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उत्तराखंड में यूसीसी के लिव-इन प्रावधानों पर विवाद: धार्मिक गुरु का प्रमाण पत्र क्यों जरूरी?

उत्तराखंड में यूसीसी के लिव-इन प्रावधानों पर विवाद

उत्तराखंड में यूसीसी के लिव-इन प्रावधानों पर विवाद

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उत्तराखंड में हाल ही में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया गया है। इसमें लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर किए गए प्रावधानों ने विशेष रूप से चर्चा बटोरी है। सरकार के इस कदम को निजता के हनन और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में भी देखा जा रहा है। आइए जानते हैं कि इस कानून में लिव-इन से जुड़े प्रावधान क्या हैं और इन्हें लेकर क्यों सवाल उठ रहे हैं।

क्या हैं यूसीसी के लिव-इन प्रावधान?

उत्तराखंड सरकार के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इसके तहत:

क्या होगा नियमों का उल्लंघन करने पर?

धार्मिक प्रमाण पत्र पर विवाद

धार्मिक प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

संविधान और सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण

क्या कह रहे हैं आलोचक?

देहरादून के वकील अजय कुंडलिया के अनुसार, यह प्रावधान असंवैधानिक प्रतीत होता है। यदि इसे कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।

सरकार का पक्ष

उत्तराखंड सरकार का कहना है कि यह प्रावधान केवल उन मामलों के लिए लागू होगा जहां विवाह प्रतिबंधित है। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या यह प्रावधान दो अलग धर्मों के जोड़ों पर भी लागू होगा।

निजता का उल्लंघन या सुरक्षा का उपाय?

उत्तराखंड में यूसीसी के लिव-इन प्रावधानों को लेकर जारी विवाद भविष्य में कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर जनता और विशेषज्ञों की चिंताओं का समाधान कैसे करती है।

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