मिलें।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार “खेत से उपभोक्ता तक” नामक मॉडल पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और उपभोक्ताओं को राहत देना है।
क्या है यह योजना?
यह योजना किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क बनाने पर आधारित है। सरकार इसके लिए ऑनलाइन और स्थानीय बाजार विकसित करने पर काम कर रही है। इससे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा, जो अब तक बिचौलियों के कारण कम हो जाता था।
मुख्य लाभ:
- किसानों को अधिक मुनाफा:
- बिचौलियों के हटने से किसानों को उनकी फसल का पूरा दाम मिलेगा।
- किसान अपनी मेहनत का उचित मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।
- सस्ती कीमत पर उत्पाद:
- उपभोक्ताओं को गेहूं और अन्य कृषि उत्पाद 30-35 रुपये किलो की दर पर मिल सकते हैं।
- इससे आम जनता को महंगाई से राहत मिलेगी।
- डिजिटल और लोकल मार्केट का विस्तार:
- सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करेगी, जहां किसान अपनी फसल बेच सकेंगे।
- स्थानीय बाजारों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
गेहूं की कीमतें कैसे घटेंगी?
वर्तमान में, किसानों से खरीदे गए गेहूं की कीमत बाजार में 40 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। इसके पीछे बिचौलियों और परिवहन का बड़ा खर्च जिम्मेदार है।
नए मॉडल के फायदे:
- किसान सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ेंगे, जिससे बिचौलियों का रोल खत्म होगा।
- अनावश्यक खर्च कम होंगे, जिससे उत्पाद सस्ता होगा।
- उपभोक्ताओं को ताजा और कम कीमत पर सामान मिलेगा।
कृषि क्षेत्र के लिए सरकार का नजरिया
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान सबसे अहम है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है
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