World Ozone Day 2024: Ozone Layer को पृथ्वी की सनस्क्रीन कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य से निकली हानिकारक अल्ट्रावायलेट (यूवी) किरणों से पृथ्वी पर जीवन को बचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
ओजोन (O₃) तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से बनी एक गैस है जिसकी एक बेहद पतली सी परत मुख्य रूप से स्ट्रैटोस्फीयर में 10 से 40 किलोमीटर की ऊँचाई पर मौजूद होती है। एटमॉस्फेयर का केवल एक छोटा हिस्सा होते हुए भी, इसका अस्तित्व जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन वर्षों से मानव गतिविधियों ने इस प्रोटेक्टिव लेयर को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है।
Ozone Layer के कमजोर होने से दुनिया भर में पर्यावरणीय चिंताएँ उत्पन्न हुईं है। इस लेयर के महत्व का अंदाजा इसी बात से हो जाता है की इस लेयर को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल स्थापित किए गए हैं।
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Toggleओजोन क्या है?
ओजोन ऑक्सीजन का एक विशेष रूप है जो अधिकांश मात्रा में स्ट्रैटोस्फीयर में पाया जाता है। स्ट्रैटोस्फेअर पृत्वी के एटमॉस्फेयर का एक भाग है। हालांकिओजोन की थोड़ी मात्रा जमीन पर भी मौजूद होती है लेकिन सिर्फ स्ट्रैटोस्फेअर की ओजोन ही Ozone Layer का निर्माण करती है।
स्ट्रैटोस्फेअर में बानी यह Ozone Layer सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों, विशेष रूप से यूवी-बी किरणों को सोंख लेती है। इस परत के बिना यूवी-बी सीधे पृथ्वी पर रहने वाले जीव जंतु और पौधों के संपर्क में आएगी जिससे मानव स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव दिखाई देगा।
Ozone Layer में एक होल या छिद्र की खोज 1985 में हुई जब ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत के पतले होने का खुलासा किया। इसे ही अक्सर “ओजोन छिद्र” कहा जाता है। यह शब्द नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक शेरवुड रोलैंड द्वारा पहली बार उपयोग किया गया था।
बहुत जल्द ही यह शब्द दुनिया भर में पर्यावरणीय नुकसान का प्रतीक बन गया। इस खोज से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हड़बड़ी मच गयी और तुरत फुरत 1987 में ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले केमिकल्स पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल बनाया गया।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल इतिहास में सबसे सफल पर्यावरणीय समझौतों में से एक है। दुनिया भर के राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षरित इस समझौते का उद्देश्य ओजोन को खत्म करने वाले पदार्थों (ODS) के उत्पादन और खपत को नियंत्रित करना और अंततः चरणबद्ध रूप से उन्हें समाप्त करना था।
ये पदार्थ, विशेष रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), हैलोन, और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), मुख्य रूप से फ्रिज की गैस, एयर कंडीशनिंग, एरोसोल, आग बुझाने के लिए और फोम उत्पादन में उपयोग किए जाते हैं। एक बार जब ये रसायन वायुमंडल में में पहुँच जाते हैं तो ये क्लोरीन और ब्रोमीन में टूट जाते हैं और फिर ओजोन लेयर से प्रतिक्रिया कर के Ozone Layer को नष्ट करते हैं।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल द्वारा किये गए प्रयासों के कारण, ओजोन-नष्ट करने वाले पदार्थों के उत्पादन और उपयोग में काफी कमी आई है।
Ozone Layer के नष्ट होने के हानिकारक प्रभाव:
Ozone Layer के खत्म होने के पृथ्वी पर जीवन के लिए काफी हानिकारक परिणाम होते हैं। ओजोन लेयर के पतले होने से पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले हानिकारक यूवी-बी के स्तर में वृद्धि होती है, जो पृथ्वी पर जीव जन्तुओ पर ख़राब असर डालती है जैसे:
मानव स्वास्थ्य: बढ़ी हुई यूवी-बी किरणों के संपर्क से स्किन कैंसर के केस में वृद्धि हो सकती है। यह मोतियाबिंद और अन्य नेत्र रोगों के विकास में भी योगदान देता है। इसके अतिरिक्त, यूवी-बी किरणे इम्युनिटी को भी कमजोर करती है जिसके कारण मनुष्य में संक्रमणों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
वनस्पति और पौधों का जीवन: यूवी-बी किरणे पौधों के विकास को बाधित कर सकती है। यह फोटोसिंथेसिस और पौधों में मिनरल्स के वितरण को प्रभावित कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादकता में कमी आएगी। इसकी परिणीति खाद्य सुरक्षा में कमी आने के रूप में होगी।
समुद्री इकोसिस्टम: यूवी-बी किरणे महासागरों की सतह में प्रवेश करती है और समुद्री जीवन को नुकसान पहुँचाती है।
धरती का इकोसिस्टम: यूवी-बी किरणे उन बायोलॉजिकल चक्रो को प्रभावित कर सकता है जो कार्बन डाइऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों की निकलने और अवशोषण को नियंत्रित करते है। इससे दुनिया भर के जलवायु पैटर्न प्रभावित होते हैं।
Ozone Layer की दुबारा बनने में विकास
हाल के दशकों में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता स्पष्ट हो गई है। ओडीएस (ओजोन-क्षयकारी पदार्थों) के उत्पादन और उपयोग में कमी से ओजोन परत की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। हाल के आकलनों के अनुसार, ओजोन परत के 2040 तक दुनिया के अधिकांश हिस्सों में 1980 के स्तर तक वापस लौटने की उम्मीद है। जबकि अंटार्कटिका के ऊपर यह स्थिति 2066 तक आ पाएगी क्योंकि यहाँ पर ही ओजोन की स्थिति सबसे ख़राब थी।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता न केवल ओजोन लेयर के बचाव के लिए बल्कि जलवायु परिवर्तन रोकने के दिशा में भी बड़ी जीत है। ओडीएस के ख़तम होने ने 0.5°C से 1°C के बीच वर्ल्ड तापमान वृद्धि को रोका है क्योंकि ODS ग्रीनहाउस गैसें भी हैं।
लड़ाई अभी जारी है:
प्रगति के बावजूद, Ozone Layer के नुकसान के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। ओडीएस बहुत लम्बे समय तक वायुमंडल में रहते हैं इसलिए यह आकलन किया गया है कि उनके हानिकारक प्रभाव दशकों तक बने रहेंगे। ओजोन लेयर की पूरी तरह से पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर वैश्विक सहयोग आवश्यक है। इसमें न केवल ओडीएस के चरणबद्ध तरीके सा ख़त्म करना है बल्कि काफी सारे औद्योगिकपदार्तो के लिए ज्यादा सुरक्षित विकल्प कि तलाश करना भी शामिल है।
World Ozone Day 2024: थीम
World Ozone Day 2024 की थीम, “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाना,” ओजोन की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन रोकने के बीच के संबंध को रेखांकित करता है।
अब दुनिया अधिक एनर्जी एफिशिएंट टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रही है और हानिकारक रसायनों पर अपनी निर्भरता कम कर रही है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता एक आशा की एक किरण है और यह अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय सहयोग के लिए एक मॉडल के रूप में काम करता है।
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