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विश्व दलहन दिवस 2025: कृषि, पोषण और पर्यावरण सुरक्षा में दलहनों की भूमिका

विश्व दलहन दिवस 2025: कृषि, पोषण और पर्यावरण सुरक्षा में दलहनों की भूमिका

विश्व दलहन दिवस 2025: कृषि, पोषण और पर्यावरण सुरक्षा में दलहनों की भूमिका

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विश्व दलहन दिवस हर साल 10 फरवरी को मनाया जाता है, जो दलहनों के महत्व को बढ़ावा देने और कृषि, पोषण और पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को स्वीकार करने के लिए समर्पित है। इस साल, विश्व दलहन दिवस 2025 का मुख्य विषय “पल्सेज: ब्रिंगिंग डाइवर्सिटी टू एग्रीफूड सिस्टम्स” (Pulses: Bringing Diversity to Agrifood Systems) रखा गया है, जो कृषि-खाद्य प्रणालियों में विविधता लाने, मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित करने में दलहनों की अहम भूमिका को रेखांकित करता है।

विश्व दलहन दिवस की शुरुआत

विश्व दलहन दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा की गई थी, और इसे पहली बार 10 फरवरी 2019 को मनाया गया था। यह दिवस खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की पहल पर शुरू हुआ था, जो 2016 में अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष (IYP) की सफलता के बाद इस दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने का आग्रह किया था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दलहनों के पोषण, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना है।

2025 का विषय

इस वर्ष का विषय “पल्सेज: ब्रिंगिंग डाइवर्सिटी टू एग्रीफूड सिस्टम्स” (Pulses: Bringing Diversity to Agrifood Systems) खास तौर पर यह बताता है कि दलहनों के माध्यम से खाद्य प्रणालियों में विविधता लाई जा सकती है, जो न केवल पर्यावरण बल्कि किसानों के लिए भी फायदेमंद है। यह विषय इस बात पर जोर देता है कि दलहन फसलों का उपयोग जलवायु परिवर्तन से निपटने, मृदा की गुणवत्ता सुधारने, और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में अहम योगदान दे सकता है।

दलहन का महत्व

दलहन, जैसे कि मसूर, चने, मूंग, अरहर (तूर) और उड़द, पौष्टिकता से भरपूर होते हैं। ये प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होते हैं, जो खासकर शाकाहारी आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके सेवन से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व जैसे कि आयरन, फोलेट, पोटेशियम और फाइबर मिलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।

  1. पोषण संबंधी लाभ
    दलहन प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक खनिजों का अच्छा स्रोत होते हैं। यह दिल के रोगों, मोटापे और मधुमेह के जोखिम को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, दलहन एक किफायती और पोषक तत्वों से भरपूर आहार विकल्प है।
  2. खाद्य सुरक्षा में योगदान
    दलहन की खेती सूखा सहनशील होती है, जो सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी उत्पादन सुनिश्चित करने में मदद करती है। यह विकासशील देशों के लिए एक सस्ती और सुलभ प्रोटीन स्रोत प्रदान करता है।
  3. पर्यावरणीय लाभ
    दलहन फसलों का कार्बन पदचिह्न कम होता है और इनकी खेती में पानी की आवश्यकता भी कम होती है। ये नाइट्रोजन-फिक्सिंग क्रॉप्स होती हैं, जो मृदा की उर्वरता बढ़ाती हैं और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को घटाती हैं। इसके अलावा, दलहन की खेती कृषि विविधता को बढ़ाती है, जिससे कृषि प्रणाली को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाया जा सकता है।

भारत में दलहन उत्पादन

भारत दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है, जो वैश्विक दलहन उत्पादन का 25% से अधिक योगदान देता है। भारत में दलहन की खेती विभिन्न राज्यों में की जाती है, और यह भारतीय आहार का अभिन्न हिस्सा है।

  1. भारत में प्रमुख दलहन उत्पादक राज्य
    मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का 30% हिस्सा प्रदान करता है। इसके अलावा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और कर्नाटका जैसे राज्य भी दलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मध्य प्रदेश में प्रमुख रूप से चना, तूर और मूंग की खेती की जाती है।
  2. भारत के प्रमुख दलहन प्रकार
    भारत में चना (48%), तूर (14%), उड़द (12%), मूंग (8%) और मसूर (7%) जैसे प्रमुख दलहन प्रकारों की खेती की जाती है। इन दलहनों का उपयोग भारतीय भोजन में बड़े पैमाने पर किया जाता है, जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भारत में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल

भारत सरकार ने दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है, जिनसे किसानों को लाभ मिलता है और देश में दलहन की कमी को दूर किया जा सकता है। प्रमुख योजनाओं में शामिल हैं:

  1. प्रधानमंत्री अननदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)
    इस योजना का उद्देश्य दलहन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करना और किसानों को उचित मूल्य पर उनकी उपज बेचने के लिए प्रोत्साहित करना है।
  2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
    यह मिशन दलहन उत्पादन में सुधार के लिए किसानों को बीज, उर्वरक और नई तकनीकों के उपयोग में मदद करता है। इसके तहत 28 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में दलहन की खेती को बढ़ावा दिया जाता है।
  3. फसल विविधता कार्यक्रम (CDP)
    यह कार्यक्रम किसानों को जल-गहन फसलों से दलहन की ओर स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित करता है, खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में।

विश्व में दलहन उत्पादन

वैश्विक स्तर पर, दलहन का उत्पादन 973.92 लाख टन है, और यह 959.68 लाख हेक्टेयर में उगाई जाती है। प्रमुख दलहन उत्पादक देश भारत, कनाडा, चीन, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया हैं। भारत वैश्विक दलहन उत्पादन का 28% हिस्सा प्रदान करता है।

अभी इस विषय पर और जानकारी प्राप्त करें और जानें कि कैसे दलहन हमारी कृषि और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन सकते हैं।

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