PM Meets CJI, पर हंगामा है क्यों बरपा?

PM Meets CJI: भारत राजनितिक रूप से एक कमजोर समय से गुजर रहा है. विपक्ष और सरकार के बीच जहाँ रिश्ते बेहद खराब हैं वहीँ खुद न्यायपालिका की भी भूमिका कठघरे में है। ऐसे में भारत के Prime Minister को CJI के घर पूजा करते देख विपक्षी पार्टियों समेत भारत के नागरिक भी अचंभित हैं।

PM Meets CJI

PM Meets CJI: क्या है मामला:

आज सुबह देश ने अजीब ही मंजर देखा। एक वीडियो में Prime Minister मोदी CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के घर गणपति की आरती करते हुए देखाई दिए। प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में चुनावों के मद्देनज़र एक महाराष्ट्रियन टोपी भी पहनी थी। इस से पहले चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ हाथ जोड़ कर प्रधानमंत्री का स्वागत भी करते नज़र आये।

PM Meets CJI: विपक्षी पार्टियों की प्रतिक्रिया:

इन मनोहर पारिवारिक नज़ारो को देख कर विपक्षी पार्टियां भड़क गयी हैं। शिवसेना ने कड़ा ऐतराज़ जताते हुए CJI से महाराष्ट्र के शिव सेना सरकार बनने से सम्बंधित लंबित मामलों से अलग हो जाने के लिए कहा है। शिवसेना ने साफ़ साफ़ कहा है कि प्रधानमंत्री और मुख्या न्यायधीश की अकेले में पारिवारिक माहौल में मुलाकातें उनकी निष्पक्षता के ऊपर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाती हैं।

शिवसेना (UBT) ग्रुप की प्रियंका चतुर्वेदी ने कटाक्ष करते हुए लिखा है की जब मुख्य न्यायधीश इन धार्मिक कामो से फ्री हो जाएँ तो महाराष्ट्र मामले का भी निपटारा कर दें।

PM Meets CJI: सुप्रीम कोर्ट वकीलों की प्रतिक्रिया:

कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया भारत के कुछ उत्कृष्ट वकीलों ने भी दी है। प्रशांत भूषण ने कहा है की चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने प्रधानमन्त्री से अपने निवास के एकांत में मिल कर जजो के मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का हनन किया है। उन्होंने कहा है कि जजो से अपेक्षा की जाती है की वे अपने ऑफिस की गरिमा के अनुरूप एग्जीक्यूटिव से अलग थलग रहें क्योंकि उनके ऊपर इसी एग्जीक्यूटिव द्वारा भारत के नागरिक के फंडामेंटल राइट्स की रक्षा की जिम्मेदारी है। अगर  भारत के Prime Minister और CJI के बीच दोस्ती है तो ये मुख्य न्यायधीश के लिए कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट की परिस्थिति है।

PM Meets CJI
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इंदिरा जयसिंह ने भी इस मामले में मुख्य न्यायधीश की आलोचना की है और कहा है की सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को इस मुलाक़ात पर कड़ी निंदा करनी चाहिए।

PM Meets CJI: बीजेपी की प्रतिक्रिया:

दूसरी तरफ बीजेपी ने भी इस हाय तौबा पर अपनी टिपण्णी की है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों और वकीलों को गहरी सांस लेने के लिए कहा है क्योंकि यह मुलाक़ात सिर्फ एक धार्मिक आयोजन पर होने वाली औपचारिक मुलाक़ात थी और इस से ज्यादा कुछ नहीं।

PM Meets CJI
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PM Meets CJI: क्यों है ऐतराज:

दरअसल भारत के संविधान के तहत भारत सरकार की एग्जीक्यूटिव इकाई और न्याय पालिका एक दूसरे के पूरक हैं न की अधीन। इसलिए कॉन्स्टीट्यूशनल मोरालिटी के चलते यह उम्मीद की जाती है की दोनों एक दूसरे से एक सम्मानजनक दूरी बनाये रखें। भारत सरकार द्वारा संसद में पास किये बिल्स से ले कर संविधान में किये गए किसी भी बदलाव तक, सुप्रीम कोर्ट को सब कुछ रिव्यु करने का अधिकार भारत का संविधान देता है।

इसलिए यह उचित ही है की भारत का मुख्य न्यायाधीश जिसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट रोस्टर की जिम्मेदारी है अर्थात जो तय करता है की कौन सा केस किस बेंच के पास जाएगा, भारत सरकार की एग्जीक्यूटिव इकाई के साथ मेलजोल बढ़ाने से बचे। अन्यथा उसके दिए गए फैसलों पर प्रश्नचिन्ह लगाया जाएगा। न्यायपालिका का नागरिको के साथ विश्वास का ही रिश्ता होता है। अगर यह विश्वास ही टूट जाएगा तो अराजकता की स्थिति पैदा होगी।

CJI भारत के प्रधानमन्त्री या अन्य मंत्रियो और सांसदों से पब्लिक प्लेटफार्म पर मिलते ही रहते हैं लेकिन इस तरह निजी मुलाकातों को हतोत्साहित ही किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है की अपीयरेंस की खातिर ही सही लेकिन प्रधानमंत्री की देश के मुख्य न्यायधीश के घर मौजूदगी कोई अच्छा संकेत नहीं है। वह भी तब जब भारत सरकार के खिलाफ कई सारे मामले भारत के उच्चतम न्यायालय के सामने लंबित हैं।

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