Aarambh News

योगी आदित्यनाथ का ‘डीएनए’ बयान: एक नया राजनीतिक विवाद और समाज की एकता की दिशा

योगी आदित्यनाथ का ‘डीएनए’ बयान: एक नया राजनीतिक विवाद और समाज की एकता की दिशा

योगी आदित्यनाथ का ‘डीएनए’ बयान: एक नया राजनीतिक विवाद और समाज की एकता की दिशा

FacebookTelegramWhatsAppXGmailShare

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में रामायण मेला के उद्घाटन के दौरान ऐसा बयान दिया, जो न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया, बल्कि समाज में एक नई बहस की शुरुआत भी कर दी। उन्होंने कहा कि 500 साल पहले अयोध्या में बाबर के सेनापति द्वारा की गई घटनाएं, संभल में हुई हिंसा और बांग्लादेश में हो रहे हिंदू अत्याचार सभी एक समान ‘स्वभाव’ और ‘डीएनए’ रखते हैं। उनका यह बयान अब पूरे देश में विवाद का कारण बन गया है, और विपक्षी पार्टियों से तीखी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।

योगी आदित्यनाथ का बयान: एक ऐतिहासिक संदर्भ

योगी आदित्यनाथ ने रामायण मेला के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में अयोध्या के ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए कहा, “याद रखें कि 500 साल पहले अयोध्या में बाबर के सेनापति ने क्या किया था। वही चीज संभल में हुई, और वही चीज आज बांग्लादेश में हो रही है। इन तीनों का स्वभाव और डीएनए एक जैसा है।” यह बयान न केवल अयोध्या के ऐतिहासिक संदर्भ को लेकर एक नई चर्चा की शुरुआत करता है, बल्कि वर्तमान घटनाओं को ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़कर समाज के सामने एक चेतावनी भी प्रस्तुत करता है।

योगी आदित्यनाथ का यह बयान कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। वह सिर्फ इतिहास को याद नहीं करा रहे थे, बल्कि वह समाज में बिखरे हुए जातिवाद और सांप्रदायिकता के मुद्दों पर भी बोल रहे थे। उनका कहना था कि समाज में आंतरिक विभाजन और सामाजिक वैमनस्य ने राष्ट्र को कमजोर किया है, और ऐसे ही विभाजनकारी ताकतें आज भी मौजूद हैं जो समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही हैं।

हिंदू समाज को एकजुट होने की अपील

योगी आदित्यनाथ ने समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा, “अगर भारतीय समाज एकजुट रहता, तो विदेशी आक्रमणकारी देश में प्रवेश नहीं कर पाते और न ही हमारे पवित्र स्थलों को नष्ट कर पाते।” उनके अनुसार, सामाजिक सौहार्द और एकता के बिना भारत की ताकत कमजोर हो सकती है। उनका यह बयान हिंदू समाज को एकजुट करने का आह्वान था ताकि देश की संस्कृति और धार्मिक पहचान को सुरक्षित रखा जा सके।

रामायण मेला और भारत की एकता

रामायण मेला, जो 1982 में डॉ. राम मनोहर लोहिया की प्रेरणा से शुरू हुआ था, पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह मेला भारतीय समाज की एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “भारत की एकता का आधार भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान शिव के प्रति लोगों की आस्था है।” उनका यह बयान यह दिखाता है कि वह भारतीय संस्कृति को मजबूत करने के लिए धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक मूल्यों पर बल दे रहे हैं।

उन्होंने 1980 के दशक की यादें ताजा कीं, जब लोग दूर-दूर से यात्रा करके दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण धारावाहिक को देखने जाते थे। उनका यह संदर्भ इस बात को स्पष्ट करता है कि भारतीय समाज में राम के प्रति अटूट आस्था और श्रद्धा है, जो समाज को एकजुट रखने का काम करती है। इसके साथ ही, उन्होंने 1990 के दशक के लोकप्रिय नारे “जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं” को भी उद्धृत किया।

डॉ. राम मनोहर लोहिया का जिक्र

योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी विचारक डॉ. राम मनोहर लोहिया का उल्लेख करते हुए कहा कि रामायण मेला की शुरुआत उनके द्वारा की गई थी। लोहिया ने भारतीय समाज में रामायण उत्सव को फैलाया था और यह भी कहा था कि भारतीय एकता का आधार भगवान राम, कृष्ण और शिव की आस्था में है। इसके साथ ही, योगी ने यह भी कहा कि आज के समाजवादियों ने लोहिया के आदर्शों को त्याग दिया है, और समाज में छोटे-छोटे विवादों के कारण परिवारों में भी मतभेद बढ़ गए हैं।

विपक्षी प्रतिक्रिया

योगी आदित्यनाथ के ‘डीएनए’ बयान पर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा, “मुख्यमंत्री को इस तरह की भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए, खासकर जब वह एक संत और योगी हैं।” अखिलेश यादव ने यह भी कहा, “अगर डीएनए की बात होती है, तो हम सभी अपना डीएनए चेक कराना चाहेंगे।” उनका यह बयान योगी के ‘डीएनए’ वाले बयान पर निशाना था, और उन्होंने इसे समाज में विभाजन और नफरत फैलाने वाला बताया।

संभल और बांग्लादेश की घटनाएं

योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में संभल और बांग्लादेश में हो रही घटनाओं का भी उल्लेख किया। संभल में एक मस्जिद के परिसर में कथित मंदिर के अवशेषों की जांच के दौरान हुई हिंसा, और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले, ये दोनों घटनाएं एक जैसी हैं। योगी ने कहा, “ये ताकतें समाज में दरारें पैदा करने, अशांति फैलाने और हिंसा भड़काने का काम करती हैं।” उनका यह बयान इन घटनाओं को जोड़कर एक संदेश दे रहा था कि समाज को ऐसे तत्वों से सतर्क रहना चाहिए जो सांप्रदायिक तनाव पैदा करते हैं।

भारत की मजबूती के लिए आस्था आवश्यक

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की एकता और मजबूती उसकी संस्कृति और धर्म में निहित है। उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया के शब्दों का उद्धरण करते हुए कहा कि जब तक भारत के लोग भगवान राम, कृष्ण और शिव में अपनी आस्था बनाए रखेंगे, देश की एकता और अखंडता अडिग रहेगी। यह एक संदेश था कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था को बनाए रखना समाज की एकता के लिए जरूरी है।

यह भी पढ़े: करण जौहर के Dharma Productions ने अदार पूनावाला को 50% हिस्सेदारी ₹1000 करोड़ में बेची

Exit mobile version