यौन शोषण के खिलाफ़ विश्व संघर्ष दिवस: हर साल दुनिया भर में 14 मार्च को यौन शोषण के विरुद्ध संघर्ष दिवस मनाया जाता है।
आपको बता दे हर दिन औसतन 8 महिलाएं लड़कियां और अक्सर युवा लड़कों का यौन शोषण किया जाता है।
यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई दिवस इतिहास
यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई दिवस हर साल 4 मार्च को मनाया जाता है ,जिसकी घोषणा 2009 में हुई। 2009 से 14 मार्च को यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई का विश्व दिवस घोषित किया गया तब से ही हर साल इस दिन लोगों को यौन शोषण के खिलाफ जागरूक करने का काम किया जाता है। हर साल दुनिया भर में कई पुरुष कई महिलाएं और कई बच्चे यौन शोषण का शिकार होते हैं और अपनी जिंदगी को बर्बाद कर देते हैं। कई लोग यौन शोषण होने के बाद आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं ।
यौन शोषण के खिलाफ़ विश्व संघर्ष उद्देश्य
यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई का विश्व दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि औरतों और महिलाओं तथा बच्चों को यौन शोषण से बचाया जा सके। सिर्फ यही नहीं जो औरत सेक्स वर्कर्स है उनको जागृत करना तथा उनके सामने कई अन्य विकल्प रखने का यह दिन है। हर साल यौन शोषण के उद्देश्य से 10 लाख लोगों से ज्यादा महिलाओं की तस्करी की जाती है। उन महिलाओं को एशिया, पूर्वी यूरोप, और लैटिन अमेरिका से अन्य देशों में भेजा जाता है। यौन शोषण सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है जिसके लिए कई अभियान चलाया जा रहे हैं।
यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई के विश्व दिवस का महत्व
इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को जागृत करना है , यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई के संघर्ष से महिलाओं और यौन शोषण से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाना है।
यौन शोषण के खिलाफ वैश्विक जागरूकता अभियान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यौन उत्पीड़न एक गंभीर समस्या है जिसके लिए जागरुकता फैलाना अति आवश्यक है।
यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई का विश्व युद्ध दिवस की समय रेखा
- यौन शोषण के विरुद्ध संघर्ष 2009 में स्थापित किया गया था।
2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 जुलाई को मानव तस्करी के विरुद्ध विश्व दिवस के रूप में इसे घोषित भी किया।
2015 में विश्व ने 2030 सतत विकास एजेंडा को अपनाया और मानव तस्करी को समाप्त करने के लिए निर्धारित लक्ष्य तैयार किया।
2020 में पूरे विश्व भर की सरकार ने शोषण के खिलाफ एक मजबूत पकड़ बना ली।
कब मिलेगा इंसाफ?
सवाल प्रशासन से है। के हर साल महिला उत्पीड़न जैसे और यौन शोषण के विरुद्ध संघर्ष दिवस जैसे दिन बनाने का क्या फायदा जब सरकार ही महिलाओं की मदद नहीं कर सकती?
निर्भया कांड से लेकर कोलकाता रेप केस तक कितने ही मामले होंगे जिन्हें महिलाओं को इंसाफ मिला हो?
बात करें निर्भय हत्याकांड की, तो क्या गलती थी उसे लड़की की जिसका इतनी भी रहने से रेप किया गया फिर इतनी गंभीरता से उसकी हत्या की गई जहां वह घंटे तक अस्पताल में दर्द में काफी नजर आई और आखिर में उसे लड़की ने अपना दम तोड़ दिया। मेरे बात करें कृपया हत्याकांड की तो इस कान में करीब 12 साल बाद हथियारों को फांसी की सजा हुई। सवाल प्रशासन से यह है की इतना समय क्यों? क्या प्रशासन को हत्तियारा का जुल्म साफ साफ दिख नहीं रहा था?
सिर्फ यही नहीं हाल ही में हुए कोलकाता रेप केस की बात करें। तो एक फूल सी लड़की जिसे डॉक्टर बनने का ख्वाब देखा था, उसकी हत्या उसी के अस्पताल में की गई । सवाल प्रशासन सिर्फ एक बार और है कि महिलाएं सुरक्षित कहां है? अपने कार्य क्षेत्र में काम कर रही उसे डॉक्टर की क्या गलती थी जिसका ब्रह्म से रेप किया गया और बाद में उसके शरीर की अन्य हड्डियों को तोड़कर उसकी हत्या कर दी गई? सरकार ने हत्यारे को तो पकड़ लिया पर क्या पकाने से ही उसे बच्ची को न्याय मिल जाएगा? आपको बता दे कोलकाता रेप केस क्या रूपी को अभी तक इश्क की गई काम की सजा नहीं मिली। प्रशासन किस चीज का वेट कर रही है? क्या उसे दिखता नहीं है क्या रूपी कौन है?
सिर्फ यही नहीं ऐसे ही ना जाने कितने मामले है जिनका कोई हिसाब नहीं है । आज भी हर दिन 3 में से 1 महिला यौन शोषण का शिकार होती है । और सरकार कुछ नहीं कर पाती । अगर कोर्ट में ऐसे ही इतनी धीमी रफ़्तार से न्याय मिलेगा तोह बलात्कारियो को और मौका मिलेगा की वो ज़ुल्म करे ।
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