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Caste Census: क्या है जाति जनगणना की राजनीति? आखिर BJP क्यों बच रही है इससे और सपा को क्या है फायदा ?

Caste Census
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यूपी की राजनीति में Caste Census के मुद्दे पर सियासत खत्म होने का नाम नहीं लेती। यूपी विधानसभा बजट सत्र के दौरान भी सदन में जाति जनगणना को लेकर जमकर सियासत हुई। सदन में समाजवादी पार्टी ने जाति जनगणना करने का अपना विचार पेश किया तो BJP ने यह कहा की जाति जनगणना राज्य सरकार का मुद्दा ही नहीं है। और सपा की इस मांग को खारिज कर दिया।

जिस पर सपा के नेताओ ने नाखुश होकर सदन से वॉक आउट कर दिया। आज हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि आखिर भाजपा को जाति जनगणना करने से किस बात का डर लग रहा है और समाजवादी पार्टी को इससे क्या फायदा मिलेगा?ऐसे ही कई बड़े सवालों के जवाब आज हम आपको देंगे।

Caste Census से क्या आशय है?

सबसे पहले यह जान लेते हैं की जाति जनगणना क्या होती है? जाति जनगणना से यह आशय है कि “जब किसी देश में जनगणना हो तो उस दौरान नागरिकों से उनकी जाति भी पूछी जाए। अगर इसे साफ शब्दों में कहा जाए तो जाति के आधार पर लोगों की गणना ही जातीय जनगणना कहलाती है”।

Caste Census कब प्रारंभ हुई और कब बंद?

1881 में पहली बार अंग्रेजों ने भारत में जनगणना की शुरुआत की थी। इस जनगणना में जातियों की भी गणना कराई गई थी। इसके बाद वर्ष 1891, 1901, 1911, 1921,1931 तथा 1941 में जाति जनगणना हुई थी। लेकिन 1941 में हुए जाति जनगणना के डाटा को सार्वजनिक नहीं किया गया। आपको बता दे की अंतिम बार जब 1941 में जाति जनगणना हुई थी।

उसके बाद भारत के संविधान निर्माताओं और आजाद भारत के प्रथम कैबिनेट बैठक में इस बात पर चर्चा की गई की जाति जनगणना देश के लिए ठीक नहीं है और विभाजनकारी साबित हो सकती है। इसी कारण जातिगत जनगणना ना करने का फैसला लिया गया। फिर इसके बाद आजादी के बाद 1951 में फिर से जाति जनगणना कराई गई लेकिन इस बार केवल एससी-एसटी की ही गणना हुई। इसके पीछे का कारण यह था कि उन्हें आरक्षण देने की संवैधानिक बाध्यता थी।

उत्तर प्रदेश में कब से उठ रही जाति जनगणना की मांग

हर बार जब चुनाव आते हैं तो जाति जनगणना की मांग उठती ही है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है की जाति जनगणना की मांग विपक्ष कर रहा है। 2001 में भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ओर से जाति जनगणना की मांग रखी गई थी। इसके अलावा कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी भी लोकसभा में जाति जनगणना की मांग रख चुके हैं।

किन राज्यों में हुई है जाति जनगणना?

औपचारिक रूप से देखा जाए तो जाति जनगणना करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को ही होता है। लेकिन कुछ ऐसे राज्य हैं जिन्होंने “आर्थिक सर्वेक्षण” का नाम देकर जातीय जनगणना करवाई। इसमें पहला नाम आता है बिहार। बिहार सरकार ने हाल ही में 2 अक्टूबर 2023 में जातीय जनगणना करवाई। बिहार इकलौता राज्य है जिसने जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए थे।

इसके अलावा भी कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2014-15 में जातीय जनगणना करवाई थी लेकिन जब इसे असंवैधानिक बताया गया तो इसे “सामाजिक एवं आर्थिक सर्वे” का नाम दे दिया गया। लेकिन इस सर्वे की रिपोर्ट सिद्धारमैया की सरकार ने सार्वजनिक नहीं की।

Caste Census की मांग क्यों नकार रही है भाजपा?

जाति जनगणना से डरने का भाजपा का मुख्य कारण है कि भाजपा हिंदू वोट बैंक की राजनीती करती हैं। भाजपा को हिंदू वोटर्स का समर्थन है। ऐसे मे यदि जाति जनगणना होती है तो भाजपा को इस बात का डर है की वोटर जातियों में बट जाएंगे। ऐसे में क्षेत्रीय दलों को अधिक फायदा हो सकता है और भाजपा को नुकसान हो सकता है और भाजपा की हिंदू वोट बैंक की राजनीति में हलचल मच सकती है।

इसके अलावा भी यदि जाति जनगणना होती है तो राजनीतिक दलों को केंद्र सरकार की नौकरियां और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटे में बदलाव के लिए सरकार पर दबाव बनाने का मुद्दा मिल सकता है। और इस तरह भाजपा के अगड़ी जातियों की वोटर नाराज हो सकते हैं। क्योंकि भाजपा को उच्च जातियों का ज्यादा समर्थन प्राप्त है ओबीसी की तुलना में। और जाति जनगणना करने से भाजपा का परंपरागत हिंदू वोट बैंक बिखर सकता है।

Caste Census से सपा को क्या लाभ?

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार समाजवादी पार्टी जिन PDA( पिछड़ी, दलित, आदिवासी ) की बात करती है उसके लिए जाति जनगणना सूट भी करती है। समाजवादी पार्टी इस बात को बताने का प्रयत्न कर रही है कि अगर जातियों के आंकड़े पता चल जाए तो हर जाति का सोशल स्टेटस पता चल जाएगा। जिससे यह फायदा होगा कि जिन लोगों की स्थिति कमजोर है उनके लिए नई योजनाएं बनाई जाएगी।

क्योंकि समाजवादी पार्टी अपने आप को ओबीसी और पिछड़ी जातियों का शुभचिंतक बताती है और उसका कहना है कि पिछड़ी जातियों का हम प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पिछड़ी जाति के वोटो को लुभाने में सपा को आसानी होगी इसलिए समाजवादी पार्टी बार-बार जाति जनगणना की मांग कर रही है।

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